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सफर बना सजा, ट्रेनों का नहीं पता

(सीन एक) बेंच नहीं होने के कारण रात से ही ट्रेनों का इंतजार कर रहे तमाम परिवार प्लेटफार्म नंबर एक

By Edited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 10:49 PM (IST)Updated: Mon, 22 Dec 2014 10:49 PM (IST)

(सीन एक)

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बेंच नहीं होने के कारण रात से ही ट्रेनों का इंतजार कर रहे तमाम परिवार प्लेटफार्म नंबर एक के हाल में ठंडी फर्श पर चादर बिछाए बैठे थे। दिन में जरा सी धूप दिखते ही ठंड से बचने के लिये छोटी सी जगह पर पचास से अधिक यात्री सो रहे थे।

(सीन दो)

दोपहर 12.30 बजे नई दिल्ली से पुरी जा रही स्वर्णजयंती एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर दो पर आती है। ट्रेन के आरक्षण कोच में पानी नहीं है। कई कोच गंदे हैं। दर्जनों भूखे यात्री प्लेटफार्म पर कूदते हैं लेकिन खाने का कोई ठेला नहीं है, समोसा, बिस्कुट जो मिलता है, यात्री टूट पड़ते हैं।

(सीन तीन)

दोपहर 12.40 बजे गोरखपुर जाने वाली गोरखधाम एक्सप्रेस प्लेटफार्म नंबर छह पर आती है। ट्रेन अभी पूरी तरह रुक भी नहीं पायी कि दर्जनों भूखे यात्री चलती ट्रेन से पूड़ी सब्जी का ठेला देखकर कूद पड़ते हैं। दर्जनों लोग हाथ में बोतल लिए नलों की ओर से दौड़ पड़ते हैं।

(सीन चार)

सिटी साइड के पूछताछ काउंटर पर ट्रेनों की जानकारी लेने के लिये लोग टूटे पड़ रहे हैं। एनई एक्सप्रेस को पहले 10 घंटे फिर समय बदलकर 12 घंटे लेट कर दिया गया है। इलेक्ट्रानिक बोर्ड पर भी ट्रेनों की स्थिति स्पष्ट नहीं है, लेट लिखा है, कितनी लेट है, कोई जानकारी नहीं है।

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जमीर, सिद्दीकी, कानपुर :

पटना के पुनाईचक निवासी एसके त्रिपाठी पत्‍‌नी व 12 साल के बेटे के साथ बीते 24 घंटे से सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर जोगबनी एक्सप्रेस का इंतजार कर रहे हैं। रात किसी तरह गुजरी, सोमवार पूर्वाह्न 11 बजे हलकी धूप निकली तो परिवार के चेहरे पर सफर की उम्मीद चमकी, पर इसी बीच 25 घंटे लेट चल रही आनंद विहार से पटना जाने वाली जोगबनी एक्सप्रेस को अनिश्चितकाल के लिए लेट घोषित कर दिया गया। पीड़ित परिवार का कहना है कि ये यात्रा जिंदगी भर नहीं भूलेगी। यही मना रहे हैं कि बस किसी तरह सही सलामत घर पहुंच जाएं।

कोहरे के कहर से ट्रेनों की बिगड़ी चाल के कारण तमाम परिवार स्टेशन पर ट्रेनों के इंतजार में ठिठुर रहे हैं और सही जानकारी के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं, पर कोई बताने वाला नहीं है कि उनकी ट्रेन कब आएगी। दूसरी ट्रेन में आरक्षण मिलेगा नहीं, लिहाजा यात्रियों के सामने अपनी ट्रेन से ही जाने की मजबूरी है। रेलवे भी दो-दो घंटे करके ट्रेनों के लेट होने की सूचना आगे बढ़ा रहा है, इस कारण यात्री इस भय से घर वापस नहीं जा पा रहे कि कहीं ट्रेन छूट न जाए। कोहरा हर साल सफर की मुसीबत बनता है। लेकिन रेलवे प्रशासन इसका तोड़ नहीं खोज पाया है। खामियाजा यात्रियों को तो भुगतना ही पड़ता है, रेलवे को भी आर्थिक क्षति होती है। यही नहीं कोहरे के दौरान यात्रियों के लिए स्टेशनों पर कोई इंतजाम भी नहीं किये जाते? सेंट्रल स्टेशन पर सोमवार को यात्रियों के खाने पीने, कोचों में पानी व्यवस्था, ट्रेनों की सफाई और यात्रियों को सर्दी से बचाने के लिये अलाव, ट्रेनों की सही जानकारी जैसी व्यवस्थाएं तार-तार नजर आई।

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ट्रेनों की बैलगाड़ी चाल

ø सोमवार को सेंट्रल स्टेशन से नई दिल्ली की शताब्दी एक्सप्रेस सुबह 6 बजे रवाना हुई लेकिन शाम 4 बजे के बाद नई दिल्ली पहुंची।

ø अवध एक्सप्रेस सुबह 6 बजे कानपुर सेंट्रल से चली जो दोपहर 3 बजे टुंडला पहुंच सकी।

ø रविवार को ब्रह्मपुत्र एक्सप्रेस सुबह 6 बजे सेंट्रल स्टेशन से चली और रात 11 बजे नई दिल्ली पहुंची।

ø रविवार की दिल्ली से अलीपुर द्वार जाने वाली महानंदा एक्सप्रेस का सोमवार शाम तक पता नहीं था। इस ट्रेन का समय सेंट्रल स्टेशन पर दोपहर 3.15 बजे है। ट्रेन 25 घंटे से भी अधिक लेट चल रही थी।


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