गंगा की रेती पर खेती, सिकुड़ रही धारा
जागरण संवाददाता, कन्नौज : रेती पर खेती के कारण पतित पावनी मां गंगा की धारा सिकुड़ती जा रह
जागरण संवाददाता, कन्नौज : रेती पर खेती के कारण पतित पावनी मां गंगा की धारा सिकुड़ती जा रही है। दरअसल, पानी कम होने पर खाली बची जमीन पर कटरी माफिया कब्जा कर किसानों को लगान पर दे रहे हैं। वहीं किसान के खेती करने से गंगा दूषित होने के साथ सिकुड़ती जा रही है।
गंगा की सिकुड़ती धारा और जल संकट को देखते हुए पूर्व एसडीएम अरुण कुमार सिंह ने इन कटरी माफियाओं व किसानों के कब्जे से 2200 बीघा जमीन मुक्त कराई थी। साथ ही सीओ सिटी लमीकांत गौतम ने खुद खड़ी फसल को ट्रैक्टर से नष्ट की थी। इस कार्रवाई के बाद प्रशासन जैसे ही ढीला पड़ा, माफिया फिर से सक्रिय हो गए। मौजूदा हाल में स्थिति यह है कि कटरी माफिया ने हजारों एकड़ जमीन कब्जा कर किसानों को लगान पर दे दी हैं। रेती पर खेती करने से घाट से धारा दूर होने के साथ ही सिुकड़कर बेहद संकरी हो गई हैं।
जलीय जंतुओं को खतरा, पांच माह पहले मर गईं थी मछलियां
रेती पर खेती से किसान गंगा का धारा को नुकसान पहुंचाने के साथ दूषित भी कर रहे हैं। रही बची कसर अफसरों की लापरवाही पूरी कर रही है। हरदोई रोड पुल पर रीयल टाइम वॉटर मानीट¨रग सिस्टम तो लगा है लेकिन परिणाम नहीं मिलते हैं। कानपुर से टीम परीक्षण कर जाती है लेकिन यहां के अफसरों को स्थिति का अंदाजा नहीं लगता। नतीजतन, सहायक नदी काली व गर्रा के सहारे फैक्ट्रियों व नालों का पानी गंगा में सीधे जा रहा है। गंदे पानी में जलीय जंतुओं के लिए खतरा हो गया है। पांच माह पहले ही छोटी-बड़ी मछलियों की मौत हो गई थी। हालांकि अफसर फिर भी नहीं चेते। मेहंदी घाट की तरफ तो सिर्फ काली नदी का जहरीला पानी ही बचा है।
'' कटरी इलाकों में कब्जेदारों के खिलाफ अभियान चलाएंगे। गंगा नदी को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा है। पकड़ने जाने पर कार्रवाई भी करेंगे। ''
- शैलेष कुमार, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/सदर एसडीएम