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चर्चा में आया मामला तो फर्जीवाड़े की दी गई तहरीर

संवाद सूत्र सिकंदरपुर कोरोना संक्रमण के बीच बैंक से किसानों के साथ लाखों रुपये का फर्जीवा

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Jun 2021 07:42 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jun 2021 07:42 PM (IST)
चर्चा में आया मामला तो फर्जीवाड़े की दी गई तहरीर
चर्चा में आया मामला तो फर्जीवाड़े की दी गई तहरीर

संवाद सूत्र सिकंदरपुर: कोरोना संक्रमण के बीच बैंक से किसानों के साथ लाखों रुपये का फर्जीवाड़ा हो गया। मामला चर्चा में आया तो कोतवाली में तहरीर देकर खानापूर्ति कर ली गई। वहीं पुलिस मामले की जांच कर सभी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कह रही है।

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आर्यावर्त ग्रामीण बैंक सिकंदरपुर इस समय क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। यहां पर गांव नगला सदारी निवासी मालती देवी के 50,000 रुपये पार कर दिए गए। इसके अलावा किसान ऋतुराज सिंह, कल्याण सिंह, रवि दुबे, सुनील बाथम, मोनू रावत व सुशीला देवी सहित कई अन्य भी फर्जीवाड़े का शिकार हुए । मामला चर्चा में आया तो बुधवार को गांव करमुल्लापुर निवासी श्याम बाबू यादव बैंक पहुंचे। उन्होंने डेढ़ लाख रुपये का गोलमाल होने की जानकारी दी। शिव मोहन बाथम ने 6,000 एवं महेंद्र बाथम ने 15,000 की फर्जी रसीद होने की बात कही। किसानों से जुड़ा मामला होने की वजह से अधिकारी भी सक्रिय हो गए। मामले की पड़ताल शुरू हुई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बैंक कर्मी शैलेंद्र शर्मा ने कोरोना संक्रमण के बीच गेट से रुपयों का लेनदेन किया। उन्हें रसीदें दीं, जिन्हें अब बैंक कर्मी फर्जी बता रहे हैं। वहीं, बुधवार को शाखा प्रबंधक रोहित कुमार ने करीब 5.39 लाख के फर्जीवाड़े की जानकारी देते हुए संविदा कर्मी शैलेंद्र कुमार के खिलाफ कार्रवाई को तहरीर दी। उन्होंने अप्रैल मास से गड़बड़ी होने की बात कही। प्रभारी निरीक्षक विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि शाखा प्रबंधक ने प्रार्थना पत्र दिया है। मामले में किसान लाखों रुपये के गोलमाल की आशंका जता रहे हैं। बिदुवार जांच की जाएगी। संविदा कर्मी का साथ देने वाले अन्य कर्मियों की भी जांच होगी। जो भी दोषी होंगे, उन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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फर्जीवाड़े की किसी को नहीं लगी भनक

किसानों का कहना है कि संविदा कर्मी लगातार रुपये लेकर फर्जीवाड़ा करता रहा। यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है कि अन्य कोई बैंक कर्मी इसमें संलिप्त नहीं है। अनभिज्ञता जता रहे बैंक कर्मियों की भी भूमिका संदिग्ध है। इन सभी की जांच होनी चाहिए। इनके मोबाइल नंबरों का भी डिटेल निकलवा कर पड़ताल कराई जानी चाहिए। इससे किसानों को न्याय मिल सके। उनकी मेहनत की कमाई वापस खातों में भेजी जा सके।


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