वफा रसूल के कदमों की धूल हो जाए
अमरोहा। अंजुमन यादगारे वफा के जेरे अहतमाम मनकबती मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें शायरों ने अपने कलाम पेश का खूब वाहवाही लूटी। मुहल्ला सराय कोहना में माहिरे इल्म व फन के माहिर मुहम्मद अहमद बका की याद में अंजुमने यादगारे वफा के जेरे अहतमाम महफिल का आयोजन किया गया। जिसका आगाज तिलावते कलामे पाक व नाते रसूल से किया गया। शायर शहाब अनवर ने कहा- बताये आप को मियां कहां कहां बका रहे, जहां जहां अदब रहा वहां वहां बका रहे। डा.लाडले रहबर ने कहा- वसूल कीमते इश्के रसूल हो जाये, वफा रसूल के कदमों की धूल हो जाये। जुबैर इब्ने सैफी ने फरमाया- सन दो हजार तेरह थी नौ जनवरी की शाम, इस वक्त जिन्दगी की मुद्दत हुई। पंडित भुवनेश शर्मा ने कहा- शहरे अदब की आन और शान थे बका, जलवा हुनर का अपने दिखा कर चले गये। उस्ताद शायर अफसर हसन बेग ने कहा- ये तो सच है फानी है जिन्दगी लेकिन, वफा वफा है वफा को कभी फना ही नहीं। शीबान कादरी ने कहा- खिल रहे है आज हर लब पर दुआओं के गुलाब, हश्र तक महके इलाही तुरबते हजरत वफा। महफिल की सदारत शायर हसन बेग ने जबकि निजामत शीबान कादरी ने की। इस मौके पर महबूब जैदी, जियाउद्दीन उस्मानी, डा.शमीर, तलहा सिद्दीकी, मुहम्मद ताहा, मुदस्सिर, इन्तेखाब, आरिफ सिद्दीकी, शमीम अब्बासी मौजूद थे।
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