डॉक्टरों ने छह दिन के बच्चे को दी नई ¨जदगी, घर में खुशहाली
जागरण संवाददाता, कन्नौज: डॉक्टरों को धरती का भगवान यूं ही नहीं कहा जाता है। छह दिन के
जागरण संवाददाता, कन्नौज: डॉक्टरों को धरती का भगवान यूं ही नहीं कहा जाता है। छह दिन के मासूम को नई ¨जदगी देकर डॉक्टरों ने फिर साबित किया है कि चिकित्सा विज्ञान की उपयोगिता उम्मीदों से कहीं ज्यादा बड़ी है। जन्म के बाद दिमाग की सबसे गंभीर बीमारी पायोजेनिक मेनिनजाइटिस से ग्रसित बालक को नई चिकित्सा पद्धति से केवल 30 दिन के इलाज के बाद ठीक कर मेडिकल साइंस की दुनिया में एक नया अध्याय जोड़ा है।
जिला अस्पताल के एसएनसीयू (सिक एंड न्यू बोर्न केयर यूनिट) में 20 सितंबर को कस्बा ठठिया निवासी तनवीर आलम ने छह दिन के नवजात बेटे को गंभीर हालत में भर्ती कराया था। उसकी बीबी फरजाना ने शहर के एक प्राइवेट अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था। एसएनसीयू के प्रभारी डॉ. सुरेश कुमार यादव ने बालक को भर्ती कर परीक्षण किया तो पता चला कि बालक के दिमाग में कोई समस्या है। इस पर उन्होंने सीएसएफ (सेरिब्रो स्पाइनल फ्लूड) जांच कराई तो पता चला कि उसे दिमागी पायोजेनिक मेनिनजाइटिस है। इसके बाद उसे रेडिएंट वार्मर में रखा गया। बच्चे में को एनीमिया (खून की कमी) भी था, इसलिए उसे एक यूनिट खून भी चढ़ाया गया। विशेष एंटीबायोटिक दवाइयों के माध्यम से 30 दिन में बालक को बिल्कुल ठीक कर दिया गया।
डॉ. सुरेश यादव ने बताया कि आमतौर पर जिला स्तर पर इस बीमारी का इलाज नहीं है। कानपुर और आगरा जैसे शहरों में प्राइवेट अस्पतालों में दो लाख रुपये तक खर्च हो जाते हैं।
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बेटे का नाम रखा अल्लाहरक्खा
फरजाना ने बेटे को नई जिदंगी मिलने पर अस्पताल में ही उसका नामकरण कर दिया। उसने बताया कि प्राइवेट अस्पताल में बच्चे का इलाज करने से मना कर दिया था। जिला अस्पताल में उसके बेटे को अल्लाह ने नई ¨जदगी दी है, इसलिए बेटे का नाम अब अल्लाहरक्खा होगा।