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सर्दी-जुकाम व बुखार में एंटीबायोटिक जरूरी नहीं

सामान्य तौर पर ठंडक में बच्चों को सर्दी-खांसी, जुकाम और बुखार में एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं हो

By Edited By: Published: Tue, 19 Jan 2016 07:11 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2016 07:11 PM (IST)

सामान्य तौर पर ठंडक में बच्चों को सर्दी-खांसी, जुकाम और बुखार में एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत नहीं होती है। यह पर्याप्त आराम, उचित खुराक व घरेलू उपचार से ही ठीक हो जाता है। विशेष परिस्थितियों में निमोनिया होने या कान से मवाद आने पर ही एंटीबायोटिक देनी चाहिए। यह सुझाव वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राज तिलक ने दिए। उन्होंने दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर में बच्चों में सांस एवं एलर्जी संबंधित रोग के बारे में पाठकों के सवालों का जवाब देकर भ्रांतियां दूर कीं।

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0 बच्चों में श्वांस रोग का कैसे पता करें। अंशू, श्यामनगर।

- जुकाम, खांसी, पसली चलना, सांस लेने में दिक्कत होना, बच्चों में पांच फीसद से अधिक इस्नोफिल होना एलर्जी के लक्षण हैं।

0 साढ़े तीन माह के बच्चे के रोने में खर्राटे जैसी आवाज आती है। गौरव श्रीवास्तव, आचार्य नगर।

- लै¨रगोमलेंशिया बीमारी है। स्वर बॉक्स की मांसपेशियां ढीली होने पर बोलने या रोने पर जोर लगाने पर खर्राटे जैसे आवाज आती है। यह उम्र के साथ ठीक हो जाती है।

0 सर्दी से बच्चों का बचाव कैसे करें। प्रकाश साहू, नवाबगंज।

- बच्चों को ढंककर रखें। सिर व कान अच्छी तरह ढंके। धूल, धुआं व प्रदूषण से बचाएं।

0 बेटी को सोते समय खर्राटे अधिक आते हैं। सुधीर कुमार सिन्हा, गुजैनी।

- नाक के पीछे की भाग में रूकावट की वजह से खर्राटे आते हैं। टांसिल बढ़ने या नाक में एलर्जी की वजह से भी दिक्कत होती है। इससे आब्सट्रेक्टिव स्लीप एप्निया भी हो सकता है।

0 बच्चों को जल्दी खांसी-जुकाम होता है। स्वर्ण भदौरिया, काकादेव।

- जिन बच्चों में एलर्जी की समस्या होती है। उन्हें सामान्य के मुकाबले वायरल इंफेक्शन जल्दी होता है।

0 भतीजे की नाक बंद रहती है, जुकाम रहता है। विकास वर्मा, महेश्वरी मोहाल।

- उसे एलर्जिक राइनोसाइनोसाइटिस है। जिन बच्चों के माता-पिता के परिवारों में एलर्जी की समस्या होती है। उन्हें ऐसी दिक्कत हो सकती है। एलर्जी के निदान से काबू पा सकते हैं।

0 बच्चे को सर्दी-खांसी व बुखार है। -इंदरजीत सिंह, गुमटी।

- सामान्य वायरल इंफेक्शन का असर सात से नौ दिन तक रहता है। बच्चे के खानपान में विटमिन ए, विटमिन डी और जिंक दिए जाने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। बच्चों में हिब, काली खांसी, खसरा, न्यूमोकोकस और फ्लू के टीके अवश्य लगवाएं।

0 एक माह का बच्चा है, उसे फ्लू से कैसे बचाएं। अंकित मिश्र, लाजपत नगर।

- बच्चे को फ्लू से बचाने के लिए मां को फ्लू की वैक्सीन लगवाएं। बच्चे को सिर्फ मां का दूध ही पिलाएं। आने-जाने वालों से बच्चे को दूर रखें। विटामिन डी की बूंदें नियमित पिलाएं।

0 बच्चा सोते-सोते सांस लेने में दिक्कत की वजह से अचानक जाग जाता है। राकेश, लाल बंगला।

- बच्चे को चाइल्ड हुड अस्थमा है। एलर्जी की वजह से ऐसा होता है। इनहेलर से लाभ मिलेगा।

0 बच्चे को लंबे समय तक इनहेलर चलाने का साइड इफेक्ट तो नहीं। सिर्फ एस्थालिन देने से कोई नुकसान है क्या। अभिषेक उत्तम, सरसौल, प्रकाशवीर आर्य गोविंद नगर।

- इनहेलर दो प्रकार के होते हैं। राहतकारी और बचावकारी। दोनों ही प्रकार के इनहेलर दिए जाने चाहिए। सिर्फ एस्थालिन देने से कम होने के बजाय खतरा बढ़ सकता है।

0 नौ साल के बेटे का वजन 50 किलो है। कमरजीत, लाजपत नगर।

- नौ साल के बच्चे का वजन 27 किलो होना चाहिए। बच्चे को आउट डोर गेम के लिए प्रेरित करें। घी, तेल, मलाई, क्रीम, मक्खन और तली चीजें न खिलाएं। खाने में अंकुरित अनाज, फल व हरी सब्जियां दें।

0 तीन साल के बच्चे को साल में पांच-छह बार नजला हो जाता है। अभिषेक, शांति नगर।

- शहरों में सर्दी जुकाम साल में 8-10 बार होना सामान्य बात है। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं।

0 बेटी की सांस फूलती है। अंजू चावला, दबौली, टेंपो स्टैंड।

- ऐसा श्वसन तंत्र एवं हृदय दोनों की परेशानी से हो सकता है। स्पायरोमेट्री और ईको कार्डियोग्राफी कराएं।

0 साढ़े सात साल के बच्चे का 28 किलो वजन है, जरा सा दौड़ने पर हांफने लगता है। अनुराधा यादव, रावतपुर गांव।

- बच्चे का वजन अत्याधिक है। मोटापे की वजह से सांस नली के आसपास फैट जमा हो जाता है। फेफड़े सिकुड़ जाते हैं। इस वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है।

0 सात साल की बच्ची को एलर्जी की समस्या है। दीपिका मिश्रा, परमट।

- बच्ची को देखने के बाद ही दवा की डोज निर्धारित करना संभव है।

निमोनिया को कैसे पहचानें

सर्दी-खांसी और बुखार से ग्रस्त बच्चे में यदि तेज सांस चले व सांस लेने में दिक्कत हो तो इसे निमोनिया समझना चाहिए। तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।

एलर्जी के लक्षण

सर्दी-जुकाम बराबर रहना अथवा जल्दी ठीक न होना। छींकें बहुत आना, त्वचा में एलर्जी व एग्जिमा, खून की जांच में इस्नोफीलिया, डस्ट एलर्जी, जो से हंसते-हंसते, रोते-रोते अथवा दौड़ भाग करने में खांसी आना, सांस में सीटी जैसे आवाज व निबोलाइजर देने पर आराम मिलना। ये एलर्जी के संकेत हैं।

प्रस्तुति : प्रवीन शर्मा, ऋषि दीक्षित।


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