डिफेंस कॉरिडोर के लिए आइआइटी से हाथ मिलाएंगी 150 कंपनियां, मोबाइल एप पर किसानों का डाटा
चित्रकूट से अलीगढ़ तक डिफेंस कॉरिडोर के लिए आइआइटी में बने टेक्नोपार्क से शुरुआत होगी।
कानपुर, जेएनएन। चित्रकूट से अलीगढ़ तक बनने वाले डिफेंस कॉरिडोर में निवेश के लिए देश और विदेश की नामी कंपनियां तैयार हैं। रक्षा उत्पाद और सुरक्षा उपकरण बनाने के लिए इन्हें नई तकनीक की जरूरत है। इसे विकसित करने के लिए तकरीबन 150 कंपनियां आइआइटी कानपुर के साथ करार करेंगी। संस्थान में बने टेक्नोपार्क से इसकी शुरुआत होगी। कंपनियां यहीं कार्यालय खोलकर अनुसंधान और विकास सेल (आर एंड डी) गठित करेंगी।
इसके अलावा एक टेक्नोपार्क बारासिरोही के पास आइआइटी की 20 एकड़ जमीन पर बनाया जाएगा। इसके निर्माण की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईडा) को दी गई है। यहां पर कंपनियां अनुसंधान और विकास सेल की सहायता से शोध के बाद रक्षा उत्पाद तैयार करेंगी। टेक्नोपार्क के इंचार्ज प्रो. अविनाश अग्रवाल ने बताया कि आइआइटी कानपुर में स्टील्थ विमान, वायरलेस सिस्टम, रोबोट्स, सर्विलांस सिस्टम, फाइव जी नेटवर्क, मानव रहित विमान, साइबर सिक्योरिटी पर काम चल रहा है।
कई रिसर्च में सफलता भी मिल गई है, उनका पेटेंट कराया जा रहा है। कुछ उत्पादों के प्रोटोटाइप तैयार हो चुके हैं। डीआरडीओ, बीईएल, विटॉल, विप्रो, एचएएल समेत कई कंपनियों के प्रोजेक्ट भी चल रहे हैं। फिलहाल संस्थान में बने टेक्नोपार्क में नौ कंपनियां काम कर रही हैं। दो मार्च को इसका पहला फाउंडेशन डे है। आइआइटी के साथ काम करने की शर्त होगी कि टेक्नोपार्क में कंपनियों को लीज पर जगह दी जाएगी। वह अपना ऑफिस खोल सकेंगी और उन्हें आइआइटी के साथ मिलकर काम करना होगा।
भूमि अधिग्रहण के किसानों का बनेगा डाटा बैंक
डिफेंस कॉरिडोर से जुड़े किसानों का ऑनलाइन डाटा बैंक तैयार किया जाएगा। इसके लिए डिफेंस कॉरिडोर नाम से मोबाइल एप बनाया जाएगा, जिसमें जमीन देने वाले किसानों की पूरी जानकारी होगी। एप में साढ़ में प्रस्तावित डिफेंस कॉरीडोर से जुड़े किसानों का नाम, कितनी भूमि ली गई, कितना मुआवजा दिया गया, कितने किसान भूमिहीन हो गए आदि का विवरण होगा। सरकार कानपुर, लखनऊ, आगरा, चित्रकूट, झांसी व अलीगढ़ में डिफेंस कॉरिडोर की स्थापना करने जा रही है।
नर्वल तहसील के साढ़ गांव में कॉरिडोर के लिए 216 हेक्टेयर भूमि चिह्नित की गई है। इसमें 178 हेक्टेयर भूमि किसानों की है, जबकि शेष ग्राम समाज की है। कुल 979 किसानों से जमीन ली जानी है। शासन भूमि अधिग्रहण के लिए 175 करोड़ की पहली किस्त जिला प्रशासन को दे चुका है। किसानों से आपसी सहमति के आधार पर भूमि की रजिस्ट्री कराने का कार्य शुरू कर दिया गया है।
एक क्लिक पर पूरा डाटा होगा सामने
डीएम ब्रह्मदेव राम तिवारी ने एसडीएम नर्वल को निर्देश दिए हैं कि डिफेंस कॉरिडोर के लिए एक मोबाइल एप बनाएं, जिसमें अधिग्रहण से जुड़े किसानों की पूरी जानकारी फीड की जाए। यदि किसी किसान की मृत्यु हो गई है तो उसके वारिसों का नाम दर्ज किया जाए। इससे पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन व रिकार्ड पेपर लेस हो जाएगा। जरूरत के समय एक क्लिक पर पूरा डाटा सामने होगा। एसडीएम नर्वल रिजवाना शाहिद ने बताया कि बहुत जल्द मोबाइल एप पर किसानों से संबंधित पूरा डाटा उपलब्ध कराया जाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।