यही हाल रहा तो पीने के पानी को भी तरसेंगे
पानी की बर्बादी तो कर रहे जल संचयन पर अफसरों का ध्यान नहीं सरकारी भवनों में भी नहीं चल रहा रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
जागरण संवाददाता, कानपुर : अमूल्य पानी की कीमत न तो शहर के लोग समझ रहे हैं और न ही सरकारी अफसर। नतीजा यह है कि पानी की बर्बादी तो धुआंधार हो रही है, लेकिन वर्षा जल के संचयन का कोई इंतजाम नहीं है। ऐसे में इस आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता, जब आने वाली पीढि़यां पीने के पानी को भी तरस जाएंगी।
कानपुर शहर में अफसरों की अनदेखी से रोज करोड़ों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। इसे रोकने के लिए अब तक किसी तरह के प्रयास नजर नहीं आ रहे हैं। भूजल के इस दोहन से लगातार जलस्तर नीचे जा रहा है। मगर इसे बचाए रखने का भी प्रयास नहीं हो रहा है। शहर में 338 ऐसे बड़े निजी भवन हैं, जो रेन वाटर हार्वेस्टिंग का नियम बनने के बाद निर्मित हुए। बावजूद इसके इन भवनों में जल संचयन का कोई इंतजाम नहीं है। इसके अलावा बड़ी संख्या में शहर के स्कूल कॉलेजों और सरकारी इमारतों में भी यह इंतजाम नहीं किए गए हैं। जिसकी वजह से हर साल वर्षा का जल नालों और नदियों के रास्ते होकर बह जाता है। वर्षा जल संचयन के नियम
जो भी भवन 300 वर्ग मीटर से अधिक भूखंड पर बनाए जाते हैं। वहां विकास प्राधिकरण नक्शा तभी स्वीकृत किया जाएगा। जब उसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग के प्रावधान किए गए हों। क्या कार्रवाई कर सकता है प्राधिकरण
300 मीटर या उससे बड़े भूखंड पर बने भवन में यदि रेन वाटर हार्वेस्टिंग के इंतजाम नहीं किए गए हैं तो प्राधिकरण ऐसे भवनों को सील कर सकता है। हालांकि प्राधिकरण ने हाल फिलहाल ऐसी सख्ती दिखाई नहीं है। शहर में निजी भवनों में जल संचयन के हालात
जोन कुल भवन नहीं है सिस्टम
एक 266 155
दो 32 22
तीन 199 147
चार 39 14
कुल 536 338 यहां इंतजाम हैं मगर, खराब भी हैं
विकास भवन, नगर निगम, केडीए, कमिश्नर आवास, मेडिकल कॉलेज, संजय वन, जीआइसी, सीएसए यूनिवर्सिटी समेत करीब एक दर्जन सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बना हुआ है। अफसरों की लापरवाही से इनमें से कई जगह सिस्टम बंद पड़ा है। जल संचयन के सबसे बड़े पैरोकार विकास भवन का खुद यही हाल है।