पैर की हड्डी तोड़ने पर चार साल का कठोर कारावास, तीन हजार रुपये जुर्माना
पैर की हड्डी तोड़ने पर चार साल कठोर
पैर की हड्डी तोड़ने पर चार साल का कठोर कारावास, तीन हजार रुपये जुर्माना
जागरण संवाददाता, कन्नौज : मारपीट कर पैर की हड्डी तोड़ने पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने तीन आरोपितों को दोष सिद्ध करते हुए चार वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है और पीड़ितों को जुर्माने की रकम देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के आदेश पर दोष सिद्ध अपराधियों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। 15 साल पुराने इस मामले में तीनों आरोपित जमानत पर बाहर थे।
अभियोजन अधिकारी रवींद्र पचौरी ने बताया कि तिर्वा कोतवाली क्षेत्र के ग्राम मदनापुर निवासी रामकुमार ने 20 अप्रैल 2007 को मुकदमा दर्ज कराया था कि वह शाम को तीन बजे के करीब अपने भाई रामचंद्र व भाभी चैता देवी के साथ खेत की मेड़ पर खड़े थे। उसी समय गांव के मुंशीलाल, विद्यासागर व सर्वेश ने वहां आकर झगड़ा कर दिया। आरोपितों ने उन्हें लाठी-डंडों व लात-घूसों से पीट दिया। आरोपितों ने उनके भाई रामचंद्र की बाएं पैर की हड़्डी तोड़ दी, जबकि भाभी को भी काफी चोटें आईं। शोरगुल सुनकर गांव के लोग आ गए, जिस पर तीनों आरोपित वहां से भाग गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर तीनों आरोपितों के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। गुरुवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नंदकुमार ने मुंशीलाल, विद्यासागर व सर्वेश को दोष सिद्ध किया और मारपीट में छह माह का कठोर कारावास, पैर की हड्डी तोड़ने में चार वर्ष का कठोर कारावास व दो हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। जुर्माने की रकम अदा न करने पर 20 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। वहीं अपशब्द कहने पर एक वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। उन्होंने बताया कि सभी सजा एक साथ चलेंगीं। अभियोजन अधिकारी ने बताया कि कोर्ट ने पीड़ित शास्त्र के अंतर्गत घायल रामकुमार, रामचंद्र व चैता देवी को प्रतिकर के रूप में एक-एक हजार रुपये एक माह के अंदर देने के आदेश दिए हैं।