कबाड़ से तैयार डिवाइस बनेगी दिव्यांगों की 'दृष्टि'
प्रशांत कुमार, कन्नौज: उम्र सफलता का पैमाना नहीं होती। कुछ कर गुजरने का जज्बा और हौसला मि
प्रशांत कुमार, कन्नौज: उम्र सफलता का पैमाना नहीं होती। कुछ कर गुजरने का जज्बा और हौसला मिल जाए तो छोटी उम्र में भी बड़ा कमाल किया जा सकता है। जिले के एक बाल वैज्ञानिक ने ऐसा ही कर दिखाया है। उसने कबाड़ की सहायता से एक ऐसी डिवाइस बनाई है जो दिव्यागों को 'दृष्टि' देने में सहायता करेगी। इसके उपयोग के बाद छड़ी का उपयोग करने की जरूरत नहीं रह जाएगी। आगे खतरा होगा तो अलार्म सचेत कर देगा।
यह बाल वैज्ञानिक हैं मोहल्ला खिड़की सरायमीरा निवासी डॉ. श्यामल के 18 वर्षीय बेटे गौरव विश्वास। गौरव ने घर के एक कमरे को मिनी प्रयोगशाला की शक्ल दे दी है। वह बताते हैं कि जिन वस्तुओं को लोग कबाड़ समझकर फेंक देते हैं। वही उनकी प्रयोगशाला का हिस्सा बन जाती हैं। पिछले सात-आठ माह से वह इस ब्लाइंड गॉगल डिवाइस को बनाने में जुटे थे। इसे बनाने में अब तक महज 400-500 रुपये का खर्च आया है। मां रूपा ने बताया कि गौरव बचपन से ही होनहार है। वह कन्हैया लाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज मकरंदनगर में बारहवीं का छात्र है।
ऐसे करेगा काम
ब्लाइंड गॉगल डिवाइस को चश्मे के साथ जोड़ा गया है। इसकी बेल्ट घुटने तक जाती है और वहां भी इसका एक हिस्सा लगाया जाता है। मसलन सिर के सामने कोई बाधा होगी या फिर पैरों के सामने एक मीटर तक कोई चीज आएगी तो डिवाइस में एक अलार्म बजेगा जिससे दिव्यांग खतरे को भांप सकेंगे।
ये डिवाइस भी बनाई
-स्केच मशीन
-होम सिक्योरिटी डिवाइस
-ड्रोन
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राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में करेंगे प्रस्तुत
ब्लाइंड गॉगल डिवाइस बनाने वाले गौरव का चयन राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी के लिए हुआ है। गौरव के मुताबिक विद्या भारतीय अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की ओर से दिबियापुर में आयोजित ज्ञान-विज्ञान मेले में सबसे पहले इस डिवाइस को प्रदर्शित किया था। जहां अव्वल आए थे। साथ ही स्केच मशीन, होम सिक्योरिटी डिवाइस को भी सराहना मिली थी। इसके बाद बलिया में क्षेत्रीय स्तर की प्रदर्शनी में इस डिवाइस को प्रथम स्थान हासिल हुआ था। अब वह उड़ीसा में 16 नवंबर से 23 नवंबर तक होने वाली राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में इसे प्रस्तुत करेंगे।