एक साल में ही बढ़ गया केले की खेती का रकबा
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जागरण संवाददाता, कन्नौज : आलू बेल्ट में केला की खेती का रकबा अचानक एक वर्ष में काफी बढ़ा है। यहां जलालाबाद ब्लॉक के किशवापुर गांव में अगस्त 2019 में सचिन ने जिले में पहली बार 20 बीघा में केला की खेती की शुरुआत की थी। केला के साथ खेत में बची जगह भी मल्चिग विधि के इस्तेमाल से प्लास्टिक सीट बिछाकर शिमला मिर्च बोई थी। इससे दोनों फसलें सफल हुईं और पहले की अपेक्षा सचिन की आमदनी बढ़ गई। इससे अन्य किसान प्रेरित हुए तो केला की खेती का विस्तार हुआ। जिला उद्यान अधिकारी मनोज कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि विभाग के सहयोग से इस बार अगस्त में 20 किसानों ने आलू के बजाय 145 बीघा में केला की खेती की है। अब मल्चिग विधि से शिमला मिर्च लगाने की तैयारी है। 85 फीसद बेच चुके केला:
सचिन ने बताया कि 13 महीने में केला तैयार होता है। पिछले वर्ष अगस्त में खेती की थी, जो तैयार हो चुकी है। अब तक 85 फीसद पैदावार के साथ उसकी बिक्री भी कर चुके हैं। केला यहीं के व्यापारियों को बिक्री करते हैं, जो कानपुर, लखनऊ व आगरा समेत अन्य शहरों की मंडियों में बेचते हैं। पहले गेहूं, धान, मक्का व आलू की पैदावार करते थे। इसमें एक बीघा में 22 से 23 हजार रुपये लागत आती थी और दस हजार रुपये मुश्किल से बचते थे। केला में एक बीघा में 25 हजार रुपये खर्च आया था और लागत निकाल कर 35 से 40 हजार रुपये कमाई हो रही है। 'आलू, गेहूं व धान से ज्यादा केला में कमाई है। ग्राम किशवापुर के सचिन से फसल की जानकारी कर इस बार 12 बीघा में केला की खेती की है। न्यूनतम 20 रुपये और अधिकतम 40 रुपये दर्जन केला बिकता है। एक पेड़ में 30 किलो तक फल निकलते हैं। इसलिए फायदा है।'
-निर्भय कुमार कटियार, ग्राम सरायमारू, गुगरापुर