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मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में दहेज की मांग

जागरण संवाददाता, कन्नौज : कानून की नजर में दहेज भले अपराध माना गया है, लेकिन इस पर नकेल नह

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 Dec 2018 09:53 PM (IST)Updated: Sat, 15 Dec 2018 09:53 PM (IST)
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में दहेज की मांग
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में दहेज की मांग

जागरण संवाददाता, कन्नौज : कानून की नजर में दहेज भले अपराध माना गया है, लेकिन इस पर नकेल नहीं लग पा रही है। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह तक में दहेज की मांग हो रही है। जलालाबाद के वीडीटी इंटर कालेज मैदान में शनिवार को मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में ऐसा मामला सामने आया। सियरमऊ निवासी सुरेंद्र पाल की बेटी खुशबू की शादी इंदरगढ़ के झाऊपुरवा निवासी सुभाष के बेटे रोहित से तय हुई थी। विवाह स्थल पर वर पक्ष काफी इंतजार के बाद भी नहीं आया। खुशबू के भाई गौतम ने मौके पर जिलाधिकारी रवींद्र कुमार से शिकायत की कि रोहित के पिता ने शादी में बाइक मांगी थी। एक दिन पहले 50 हजार रुपये भी दे दिए। इसके बाद भी बरात नहीं आई। इस पर प्रशासन तुरंत हरकत में नहीं आया। मीडिया में मामला उछला तब जाकर प्रशासन जागा। जिलाधिकारी ने कहा कि दहेज प्रथा खत्म कर गरीबों के लिए यह योजना है। इंदरगढ़ एसओ को जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। अन्य जो शादियां नहीं हुई हैं, उनकी भी जांच कराएंगे।

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जींस में दुल्हन, न सिंदूर-न फेरा, हो गई शादी

जींस में दुल्हन, न सिंदूर और न ही फेरा। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में इस तरह की शादी तमाम चर्चाएं और सवाल छोड़ गई। गुगरापुर के मनोरथपुर से आए इस जोड़े के पंजीयन और सत्यापन पर अटकलें लगने लगीं। साधना ने न शादी का जोड़ा पहना था, न ही दूल्हे दीप सिंह ने उसकी मांग भरी, न फेरे लिए। कागजों में ही शादी की रस्म पूरी हो गई। लोगों ने भी जब साधना को टोका तो वह बोली- शादी हो गई है, लेकिन सिंदूर मिटा दिया है। हड़बड़ी में जोड़ा वहां से निकल गया। अफसर पर चुप्पी साध गए। बीडीओ जेएन राव बस इतना बोले, अब जमाना बदल गया है। दोनों ने अपने रीति-रिवाज के अनुसार शादी की है। कोई ड्रेस कोड नहीं है।

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विवाह स्थल से भूखे लौटे कई

मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में जलालाबाद, कन्नौज, गुगरापुर, नगर पालिका कन्नौज व जिला पंचायत से 29 जोड़ों का विवाह होना था। 25 जोड़ ही पहुंचे। जलालाबाद से तीन जोड़े नहीं आए। कार्यक्रम में समाज कल्याण की तरफ से प्रति जोड़ा पांच हजार रुपये खाने-पीने के दिए गए थे। इसके बाद भी बारातियों के स्वागत सत्कार में कमी रह गई। कई लोग भूखे लौट गए। पानी तक की व्यवस्था नहीं रही।


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