कोरोना कर्फ्यू से तरबूज किसानों को भारी नुकसान
संवाद सूत्र ठठिया महामारी के दौर में तरबूज का उत्पादन करने वाले किसानों को भारी नुकस
संवाद सूत्र, ठठिया : महामारी के दौर में तरबूज का उत्पादन करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ। कारण, आसपास क्षेत्रों में संक्रमण के खौफ से मंडी नहीं लग रही। इससे किसान खुले बाजार में फसल नहीं बेच पा रहे।
थाना क्षेत्र से निकली ईशन नदी के आसपास गांव में अधिकांश किसानों ने तरबूज की फसल बोई थी। उम्मीद थी कि किसानों को तरबूज में काफी फायदा होगा, लेकिन हकीकत में फसल की लागत भी नहीं निकल पा रही। मन्नापुर्वा महसैया, भुलभुलियापुर, महाबलीपुर्वा, हरौली में आलू की पक्की फसल खोदाई के बाद तरबूज की खेती करते हैं। बीते वर्ष भी लॉकडाउन के चलते किसानों को नुकसान हुआ था और इस बार भी उम्मीद पर पानी फेर गया है। मंडी बंद होने से किसान तरबूज को औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर है।
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आलू की पक्की फसल खोदाई के बाद करीब 4 एकड़ में तरबूज की फसल बोई थी। दो वर्ष से तरबूज की खेती में लागत भी नहीं निकल पा रही। इस वर्ष किसान तीन रुपये किलो के हिसाब से तरबूज की बिक्री कर रहे।
हरिश्चंद्र निवासी मन्नापुर्वा तरबूज का बीज 35 से 40 हजार रुपये किलो से खरीदा था। इसके बाद खेतों की जोताई, सिचाई व मजदूरी भी हो रही। फसल बिक्री में लागत नहीं निकल पा रही। इससे किसान कर्जदार हो रहे और काफी नुकसान हो रहा।
सुरेंद्र सिंह निवासी मन्नापुर्वा सात एकड़ में फसल बोई है। इसमें प्रति बीघा करीब सात हजार रुपये लागत है। तरबूज की दुर्दशा हो गई और उत्पादन बेहतर है, लेकिन दाम बेहतर नहीं मिल रहे। इससे किसानों को नुकसान हो रहा।
प्रभू दयाल निवासी मन्नापुर्वा 30 वर्ष से आलू खोदाई के बाद तरबूज की खेती कर रहे है। शुरुआत के दिनों में बीज अपने घरों में तैयार कर लेते थे, लेकिन अब बीज से लेकर दवाएं तक खरीदनी पड़ती है। इससे लागत ज्यादा और घाटा हो रहा है।
ओमप्रकाश निवासी मन्नापुर्वा