ईंधन की कमी से खतरे में इत्र उद्योग
जागरण संवाददाता, कन्नौज : जिले को विरासत के तौर पर मिला डेढ़ हजार साल पुराना इत्र कारोब
जागरण संवाददाता, कन्नौज : जिले को विरासत के तौर पर मिला डेढ़ हजार साल पुराना इत्र कारोबार ईंधन की कमी के कारण खतरे में है। लखनऊ से दिल्ली तक गुहार लगाने के बाद भी उद्यमियों की समस्याएं हल होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। ईधन की कमी के कारण कारोबार प्रभावित है। पेड़ों की कटान से भट्ठियां जलाने के लिए लकड़ी नहीं मिल रही हैं। अवैध लकड़ी की कटान से क्षेत्र वीरान हो गए हैं। हरदोई व आसपास के पड़ोसी जिलों से लकड़ियां मंगाई जाती है। जो अक्सर न मिलने के कारण कारखाने बंद करने पड़ते हैं। इससे निजात दिलाने के लिए सैकड़ों उद्यमी सपा सरकार से गैस पाइप लाइन की मांग करते आ रहे हैं। अब भाजपा सरकार में एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत शहर में पाइप लाइन बिछाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। लेकिन अब तक कोई विचार नहीं हुआ है। अधिकांश कारोबारी दिल्ली, महाराष्ट्र, चेन्नई, मुंबई, अहमदाबाद समेत बड़े शहरों का रुख कर रहे हैं। इस कारण यहां का पुस्तैनी कारोबार कम हो रहा है। एक नजर कारोबार पर
छोटे व बड़े इत्र कारखाने : 300
उत्पादन : अगरबत्ती, धूपबत्ती, परफ्यूमरी, चंदन पाउडर।
कारोबारी संख्या : करीब 17,000
कारोबार प्रतिवर्ष : 400 करोड़
कर चुकाते : प्रतिवर्ष 40 करोड़ रुपये कारोबारी बोले
ईंधन की कमी के कारण कारोबार घट रहा है। फिरोजाबाद की तर्ज पर शहर में गैस पाइप लाइन बिछाने का प्रस्ताव एक जिला एक उत्पाद योजना में रखा है। लेकिन अब तक विचार नहीं हुआ है। प्रदेश सरकार से लेकर केंद्र तक गुहार लगा चुके हैं।
-पवन त्रिवेदी, महामंत्री, द अतर्स एंड परफ्यूमर्स एसोसिएशन। -उद्योग बंधु की बैठक में भी कोई सुनवाई नहीं होती है। कारोबार के लिए लकड़ियां नहीं मिलती हैं। आसपास जिलों में भी दिक्कत है। इससे कारखाने बंद करने पड़ते हैं। कारोबारी परेशान हैं।
-आकाश जैन, इत्र कारोबारी।