शरीर में ही जीवित रहता है एचआईवी का वायरस
कानपुर, जागरण संवाददाता : एचआईवी एड्स को लेकर तमाम भ्रांतियां हैं। यह ह्यूमन इम्युनडिफिशिएंशी वायरस
कानपुर, जागरण संवाददाता : एचआईवी एड्स को लेकर तमाम भ्रांतियां हैं। यह ह्यूमन इम्युनडिफिशिएंशी वायरस (एचआईवी) यह सिर्फ मनुष्य के शरीर में ही जीवित रह सकता है। शरीर से बाहर आने के 25 सेंकेंड के भीतर मर जाता है। अगर संक्रमित व्यक्ति को मच्छर या कीड़े-मकोड़े काटकर दूसरे को काटते हैं तो भी संक्रमण नहीं होगा।
यह बातें गुरुवार को एड्स दिवस पर विश्वविद्यालय सभागार में 'एचआईवी-मिसकन्सेप्शन्स एंड रियलिटीज' पर हुई कार्यशाला में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की हेड प्रो. किरन पांडेय ने कहीं।
उन्होंने एचआईवी एड्स के सम्बन्ध में छात्र-छात्राओं की कई भ्रांतियां दूर की। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ उठने-बैठने, हाथ मिलाने या गले मिलने से नहीं फैलता है। संक्रमित मां से बच्चे को संक्रमण की संभावना कम होती है, बशर्ते वह नियमित चेकअप व इलाज कराती रहें। एचआईवी का संक्रमण होने पर भी व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। उसे नियमित चेकअप, समय से दवाएं, खानपान में ध्यान देकर रोग प्रतिरोधक क्षमता को मेंटेन रखना होगा। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से दूसरे संक्रमण हावी होने लगते हैं। इस दौरान छात्र-छात्राओं ने कई सवाल किए। इसमें एचआईवी एड्स के विन्डो पीरियड का तात्पर्य, झूठा केक खाने से एचआईवी एड्स हो सकता है, गर्भवती मां से बच्चे को संक्रमण हो सकता है।