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नमो देव्यै: ) 'रश्मि' ने फैलाया शिक्षा का उजियारा

नोट रश्मि को कामा में कर दें। फोटो 22 केएनजे 14 व 15 प्रेरणादायी -मुस्लिम बहुल ग

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 07:45 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 07:45 PM (IST)
नमो देव्यै: ) 'रश्मि' ने फैलाया शिक्षा का उजियारा

नोट : रश्मि को कामा में कर दें। फोटो : 22 केएनजे 14 व 15 प्रेरणादायी

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-मुस्लिम बहुल गांव रिजगिर में जगाई शिक्षा की अलख

-बच्चों को निजी खर्च से दी कॉपियां, टाई, बेल्ट व आइकार्ड प्रशांत कुमार, कन्नौज: बुलंद हौसलों से सफलता की इबारत लिखी जा सकती है। वर्तमान को बेहतर कर भविष्य को हर हाल में संवारा जा सकता है। स्कूली बच्चों को पढ़ाने के साथ ही संस्कारित और सभ्य बनाना कठिन कार्य है। ऐसे में एक रश्मि ऐसी है, जिसने शिक्षा का उजियारा कर गांव को ही जगमग कर दिया। सदर ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय रिजगिर (देवकली बांगर) की प्रधानाध्यापक रश्मि द्विवेदी ने नाम के अनुरूप गांव में शिक्षा की असंख्य रश्मियों (किरणों) को प्रदीप्त किया। करीब सात साल पहले काली नदी के किनारे बसे इस गांव की तस्वीर भी काली थी। मुस्लिम बहुल गांव होने के कारण यहां शिक्षा का कोई माहौल नहीं था। गांव के लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने की बजाय खेतों में काम करवाते थे। 23 अगस्त 2013 को जब रश्मि की वहां तैनाती हुई तो उन्होंने इस परिपाटी को तोड़ने का वीणा उठा लिया। विद्यालय में महज 40 बच्चे आते थे, जबकि सैकड़ों बच्चे घूमते रहते थे। उन्होंने अभिभावकों से संपर्क किया तो वह भी बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार नहीं हुए। पहली साल में छात्र संख्या में इजाफा हुआ। आज स्थिति यह है कि विद्यालय में 202 बच्चे पंजीकृत हैं, जिसमें 158 मुस्लिम बच्चे हैं। रश्मि के मुताबिक गांव के लोगों में शिक्षा का अभाव था। कई बच्चे से घर से गंदे कपड़े पहन कर आते थे। जब उन बच्चों को साफ-सुथरे कपड़े पहनकर आने के लिए घर भेज देतीं थीं तो उनकी मां स्कूल चली आतीं थी और कहतीं थीं कि इससे क्या फायदा होगा। इसके बाद उन्होंने घर जाकर स्वच्छता का महत्व बताया, जिससे कुछ दिनों में जागरूकता आई और सभी बच्चे प्रतिदिन नहाकर आने लगे।

कान्वेंट से कम नहीं प्राइमरी स्कूल प्राथमिक विद्यालय रिजगिर इस समय कान्वेंट स्कूल से कम नहीं है। इंग्लिश मीडियम विद्यालय में सभी बच्चों को रश्मि ने अपने निजी खर्च से विद्यालय का नाम छपी हुई कापियां दीं। इसके अलावा छात्र दैनंदिनी, टाई, बेल्ट व आइकार्ड दिए, जिससे बच्चों में एकरूपता आई। रश्मि ने बताया कि विद्यालय के स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक अध्यापक भावना कटियार, राजेश कुमार, संदीप कुमार, मोहम्मद सईद खान व शिक्षामित्र रेशमा का भी योगदान रहा है। रश्मि के पति अमित मिश्रा भी जिले के आदर्श शिक्षकों में जाने जाते हैं।


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