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सूखती पौध को टैंकर के पानी का सहारा

संवाद सहयोगी छिबरामऊ धरती को हरा-भरा बनाने के लिए डायट परिसर में अस्थाई पौधशाला श

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 10:56 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 10:56 PM (IST)
सूखती पौध को टैंकर के पानी का सहारा
सूखती पौध को टैंकर के पानी का सहारा

संवाद सहयोगी, छिबरामऊ : धरती को हरा-भरा बनाने के लिए डायट परिसर में अस्थाई पौधशाला शुरू की गई। पानी का प्रबंध न होने से प्रतिदिन दो-तीन टैंकर पानी किराए पर मांगकर इनकी सिचाई की जा रही है।

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जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में करीब एक एकड़ परिसर वन विभाग को अस्थाई तौर पर जिलाधिकारी के आदेश पर दिया गया है। यहां पर पौधों को तैयार किया जाना है। जनवरी 2019 से इसकी शुरुआत कर दी गई। वर्तमान समय में परिसर में 1.90 लाख पौधे तैयार किए जा रहे हैं। पौधों के लिए पानी की उपलब्धता एक बड़ी समस्या बन गई है। वन विभाग की ओर से अब तक सबर्मिसबल पंप नहीं लगाई गई है। ऐसे में किराए पर टैंकर मंगवाकर सिचाई की जाती है। तीसरे दिन पूरी जमीन को नम करने के लिए निजी व्यक्ति की सबर्मिसबल पंप से पानी किराए पर लिया जाता है। इसमें कर्मियों को परेशानी होती है लेकिन अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। पानी के अभाव में पौधों के सूखने की भी चिता बनी रहती है। 35 हजार में बोरिग संभव नहीं

वन विभाग की ओर से सबर्मिसबल पंप की बोरिग को 35 हजार रुपये दिए जा रहे हैं। बोरिग पर ही करीब 80 हजार रुपये का खर्च है। इसको लेकर कोई भी बोरिग करवाने की हिम्मत नहंी जुटा पा रहा है। प्रति टैंकर 200 से 300 रुपये होते खर्च

पौधों की सिचाई को प्रतिदिन तीन टैंकर पानी किराए पर मंगाया जाता है। इसके लिए प्रति टैंकर 200 से 300 रुपये भुगतान किया जाता है। वहीं सबर्मिसबल पंप भी तीसरे दिन चार घंटे चलती है। एक घंटे का 150 रुपये किराया देना पड़ता है। पौधे तैयार करने में पानी की समस्या होती है। इसकी सूचना अधिकारियों को दी जा चुकी है। बोरिग के लिए अधिक बजट की आवश्यकता है। एक बार फिर से अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया जाएगा।

रामसिंह पाल, वन दारोगा


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