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झांसी में मुआवजा नहीं, तो अब प्लॉट के बदले प्लॉट देगा राजस्व विभाग

हवाई अड्डा बनने से ललितपुर न केवल आर्थिक सामरिक व व्यापारिक दृष्टि से पूरी दुनिया में जाना जाएगा बल्कि पर्यटन का हब भी बनेगा। इसके साथ ही जनपद में विकास के नए आयाम स्थापित होंगे।जनपद स्तर पर हवाई अड्डा निर्माण की दिशा में तेजी से काम शुरू हुआ।

By Edited By: Mohammed AmmarThu, 25 May 2023 09:39 PM (IST)
झांसी में मुआवजा नहीं, तो अब प्लॉट के बदले प्लॉट देगा राजस्व विभाग
झांसी में मुआवजा नहीं, तो अब प्लॉट के बदले प्लॉट देगा राजस्व विभाग

ललितपुर ब्यूरो : हवाई अड्डा निमार्ण में अपनी जमीन देने से इंकार कर रहे करीब 50 भू-स्वामियों को राजस्व विभाग ने एक ओर विकल्प देते हुए प्लॉट के बदले प्लॉट देने की नीति अपनाई है। इसके लिए 50 में 15 लोगों ने विभाग के समक्ष अपना आवेदन भी प्रस्तुत कर दिया है।

विभाग उन्हें नेहरूनगर क्षेत्र में उतनी ही कीमत का प्लॉट उपलब्ध कराएगा। फिलहाल राजस्व महकमा हवाई अड्डा निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में हर सम्भव प्रयास में जुटा है। दावा है कि जल्द ही भूमि अधिग्रहण कर नागरिक उड्डयन विभाग को सौंप दी जाएगी। भूमि अधिग्रहित के पश्चात भूमि एयरपोर्ट अथॉरिटी को सौंप दी जाएगी। इसके बाद हवाई अड्डे का निर्माण कार्य शीघ्र दिशा में होगा।

हवाई अड्डा बनने से ललितपुर न केवल आर्थिक, सामरिक व व्यापारिक दृष्टि से पूरी दुनिया में जाना जाएगा, बल्कि पर्यटन का हब भी बनेगा। इसके साथ ही जनपद में विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। कैबिनेट की मंजूरी के बाद जनपद स्तर पर हवाई अड्डा निर्माण की दिशा में तेजी से काम शुरू हुआ।

जनपद स्थित हवाई पट्टी के विस्तार व उसके हवाई अड्डे के रूप में विकास एवं अन्य संबंधित कार्यों के लिए 2 ग्रामों ललितपुर हद बाहर एवं अन्दर (शहरी) तथा सिवनीखुर्द (ग्रामीण) की कुल 91.773 हेक्टेयर (226.77 एकड़) निजी भूमि को आपसी समझौते के आधार पर भूमि क्रय किए जाने हेतु 87 करोड़ 41 लाख 82 हजार 628 रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई थी।

अलग-अलग किश्तों में भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजे की राशि भी विभाग को सुपुर्द कर दी गयी है। मुआवजे का कार्य भी राजस्व महकमें द्वारा युद्धस्तर पर किया गया। उप जिलाधिकारी सदर के नेतृत्व में तहसीलदार, नायब तहसीलदार, कानूनगो, लेखपाल आदि की टीमें लगातार इस काम में जुटी हुयी हैं। 2021 में शुरू हुआ यह कार्य इस समय अन्तिम चरणों में है। 2.893 हेक्टेयर भूमि को छोड़कर शेष भूमि अधिग्रहीत की जा चुकी है। इस भूमि को अधिग्रहीत किए जाने में तमाम पेंच बने हुए हैं।

इनमें कुछ भू-स्वामी जहाँ अपनी जमीन देने में आनाकानी कर रहे हैं, तो कुछ के वाद कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट में चल रहे विवादों के लिए जहाँ सरकारी वकील व प्रशासन द्वारा पैरवी कर इसके निदान की बात कही गयी है, तो वहीं जो भू-स्वामी अपनी जमीन नहीं दे रहे हैं। उनके लिए विकल्प देते हुए उन्हें प्लॉट के बदले प्लॉट देने का निर्णय लिया गया है।