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CBSE Class 10th Result 2019 : ऐसे बने सिटी टॉपर, पढि़ए सफलता के मंत्र

10वीं परिणाम में शहर की टॉप टेन सूची के 14 मेधावियों में आठ बेटियां शामिल हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 12:44 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 12:44 PM (IST)
CBSE Class 10th Result 2019 : ऐसे बने सिटी टॉपर, पढि़ए सफलता के मंत्र
CBSE Class 10th Result 2019 : ऐसे बने सिटी टॉपर, पढि़ए सफलता के मंत्र

कानपुर, जेएनएन। सीबीएसई 10वीं बोर्ड परीक्षा परिणाम में खूब नंबर बरसे, अच्छे अंक पाकर छात्र-छात्राएं भी खुश नजर आए। सीबीएसई 12वीं की तरह 10वीं में भी बेटियां बाजी मार ले गईं। शहर की टॉप टेन सूची वाले 14 मेधावियों में आठ बेटियां हैं। पहले स्थान पर एक बेटी ने ही परचम फहराया है। दूसरे स्थान पर दो में एक बेटी है तो तीसरे पायदान पर दोनों बेटियों के ही कदम हैं। इन मेधावियों ने सफलता के मंत्र साझा किए और भविष्य के सपने व्यक्त किए। आइए पढ़ते हैं इन होनहारों से हुई बातचीत के अंश...।

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केमिकल इंजीनियर बनना चाहती हैं आयुषी

मम्मी-पापा की लाडली आयुषी तिवारी ने सीबीएसई 10वीं में 99.2 फीसद यानी 496 अंक हासिल किए हैं। क्या इतने अधिक अंक आएंगे, ऐसी उम्मीद थी? इस सवाल के जवाब में आयुषी चेहरे पर मुस्कान बिखेरते हुए बोलीं, उनके पेपर बहुत अच्छे हुए थे इसलिए विश्वास था कि रिजल्ट बेहतर आएगा। कल्याणपुर निवासी डॉ. वीरेंद्र स्वरूप एजूकेशन सेंटर, पनकी की छात्रा आयुषी केमिकल इंजीनियङ्क्षरग के क्षेत्र में करियर संवारना चाहती हैं। उन्हें रसायन विज्ञान से बेहद लगाव है। क्या भविष्य में इस क्षेत्र में शोध करने की मंशा है? इस सवाल पर उन्होंने नहीं में जवाब दिया। कहती हैं उन्हें देर रात शांत वातावरण में पढऩा अच्छा लगता है। कितने घंटे पढ़ाई करती हैं, इस पर बोलीं कि कोई समय निश्चित नहीं है।

रास नहीं आता सोशल मीडिया, नॉवेल में इंट्रेस्ट

आयुषी को सोशल मीडिया बिल्कुल रास नहीं आता। न ही उनका फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अकाउंट है। वाट्सएप का उपयोग करती हैं, वो भी मम्मी के मोबाइल पर। पढ़ाई के अलावा आयुषी को नॉवेल, उसमें भी आत्मकथाएं पढऩा पसंद है। आयुषी अपने दिमाग को शांत करने के लिए भगवान का ध्यान करना नहीं भूलती हैं। उन्हें टीवी पर सिर्फ कार्टून देखना अच्छा लगता है। परिणाम को सेलीब्रेट कैसे करेंगी, इस सवाल पर चहकते हुए जवाब दिया 'अब घर पर पार्टी होगी। आयुषी की शिक्षिका मां प्रतिमा तिवारी ने बताया कि बेटी कभी परेशान नहीं करती। वह हर काम को गंभीरता के साथ करती है। अपनी बेस्ट फ्रेंड शिवि द्विवेदी के साथ सबसे ज्यादा खुश रहती है। आयुषी के पिता मनोज कुमार तिवारी एयरफोर्स से सेवानिवृत्त होकर मौजूदा समय में आर्यावर्त बैंक में कार्यरत हैं।

भौतिकी के क्षेत्र में शोध करना चाहता हैं राहुल

भौतिकी के क्षेत्र में शोध करना चाहता हूं। मेरा पसंदीदा विषय भौतिकी है। यह कहना है सीबीएसई 10वीं में 98.8 फीसद अंक लेकर शहर में दूसरा स्थान प्राप्त करने वाले आर्मी पब्लिक स्कूल के छात्र राहुल कुमार का। कोयला नगर सीओडी कॉलोनी निवासी राहुल ने बताया कि रोजाना सात से आठ घंटे पढ़ाई से सफलता मिली। सुबह जल्दी उठकर परीक्षाओं की तैयारी की। उन्हें पढ़ाई के अलावा फिल्मी गीत सुनना पसंद हैं। वह सोशल मीडिया से पूरी तरह दूर रहते हैं। ïहालांकि राजनीति में रुचि जरूर है। राहुल के पिता चंदन कुमार शाह आर्मी में कार्यरत हैं और माता निर्मला देवी गृहणी हैं। राहुल का मानना है कि अगर परीक्षा में सफल होना है तो खुद पर विश्वास रखें। उन्होंने परीक्षाओं को कभी हौव्वा नहीं समझा और न ही किसी तरह का दबाव महसूस किया।

मिसाइल मैन को आदर्श मानती हैं शदफ

कड़ी मेहनत व लक्ष्य तय कर रोज छह घंटे पढ़ाई की। परिवार व शिक्षकों का पूरा समर्थन मिला। सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनकर परिवार का सपना पूरा करना है। यह बातें सीबीएसई 10वीं में 98.8 फीसद अंक हासिल कर शहर में दूसरे स्थान पर रहीं डॉ. वीरेंद्र एजूकेशन सेंटर श्यामनगर की छात्रा शदफ फातिमा सिद्दकी ने कहीं। डी ब्लाक श्यामनगर निवासी एलआइसी में सहायक प्रशासनिक अधिकारी कनीज फातिमा की बेटी शदफ फातिमा ने बताया पिता हाशिम अली का देहांत वर्ष 2010 में हो गया था। मां व मौसी तहसीन फातिमा ने उन्हें पाला और पिता की कमी महसूस नहीं होने दी। उनकी प्रेरणा से ही इतने अच्छे अंक हासिल कर सकी। पढ़ाई के दौरान वह किसी अन्य गतिविधि में मन नहीं लगाती थीं। उनकी इस सफलता से पूरा परिवार बेहद खुश है।

शदफ कहती हैं कि अगर टॉपर बनना है तो नोट्स जरूर बनाएं। स्कूल में जो पढ़ाया जाए, उसका घर पर अभ्यास करना चाहिए। इससे परीक्षाओं के समय आपके ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं रहेगा। मिसाइल मैन पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम उनके आदर्श हैं। सोशल मीडिया से दूर रहती हैं तो राजनीति में रुचि नहीं लेतीं। उनका मानना कि लक्ष्य को तय कर आगे बढऩे से सफलता जरूर मिलती है।

मनोविज्ञान में शोध करने की चाह

सीबीएसई 10वीं में शहर में तीसरे स्थान पर रहीं अन्वेषा दास मनोविज्ञान में शोध करना चाहती हैं। हरफनमौला अन्वेषा को जितना पढऩा पंसद है उतना ही लिखने का भी शौक है। इसके अलावा वह ताइक्वौंडों की अ'छी खिलाड़ी हैं और इस खेल में ब्लैक बेल्ट हासिल किया है। यही नहीं जब वह महज तीन साल की थीं, तभी से नृत्य में रुचि है और लगातार अभ्यास कर रही हैं। अन्वेषा कहती हैं, जो भी काम कीजिए, पूरी शिद्दत से कीजिए। मन लगेगा और सफलता भी मिलेगी। उन्होंने अपनी सफलता का राज बताते हुए कहा कि जनवरी से मार्च तक रोजाना छह घंटे पढ़ाई की। अन्वेषा के पिता अनिमेष दास आइआइटी कानपुर में सिविल इंजीनियङ्क्षरग विभाग में प्रोफेसर और मां निवेदिता मुखोपाध्याय स्कूल शिक्षिका हैं। वह आइआइटी परिसर में ही रहती हैं। अन्वेषा सोशल मीडिया को समय जाया करना मानती हैं। उनके अनुसार यह गलत दिशा की तरफ अधिक ले जा रहा।

आइआइटी से बनना चाहती हूं इंजीनियर

मैं आइआइटी से इंजीनियर बनूंगी। इसके लिए कड़ी मेहनत से तैयारी करूंगी। यह सपना है, सीबीएसई 10वीं में शहर में तीसरा स्थान पाने वाली छात्रा संचिता शर्मा का। मरियमपुर सीनियर सेकेंड्री स्कूल की छात्रा संचिता ने बताया कि उन्होंने छह से आठ घंटे नियमित पढ़ाई की, विषयवार नोट्स बनाए। सोशल मीडिया से लगातार दूरी बनाए रखी। पढ़ाई के साथ वह संगीत में रुचि रखती हैं। कथक भी सीख रही हैं। कहती हैं, अगर कभी पढ़ाई थकाती है, तो संगीत सुनकर तन-मन तरोताजा कर लेती हूं। गुमटी नंबर पांच निवासी संचिता के पिता मनोज शर्मा व्यवसायी व मां पूनम शर्मा गृहणी हैं। संचिता की इस उपलब्धि से पूरा परिवार बेहद खुश है।

पूर्णचंद्र की नव्या को चौथे स्थान पर

सीबीएसई 10 वीं में पूर्णचन्द्र विद्या निकेतन की छात्रा नव्या श्रीवास्तव ने शानदार 492 अंक हासिल कर टॉपर्स में अपनी जगह बनाई है। वे जिले की टॉप-10 की सूची में संयुक्त रूप से चौथे स्थान पर रहीं। उन्होंने विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में उन्हें शतप्रतिशत अंक प्राप्त हुए शहर और स्कूल का नाम रौशन किया। उनका सपना इंजीनियर बनने का है। उन्होंने कहा कि सफलता के लिए स्व अध्याय बहुत ही जरूरी है। स्कूल में जो कुछ हम पढ़ते हैं उन्हें घर आकर जरूर दोहराना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी सफलता में उनके पिता और शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान है। नव्या का मानना है कि सोशल मीडिया का उपयोग अगर पढ़ाई के लिए किया जा रहा है तो ठीक है, अगर उसके उपयोग में समय व्यर्थ हो तो बचना चाहिए। सोशल मीडिया पर तमाम अच्छी जानकारियां हैं जिनका उपयोग करियर बनाने में किया जा सकता है। एकाग्रता, लगन और लक्ष्य प्राप्ति के प्रति दृढ़ संकल्प का ही परिणाम है कि मैं आज इस मुकाम पर पहुंची।

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