झाँसी : भगवान के बाद धरती पर ईश्वर का दर्जा डॉक्टर को दिया गया है। मरी़ज और तीमारदार चिकित्सक के पास यही सोचकर पहुँचते है कि वे उन्हे एक बार फिर वैसा बना दे, जैसा वे पहले भाग-दौड़ किया करते थे। ऐसा ही एक मामला पिछले दिनो ़िजला चिकित्सालय मे आया, जहाँ एक महिला को डॉक्टर ने समय से उपचार देकर उसे लाचार होने से बचा लिया है। इस मामले मे महिला की पुत्री के हौसले और जागरूकता की भी तारीफ करनी होगी कि उसने समय पर चिकित्सक के पास पहुँचकर माँ का इलाज कराया।

कोतवाली के छनियापुरा निवासी श्रीमती शीला कुशवाहा मध्यमवर्गीय परिवार की महिला है। लगभग एक सप्ताह पहले सुबह जब शीला सोकर उठी, तो सब ठीक-ठाक था। सुबह लगभग 10 बजे अचानक शीला के दाहिने हाथ-पैर मे अकड़न-सी होने लगी और एक आँख बन्द भी हो गई। इसी के साथ मुँह सिकुड़ने और जीभ टेढ़ी होने लगी। परिवार के लोग कुछ समझ पाते, इससे पहले ही शीला ़जमीन पर गिर पड़ी। शीला की पुत्री चाहत, जो एक नर्सिग होम मे काम करती है, बिना समय गँवाये अपनी माँ को ़िजला चिकित्सालय लेकर पहुँची। यहाँ वरिष्ठ फि़िजशन डॉ. डीएस गुप्ता ओपीडी मे मरी़जो का परीक्षण कर रहे थे। इस समय इमरजेसी केस लेना चिकित्सको के लिए काफी कठिनाई वाला होता है, लेकिन डॉ. गुप्ता ने अधीनस्थ चिकित्सको और कर्मचारियो की मदद से शीला का परीक्षण कर सबसे पहले उसका सीटी स्कैन करवाया। इसकी रिपोर्ट से सा़फ हो गया कि शीला को लकवा मार गया है। उन्होने परिजनो की लिखित मंजूरी के बाद मामले की रिपोर्ट अपने उच्चाधिकारियो को देते हुए शीला को आइसीयू मे भर्ती कराया और उसे सरकार द्वारा उपलब्ध कराया गया इंजेक्शन लगाया। इंजेक्शन लगने के 6 घण्टे बाद शीला के हाथ-पैर काम करना शुरू हो गये। शीला के होश मे आते ही परिजनो के चेहरे पर खुशी छा गई। 24 घण्टे बाद ही शीला पूरी तरह से ठीक हो चुकी थी।

शिक्षित बेटी ने बचा लिया माँ की जीवन

शिक्षा कितनी ़जरूरी है, इसे साबित किया शीला की बेटी चाहत ने। चाहत सही समय पर माँ को लेकर चिकित्सालय नही जाती, तो कुछ भी हो सकता था।

50 ह़जार रुपये का है इंजेक्शन, मुफ्त लगेगा

सरकार ने लकवा के मरी़जो के इलाज के लिए इंजेक्शन मुफ्त मे लगाने को कहा है। यदि लकवा लगने के 4 घण्टे के अन्दर आप सरकारी चिकित्सालय मरी़ज को लेकर जाते है, तो निश्चित ही आप अपने मरी़ज को इस बीमारी से बचा सकते है।

14 मरी़जो को ठीक कर प्रदेश मे पाया पहला स्थान

लकवा की बीमारी से ग्रसित 14 मरी़जो को ठीक कर डॉ. दयाशंकर गुप्ता ने प्रदेश मे पहला स्थान प्राप्त किया है। इसको लेकर उन्हे दिल्ली एवं लखनऊ मे सम्मानित भी किया गया है।

बीमारी से सम्बन्धित मरी़ज व तीमारदार करे सम्पर्क

यदि आपका कोई सगा-सम्बन्धी इस बीमारी की चपेट मे है, तो इसकी जानकारी के लिए ़िजला चिकित्सालय के कमरा क्रमांक 3 मे जाकर फि़िजशन डॉ. डीएस गुप्ता से अपराह्न 2 बजे के बाद मुलाकात कर सकते है।

अमरा का छोरा बना विलेन

झाँसी : कड़ी मेहनत और लगन की बदौलत उसे फिल्म मे काम करने का मौका मिल गया है। जल्द ही यह युवक एक फिल्म मे विलेन का किरदार निभाता हुआ ऩजर आएगा।

मोठ के ग्राम अमरा मे रहने वाले मयंक तिवारी पुत्र प्रमील कुमार रीत मोशन पिक्चर्स के बैनर तले बन रही फिल्म 'क्या आशिकी है हमको बताओ' मे ऩजर आएंगे। इस फिल्म के डायरेक्टर विनोद गुर्जर है। फिल्म मे मयंक का किरदार विलेन का है। फिल्म को अलका याग्निक, जावेद अली और पामिला जैन ने अपनी आवा़ज से सजाया है। फिल्म का आइटम सौग 'मजे उड़ाओ आराम से' पिछले दिनो रिलीज कर दिया गया। फिल्म मे स्वच्छता और राजनीति को लेकर सन्देश दिया गया है।