दो बजे के बाद मरीजों की छुट्टी, जड़ दिया जाता ताला
संवाद सहयोगी, तिर्वा : ओपीडी का समय पूरा, अब दो बज गया। सभी मरीज अपने घर जाओ, अब कल फिर स
संवाद सहयोगी, तिर्वा : ओपीडी का समय पूरा, अब दो बज गया। सभी मरीज अपने घर जाओ, अब कल फिर से भर्ती होने के लिए आ जाना। अब विभाग में ताला लगा दिया जाएगा। यह हालात राजकीय मेडिकल कालेज के आइसीयू के हैं। मानकों के कागज दुरुस्त रखने के लिए सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार के मरीजों को भर्ती किया जाता है।
राजकीय मेडिकल कालेज का आइसीयू विभाग सिर्फ कागजों में ही चल रहा। मरीजों को भर्ती करने से लेकर डॉक्टरों की ड्यूटी व अन्य अभिलेखों को चुस्त और दुरुस्त रखने के लिए आइसीयू ओपीडी के वक्त सुबह आठ बजे खुल जाता और दोपहर दो बजे के बाद विभाग में ताला जड़ दिया जाता। कोई वीआइपी निरीक्षण होने पर आइसीयू में सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, पेट व सिर दर्द जैसे मरीजों को भर्ती कर दिया जाता। इसके बाद हालात जस के तस हो जाते हेैं। यहां पर रोजाना करीब 10 मरीज आइसीयू के जरूरतमंद आते हैं, लेकिन इमरजेंसी में प्राथमिक उपचार के बाद उनको कानपुर रेफर कर दिया जाता है। इससे मरीजों को काफी मुसीबतें उठानी पड़ती हैं। इसके अलावा एनआइसीयू, पीआइसीयू, एसआइसीयू व आइसीसीयू का तो महीनों से ताला नहीं खुला, तो मरीज भर्ती होने का कोई औचित्य ही नहीं होता। बेड व वेंटीलेटर पर धूल जम गई। तीमारदार स्वदेश कुमार, नरेंद्र बहादुर, वीर ¨सह, अहमद अली, राजवीर ¨सह, स्वाती वर्मा समेत कई लोगों ने बताया कि जरूरत पड़ने पर कभी मरीज को आइसीयू नहीं मिलता और इमरजेंसी में प्राथमिक उपचार के बाद कानपुर, लखनऊ व सैफई के लिए रेफर कर दिया जाता है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
डॉक्टरों की कमी के कारण दिक्कतें आ रहीं हैं । आइसीयू में मरीजों को भर्ती किया जाता, लेकिन स्थायी डॉक्टर न होने से भर्ती मरीज को दिक्कत हो सकती है। उसकी जान बचाने के लिए रेफर कर दिया जाता है।
-डॉ. दिलीप ¨सह, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, राजकीय मेडिकल कालेज