कन्नौज में ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा फसल बीमा क्लेम
जागरण संवाददाता कन्नौज प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा ह
जागरण संवाददाता, कन्नौज : प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। योजना का फायदा बीमा कंपनी उठा रही है। हरवर्ष अलग-अलग कंपनी रबी व खरीफ फसल का बीमा कर 50 फीसद किसान व 50 फीसद सरकार से लेकर करोड़ों रुपये प्रीमियम लेती आई है और नुकसान होने पर क्लेम लाखों में भुगतान हुआ है। किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को बीमा की जानकारी तक नहीं होती है, क्योंकि किसानों के न चाहते हुए भी बैंकें उनके खाते से प्रीमियम काट लेती थी और एकमुश्त धनराशि बीमा कंपनी को ट्रांसफर करतीं थीं। प्रीमियम कटने के बाद भी हजारों किसान पोर्टल पर फीडिग न होने से योजना से बाहर हो जाते थे। इस कारण किसानों का रुझान योजना के प्रति कम हुआ है। हालांकि बीमा कंपनी की मनमानी से इस वर्ष खरीफ में नई गाइडलाइन जारी कर किसानों की सहमति पर फसल का बीमा किया गया है। क्रॉप कटिग के आंकड़े गोलमोल
प्रधानमंत्री फसल बीमा का लाभ दैवीय आपदा होने पर शिकायत व सर्वे के आधार पर मिलता है, जो कंपनी की मनमानी के कारण नुकसान होते हुए भी खानापूरी में निपटता आया हैं। वहीं, अंत में कटाई के दौरान क्रॉप कटिग में झोल होता है, जो चार-चार खेत चिह्नित कर कटाई की उपज का आकलन होता है। यह कार्य लेखपाल व बीमा कंपनी के सहयोग से होता है। इसमें राजस्व कर्मी पारदर्शिता नहीं बरतते हैं और बीमा कंपनी की सहमति पर नुकसान से बचने के लिए आंकड़ों में हेरफेर करते हैं। इसमें पारदर्शिता लाने के लिए राजस्व कर्मियों को मोबाइल दिए गए हैं। सीसी एप पर आंकड़े भरने हैं। अधिकांश के मोबाइल खराब हैं। इसलिए इस बार खरीफ के आंकड़े घर व दफ्तर में बैठकर भरे जा रहे हैं। कट चुकी फसल, क्रॉप कटिग फर्जी
खरीफ फसल में मक्का, धान, बाजरा व तिल का 25,980 किसानों की फसल का बीमा किया गया है। मक्का काफी पहले कट चुकी है पर क्रॉप कटिग के आंकड़ें व उपज का पता नहीं है। धान भी 96 फीसद तक कट चुकी है, लेकिन क्रॉप कटिग महज 40 फीसद तक हुई है। ऐसे में फसल कटने के बाद क्रॉप कटिग पर सवाल उठना लाजमी है। बाजरा व तिल का पता नहीं है। पिछले वर्ष खरीफ में फसल कटने के बाद क्रॉप कटिग फर्जी दिखाकर शासन को आंकड़े भेज गए थे। इन फर्जी आंकड़ों के कारण किसान योजना से वंचित हैं।