झांसी के बबीना में ऑपरेशन इंद्र में दिखा रूस और भारतीय सेना का दमखम
ऑपरेशन इंद्र में पहली बार भारत की मैकेनाइज्ड इंफेंट्री हिस्सा ले रही है। रूस की सेना भारतीय सेना की आतंकी गतिविधि और सैन्य ऑपरेशन के साथ युद्ध लडऩे के कौशल से रूबरू हो रही है।
बबीना [निशांत यादव]। उत्तर प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर के रूप में विकसित हो रहे झांसी में भारतीय सेना ने युद्ध का अभ्यास भी शुरू कर दिया है। बबीना में रूसी सेना के साथ भारत के अभ्यास को देखते हुए लोग बेहद रोमांचित महसूस कर रहे थे।
एक तरफ भारत माता की जय का उद्घोष करते भारतीय सेना के जांबाज थे तो दूसरी तरफ रूसी सेना के जवानों का जुनून। जिस टी 90 टैंक का लोहा दुनिया मान चुकी है, वे टैंक कल बबीना फायरिंग रेंज में खूब गरजे। रूस के साथ चल रहे संयुक्त युद्धाभ्यास ऑपरेशन इंद्र 2018 में रूस और भारत की सेना ने दमखम दिखाया।
ऑपरेशन इंद्र में पहली बार भारत की मैकेनाइज्ड इंफेंट्री हिस्सा ले रही है। ऑपरेशन इंद्र में रूस की सेना भारतीय सेना की आतंकी गतिविधि और सैन्य ऑपरेशन के साथ युद्ध लडऩे के कौशल से रूबरू हो रही है। झांसी की व्हाइट टाइगर डिवीजन इस ऑपरेशन को आयोजित कर रही है। इसमें रूस की 5 आर्मी और भारत की 5 मैकेनाइज्ड इंफेंट्री के जवान हिस्सा ले रहे हैं। इसमें भारत और रूस के 250-250 जवान इसमें शामिल हैं।
बबीना में रूस के जवान भारतीय सेना के टी 90 टैंक, बीएमपी और बोफोर्स के साथ अभ्यास कर रहे हैं। कल टी 90 टैंक से भारतीय सेना ने सटीक निशाना लगाकर लक्ष्य को भेद दिया। उनके साथ कॉम्बैट व्हीकल बीएमपी ने भी फायरिंग की। यूएन मिशन में बीएमपी के भीतर जवान अपने लक्ष्य के करीब पहुंचकर दुश्मन को नेस्तनाबूद करते हैं। रूस ने ही भारत को टी 90 और बीएमपी दिए हैं। भारत की ओर से 31 आम्र्ड के जीओसी मेजर जनरल पीएस मिन्हास और रूस की ओर से उनके समकक्ष की निगरानी में दोनों सेनाएं अभ्यास कर रही हैं।
इस दौरान हाउस क्लीयरेंस (किसी घर में आतंकियों के घुसे होने पर उनको मार गिराने) में दोनों सेना के जवानों ने अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया। इससे पहले हेलीकॉप्टर से 10 पैराट्रूपर को रेंज में उतारा गया। वो एक बिल्डिंग पर चढ़े और नीचे की ओर जंप लगा दी। नीचे घर में घुसते ही उन्होंने एक के बाद एक आतंकियों को मारने की कार्रवाई को अंजाम दिया।
टैंकथान में जलवा बिखेरेगा टी 90
अगले साल होने वाले टैंकथान में बबीना में अभ्यास कर रही 42 आम्र्ड हिस्सा लेगी। पिछली बार टी 90 ने ही जलवा बिखेरा था और भारत दूसरे देश का हथियार इस्तेमाल करते हुए भी विजेता बना था। इस प्रतियोगिता में 23 देशों ने हिस्सा लिया था। अगले साल होने वाले इस आयोजन की तैयारी बबीना में शुरू हो गई है। आम्र्ड की सभी 65 रेजिमेंट से उनके नंबर वन जवानों का ब्योरा तैयार किया जा रहा है।
फरवरी में चयन प्रक्रिया पूरी करने के बाद मार्च से अभ्यास शुरू हो जाएगा। कुल 65 जवानों में से अंतिम 12 का चयन होगा। कुल 45 टी 90 टैंक का ट्रायल होगा, जिनमें से चार टी 90 टैंक वहां जाएंगे। वहां 48 किलोमीटर के रिले के दौरान फायरिंग सहित कई इवेंट होंगे।
सबसे अलग दुनिया की सबसे बड़ी एक्सरसाइज
झांसी के बबीना फायरिंग रेंज में भारत और रूस की सेनाओं के बीच हो रहा अभ्यास अलग है। रूसी सेना के जवानों को इंग्लिश नहीं आती। वो केवल रसियन भाषा ही बोलेते और समझते हैं। भारत और रूस की सेना के बीच संवाद बनाने के लिए दोनों सेना के पास वह जवान और अफसर हैं, जो अनुवादक का काम करते हैं। इससे भारतीयों को जहां रूसी भाषा की जानकारी हो रही है, वहीं रूसी सेना के पास हिंदी बोलने वाले अधिकारी भी हैं। रूसी जवान वैसे तो स्पोर्ट में हिस्सा लेते हैं, लेकिन बबीना में वे सुबह उठकर योग भी करते हैं।
क्यों चुना मैकेनाइज्ड इंफेंट्री को
मैकेनाइज्ड इंफेंट्री भारत के हाई एल्टीट्यूड एरिया में तैनात है। इसको इंफेंट्री और आम्र्ड को मिलाकर बनाया गया है। मैकेनाइज्ड इंफेंट्री का उद्घोष साहस या विश्वास है। इसने अब तक पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन रक्षक, कारगिल में ऑपरेशन विजय, श्रीलंका के ऑपरेशन पवन के साथ यूएन मिशन में हिस्सा लिया है। इसको किंग ऑफ बैटल भी कहा जाता है।