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खेतों में पयार जला तो नौकरी से होंगे बाहर

- सीडीओ ने एटीएम व बीटीएम को दी चेतावनी जिम्मेदारी तय - सैरिख में सैटेलाइट से पकड़ी गई

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Oct 2021 05:47 PM (IST)Updated: Sat, 23 Oct 2021 05:47 PM (IST)
खेतों में पयार जला तो नौकरी से होंगे बाहर

- सीडीओ ने एटीएम व बीटीएम को दी चेतावनी, जिम्मेदारी तय

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- सैरिख में सैटेलाइट से पकड़ी गई पयार की घटना पर फटकारा

जागरण संवाददाता, कन्नौज : किसी भी दशा में खेतों पर पयार नहीं जलने चाहिए। कृषि, राजस्व व ग्राम्य विकास विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाए। पयार जला तो कृषि विभाग के ब्लाक टेक्निकल मैनेजर व असिस्टेंट टेक्निकल मैनेजर नौकरी से बाहर होंगे। यह बातें सीडीओ आरएन सिंह ने बैठक में कहीं।

शनिवार को विकास भवन सभागार में फसल अवशेष प्रबंधन पर सीडीओ आरएन सिंह ने बैठक की। इस दौरान कृषि, राजस्व, ग्राम्य विकास, बाल पुष्टाहार, एनआरएलएम समेत अधिकांश विभाग के अधिकारी व कर्मचारी रहे। सीडीओ ने बताया कि बैठक का मुख्य उद्देश्य खेतों पर धान के पयार जलाने से रोकना व किसानों को जागरूक करना है। हर ग्राम पंचायत पर सबकी जिम्मेदारी तय है। कृषि विभाग के प्राविधिक सहायक, ब्लाक टेक्निकल मैनेजर (बीटीएम) व असिस्टेंट टेक्निकल मैनेजर (एटीएम) दिनरात निगरानी करें। किसी भी हालत में पयार खेतों पर नहीं जलना चाहिए। किसानों को जागरूक कर उन्हें प्रबंधन के लिए प्रेरित करें। इसके बाद भी पयार जला तो एटीएम व बीटीएम नौकरी से बाहर होंगे। हाल में सौरिख में पयार जलने की घटना संबंधित को पता न चल सैटेलाइट के माध्यम से दिल्ली से एनजीटी ने ट्रेस की थी। इस पर संबंधित एटीएम से कारण पूछा और फटकार लगाई। उपनिदेशक कृषि आरएन सिंह ने कहा कि यूरिया मिलाकर पयार खेतों में सड़ाकर इस्तेमाल होते हैं, जो खाद का काम करते हैं। यह जानकारी भी किसानों को दी जाए। बैठक में डीसी मनरेगा दयाराम यादव, एलडीएम अभिषेक सिन्हा, जिला कृषि अधिकारी आवेश सिंह, भूमि संरक्षण अधिकारी उपेंद्रनाथ खरवार रहे।

ग्राम पंचायतें गोशाला में भेजेंगी पयार

सीडीओ ने पयार प्रबंधन को लेकर बनी रणनीति बताई। कहा, गोशालाओं के आसपास की ग्राम पंचायतें निर्धारित की गई हैं, जहां किसान पयार न जलाकर गोशालाओं के लिए देंगे। प्रधान व सचिव खेतों से पयार इकट्ठा कराएंगे और पंचायत स्तर से ट्रैक्टर कर गोशालाओं पर भेजेंगे। यह गोवंशों के चारे के काम आएंगे। इस काम में जो खर्च आएगा वह ग्राम निधि से किया जाएगा। इसलिए किसी बजट या संसाधनों का बहाना नहीं चलेगा। जो किसान खेतों में इस्तेमाल करना चाहते हैं उन्हें सड़ाने के लिए विभाग की तरफ से डी-कंपोजर कैप्सूल दिए जाएंगे।


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