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चमकते ही फीकी हुई घाटों की रंगत

पर्यटन को बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी बिठूर के घाटों को चमकाया जा रहा है पर लापरवाही व जल्दबाजी से इनकी रंगत फीकी होने लगी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 01:30 AM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 10:21 AM (IST)
चमकते ही फीकी हुई घाटों की रंगत
चमकते ही फीकी हुई घाटों की रंगत

जागरण संवाददाता, कानपुर : पर्यटन को बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी बिठूर के घाटों को चमकाया जा रहा है पर लापरवाही व जल्दबाजी से इनकी रंगत फीकी होने लगी है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत अब तक जिन घाटों का सौंदर्यीकरण कराया गया है वहां पत्थर टूटने लगे हैं।

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मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पण किए जाने के बाद नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत बिठूर के 13 घाटों के सौंदर्यीकरण का काम किया जा रहा है। दो घाटों को छोड़कर तकरीबन सभी का काम पूरा हो चुका है। दैनिक जागरण टीम ने शुक्रवार को जब इसकी पड़ताल की तो कई घाटों पर लापरवाही का असर साफ दिखाई दिया। बारादरी घाट हो या फिर तुलसीराम घाट, हर जगह टूटे पत्थर दिखाई दे रहे हैं। तुलसीराम घाट के पास बने चेजिंग रूम में निर्माण कंपनी इलेक्ट्रिक कंट्रोल कक्ष बना रही है। पास के एक अन्य कमरे में ताला लगा है।

ब्रह्मावर्त घाट पर चेजिंग रूम नहीं

इस ऐतिहासिक स्थली का सबसे प्रमुख घाट ब्रह्मावर्त है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचते हैं। सबसे प्रमुख घाट होने के बावजूद यहां पर चेजिंग रूम की व्यवस्था ही नहीं की गई। कुछ पत्थरों को हटाकर आगे रेलिंग लगा दी गई है।

अधूरी रह गई उम्मीद

बिठूर निवासी बच्चा तिवारी, प्रदीप शुक्ला, राजू बाबा कहते हैं कि निर्माण कार्य में करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए लेकिन जो उम्मीद थी वह अधूरी ही रह गई। कुछ सुविधाएं जरूर बेहतर हुई पर जल्दबाजी में मूल आवश्यकताओं पर ही ध्यान नहीं दिया गया।

18 करोड़ से कराए गए हैं काम

नमामि गंगे के तहत घाटों का सौंदर्यीकरण इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड कंपनी कर रही है। सीनियर मैनेजर का दावा है कि इन पर 18 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। इनमें सीढि़यां बनवाना, रेलिंग, शौचालय, चेजिंग रूम आदि का निर्माण कराया गया है।

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ये 13 घाट हुए थे चयनित : पत्थर, बारादरी, ब्रह्मावर्त, तुलसीराम, सीता, भैरव, रानी लक्ष्मीबाई, कौरव, भरत, कौशल्या, पांडव, छप्पर और लक्ष्मण।

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अगर कहीं से पत्थर टूटने की शिकायत मिलती है, तो बदलवा देते हैं। ब्रह्मावर्त घाट पर चेंजिंग रूम को लेकर पालिका के अफसरों से बात की थी पर जगह की उपलब्धता न होने के चलते वह काम नहीं हो पाया। इसी तरह अगर कुछ कमियां रह गई हैं, तो उन्हें दूर कर देंगे।

-तनवीर जहीर, सीनियर मैनेजर इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड


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