मदद नहीं मिली तो बना दिया लकड़ी का इज्जतघर
प्रशांत कुमार, कन्नौज बेटी की तकलीफ देख शौचालय बनवाने का फैसला किया। ग्राम प्रधान से मदद
प्रशांत कुमार, कन्नौज
बेटी की तकलीफ देख शौचालय बनवाने का फैसला किया। ग्राम प्रधान से मदद मांगी जो नहीं मिली तो खुद ही लकड़ी का इज्जतघर बना मिसाल पेश कर दी। उनका यह कदम अब दूसरे लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है।
यह शख्स हैं छिबरामऊ विकास खंड की ग्राम पंचायत हमीरपुर के मजरा भोगपुर निगोह में रहने वाले विशुन दयाल बहेलिया। वह बताते हैं कि बेटी राधिका खुले में शौच जाती थी। आर्थिक तंगी की वजह से शौचालय बनवाना मुश्किल था। जब स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों के लिए अनुदान मिलने लगा तो उम्मीद जगी कि अब शौचालय का निर्माण हो जाएगा लेकिन प्रधान ने बेरुखी दिखाई। ब्लॉक स्तर तक चक्कर लगाए लेकिन सरकारी मदद नहीं मिल सकी। इस पर उन्होंने खुद ही शौचालय बनाने का फैसला किया और लकड़ी से इज्जतघर बनाकर तैयार कर दिया।
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मजदूरी करते हैं दोनों बेटे
गरीबी का दंश झेल रहे विशुनदयाल और उनके दोनों बेटे लेखराज और संजय घर चलाने के लिए मजदूरी करते हैं। उनकी बेटी समाजशास्त्र से परास्नातक है। 2016 में बीटीसी करने के बाद प्राथमिक विद्यालय भोजपुर निगोह में सहायक अध्यापिका के पद पर तैनात है।
ये हमारी नैतिक जिम्मेदारी
शिक्षिका बेटी से मदद लेने के सवाल पर विशुनदयाल कहते हैं कि बेटी की सुरक्षा पिता का दायित्व है। जब मैं सक्षम हूं तो पैसे क्यों लूं। उन्होंने इसी साल जनवरी माह में बेटी की शादी कर दी है। हालांकि शिक्षण कार्य की वजह से वह मायके में ही रह रही है।
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ग्राम पंचायत के बेस लाइन सर्वे में कई लाभार्थियों का नाम शामिल किया गया था। उनके खातों में राशि भेजी गई लेकिन उन्होंने शौचालय नहीं बनवाए। यही सोचकर विशुन दयाल को पैसा नहीं दिया।
- राजीव यादव, प्रधान पति हमीरपुर