मिशन शक्ति में 107 मुकदमे, एक माह में होगी सजा
शासन को भेजा गया मुकदमों का डाटा दिन प्रतिदिन सुनवाई की प्रक्रिया शुरू
केस एक : कल्याणपुर पुलिस ने 2006 में दुष्कर्म, आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मुकदमा दर्ज किया। आरोपित विजय अग्निहोत्री के खिलाफ 2007 में सुनवाई शुरू की गई। 13 वर्ष बाद भी मामले में निर्णय नहीं हुआ। शासकीय अधिवक्ता प्रदीप साहू बताते हैं कि मामला साक्ष्य पर है।
केस दो : रेल बाजार पुलिस ने दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने में 2017 में पति जहीर अब्बास के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मामले पर जनपद न्यायाधीश सुनवाई कर रहे हैं। मामला अंतिम बहस पर चल रहा है। मिशन शक्ति की सूची में यह मुकदमा शामिल किया गया है।
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जागरण संवाददाता, कानपुर : मिशन शक्ति को लेकर सरकार गंभीर है। इसे लेकर पुलिस और अभियोजन दोनों ने अपने स्तर पर कार्यवाही तेज कर दी है। एक ओर जहां अभियोजन ने ऐसे महिला अपराधों से जुड़े 107 मुकदमों की सूची बनाई है, जिसमें एक माह में सजा कराने का लक्ष्य तय किया है, वहीं मुकदमों से जुड़े साक्ष्य समय पर कोर्ट लाने की जिम्मेदारी पुलिस को दी गई है। खबर में दिए गए दो केस इसी सूची का हिस्सा हैं। डीजीसी क्रिमिनल ने इसके लिए सभी सहायक शासकीय अधिवक्ताओं से महिलाओं के प्रति हुए गंभीर अपराधों की सूची मांगी थी। उन्होंने 107 मुकदमों की सूची दी है, जिसमें नवंबर के अंत तक अथवा दिसंबर के प्रारंभ तक सजा कराई जाएगी। डीजीसी क्रिमिनल बताते हैं कि चुने गए मुकदमों में दिन प्रतिदिन सुनवाई शुरू कराई गई है। 10-15 दिनों के भीतर चुने गए मुकदमों में सजा होने लगेगी।
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यह मुकदमे चुने गए
सजा कराने के लिए अभियोजन ने उन मुकदमों को चुना है, जो लंबे समय से सुनवाई पर चल रहे हैं। इसके साथ ही जो या तो अंतिम बहस पर लगे हैं या साक्ष्य अभियुक्त के स्तर पर हैं। बता दें, यह मुकदमों की सुनवाई का अंतिम पड़ाव होता है।
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मिशन शक्ति के तहत गंभीर महिला अपराधों से जुड़े 107 मुकदमों की सूची बनाई गई है। इन सभी में एक माह भीतर सजा का लक्ष्य अभियोजन ने तय किया है। सूची प्रशासन के साथ ही शासन को भी भेज दी गई है।
दिलीप कुमार अवस्थी, डीजीसी क्रिमिनल