मस्कुलर डिस्ट्राफी भी नहीं रोक सकी कदम, पहले ही प्रयास में चढ़ गए सफलता की सीढ़ी
चार वर्ष की आयु में इस रोग से पीड़ित हो गए थे देवांग अग्रवाल, इंटर की परीक्षा में अपनी श्रेणी में शहर के टॉपर थे।
By Edited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 12:12 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 11:27 AM (IST)
कानपुर,जेएनएन। कहते हैं कि इरादे मजबूत हों तो बड़ी से बड़ी परेशानी भी रास्ते की रुकावट नहीं बनती। कुछ ऐसा ही किया है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित 23 वर्षीय देवांग अग्रवाल ने, जिन्होंने एक और उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में सीए फाइनल की परीक्षा पास कर ली। इससे पहले वर्ष 2013 में वह इंटरमीडिएट की परीक्षा में शहर के टॉपर (अपनी श्रेणी) और देश में तीसरे नंबर पर रहे थे।
मात्र चार वर्ष की आयु में मस्कुलर डिस्ट्राफी रोग की चपेट में आए देवांग ने अपनी जिंदगी में संघर्ष से मुंह पीछे नहीं मोड़ा। वह चल नहीं पाते थे। आज भी वह व्हील चेयर पर ही एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। इसके साथ ही वह हाथों से लिख भी नहीं पाते। परीक्षाओं में उनकी कापियां कोई दूसरा लिखता है। वह उन्हें बोलते जाते हैं। कामर्स के छात्र रहे देवांग के मुताबिक उनका एक ही सूत्र वाक्य है, 'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है..।'
देवांग के साथ एक अजीब संयोग है कि उनके माता-पिता दोनों डाक्टर हैं। पिता डॉ. एके अग्रवाल खुद हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं और मां डॉ. मनीषा अग्रवाल स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं। देवांग के आदर्श स्टीफन हाकिंस हैं। उन्होंने अपने लिए खेल भी ऐसा चुना जो उनके दिमाग को तेज रख सके। बचपन से ही वह शतरंज खेलते हैं। उनका सबसे पसंदीदा खेल फार्मूला वन रेस है। इसके लिए वह ब्लॉग भी लिखते हैं। 65 फीसद अंक हासिल करने वाले देवांग ने सीपीटी, इंटरमीडिएट, फाइनल ग्रुप वन और टू सभी को एक-एक प्रयास में ही पास किया है।
मात्र चार वर्ष की आयु में मस्कुलर डिस्ट्राफी रोग की चपेट में आए देवांग ने अपनी जिंदगी में संघर्ष से मुंह पीछे नहीं मोड़ा। वह चल नहीं पाते थे। आज भी वह व्हील चेयर पर ही एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। इसके साथ ही वह हाथों से लिख भी नहीं पाते। परीक्षाओं में उनकी कापियां कोई दूसरा लिखता है। वह उन्हें बोलते जाते हैं। कामर्स के छात्र रहे देवांग के मुताबिक उनका एक ही सूत्र वाक्य है, 'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है..।'
देवांग के साथ एक अजीब संयोग है कि उनके माता-पिता दोनों डाक्टर हैं। पिता डॉ. एके अग्रवाल खुद हड्डी रोग विशेषज्ञ हैं और मां डॉ. मनीषा अग्रवाल स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं। देवांग के आदर्श स्टीफन हाकिंस हैं। उन्होंने अपने लिए खेल भी ऐसा चुना जो उनके दिमाग को तेज रख सके। बचपन से ही वह शतरंज खेलते हैं। उनका सबसे पसंदीदा खेल फार्मूला वन रेस है। इसके लिए वह ब्लॉग भी लिखते हैं। 65 फीसद अंक हासिल करने वाले देवांग ने सीपीटी, इंटरमीडिएट, फाइनल ग्रुप वन और टू सभी को एक-एक प्रयास में ही पास किया है।
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