वायुमंडल के जहर से जिंदगी पर ग्रहण
कानपुर, जागरण संवाददाता: प्रदूषण रोकने की सभी कवायदें फेल हो रही हैं। पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर
कानपुर, जागरण संवाददाता: प्रदूषण रोकने की सभी कवायदें फेल हो रही हैं। पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदूषक तत्व वायुमंडल से हटने या घटने का नाम नहीं ले रहे हैं। यही वजह कि लोगों को बीमारियां अपनी गिरफ्त में ले रही हैं। एनजीटी ने दिल्ली में सख्ती करके दस साल पुराने वाहन प्रतिबंधित कर दिए लेकिन अन्य राज्यों में भी प्रदूषण की स्थिति बेहद खराब है।
शहर में पांच सालों के अंदर पैदा हुई प्रदूषण की स्थिति पर नजर डालें तो हालात बदतर होते जा रहे हैं। इसमें उद्योग, वाहन, घरेलू ईधन, सड़कें व कचरा वायु प्रदूषण बढ़ाने में बराबर के जिम्मेदार हैं। वायु प्रदूषण बढ़ाने में उद्योग 25 फीसद, वाहन 25 फीसद, घरेलू ईंधन 10 फीसद और सड़कें व कचरा 40 फीसद योगदान दे रहे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दिल्ली में दस साल पहले के वाहनों पर तो प्रतिबंध लगाने के निर्देश दे दिए लेकिन अन्य राज्यों की स्थिति भी अलग नहीं है। दिल्ली के सेकेण्ड हैंड वाहन बेचने के लिए यूपी एक बड़ा बाजार है। उधर प्रदूषण नियंत्रण विभाग वायु प्रदूषण के लिए शहर में सबसे अधिक दोषी खोदाई को मान रहे हैं जो श्वांस रोगियों के लिए बेहद खतरनाक है।
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शहर में वायु प्रदूषण बढ़ने का बड़ा कारण जगह जगह हो रही खोदाई है। शहर में वाहनों व गैसीय प्रदूषण उतना अधिक नहीं है। खोदाई में मानकों का प्रयोग करके इसे घटाया जा सकता है। -टीयू खान, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग।