छात्रों के कंधे पर बंदूक रख निशाना साध रहा फुपुक्टा
कानपुर, शिक्षा संवाददाता : इसे उप्र विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ (फुपुक्टा) की कमजोरी कहें या सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति कि लाखों परीक्षार्थियों की परीक्षा के कंधे पर बंदूक रख सरकार पर दागने की कोशिश हो रही है। सवाल है कि आखिर मांगें मनवाने का क्या आखिरी रास्ता अपने ही शिष्यों का भविष्य दांव पर लगाना ही बचा है?
फुपुक्टा का मांगों को लेकर प्रायोगिक परीक्षा बहिष्कार का एलान फिलहाल छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) व मेरठ विश्वविद्यालय पर भारी पड़ रहा है क्योंकि प्रदेश भर में फिलहाल इन्हीं विश्वविद्यालयों में प्रयोगात्मक परीक्षाएं शुरू हुई हैं। शायद इसीलिए यहां के कई कालेजों के अधिकांश परीक्षक बहिष्कार का बहिष्कार कर प्रयोगात्मक परीक्षा करा रहे हैं। दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलाधिपति बीएल जोशी ने विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रशंसा की थी कि सीएसजेएमयू का सत्र नियमित चल रहा है और यहां समय से परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं। यदि परीक्षा बहिष्कार लंबा खिंचा तो विश्वविद्यालय की साख को धक्का लगना तय है। उधर परीक्षार्थी, अभिभावक और शिक्षाविद सवाल उठा रहे हैं कि आखिर अपनी मांगों को मनवाने के लिए शिक्षक परीक्षार्थियों का भविष्य ही दांव पर क्यों लगाते हैं। उनके पास अनशन व अन्य विकल्प भी हैं। पिछले सत्र में मूल्यांकन का बहिष्कार कर परिणाम घोषणा में देरी कराई थी।
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कहां है कमजोरी
सपा में सक्रिय भागीदारी रखने के बावजूद फुपुक्टा नेताओं व फेडरेशन के सामने यह एक बड़ा सवाल है कि अभी तक मांगों के बाबत उनकी उच्च शिक्षा मंत्री (मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास) से एक भी भेंट नहीं हो पाई जबकि प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षकों के संगठन मुख्यमंत्री से कई बार मिलकर कई समस्याओं का समाधान भी करा चुके हैं।
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ये हैं मुख्य मांगें
-2006 से 2008 तक के तमाम एरियर का भुगतान
-पदोन्नतियों के लिए यूजीसी रेगुलेशन-10 का क्रियान्वयन।
-चुनाव पूर्व वायदे के मुताबिक मानदेय शिक्षकों का विनियमितीकरण
- तदर्थ शिक्षक-शिक्षिकाओं का विनियमितीकरण
- सेवानिवृत्त आयु (अधिवर्षिता) 65 साल करे जाने
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मांगों को लेकर अगस्त में धरना, फिर एक दिन का कार्य बहिष्कार, दिसंबर में 4 दिन का अनशन। फिर भी सरकार बात करने तक को तैयार नहीं हुई तो बहिष्कार का फैसला करना पड़ा। मांगें न मानी तो लिखित परीक्षा का भी बहिष्कार होगा।
-डॉ. कृपाशंकर सिंह, अध्यक्ष फुपुक्टा
सरकार बनने के बाद से उच्च शिक्षा में छात्रसंघ चुनाव अधिसूचना के अलावा कोई पत्र तक जारी नहीं हुआ। सपा नेता होने के नाते व्यक्तिगत और फुपुक्टा की ओर से मुख्यमंत्री से गुहार की पर नतीजा शून्य रहा। इसीलिए बहिष्कार का फैसला हुआ।
- डॉ. विवेक द्विवेदी, महामंत्री फुपुक्टा
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