Move to Jagran APP

परिवारिक सम्पत्ति का ़कानूनी बँटवारा अब होगा आसान

लोगो : न्यू़ज खास आपके लिए ::: 0 राज्य विधि आयोग की सिफारिश को मानते ही बदल जाएगी तस्वीर 0 पा

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Sep 2021 07:59 PM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 07:59 PM (IST)
परिवारिक सम्पत्ति का ़कानूनी बँटवारा अब होगा आसान

लोगो : न्यू़ज खास आपके लिए

loksabha election banner

:::

0 राज्य विधि आयोग की सिफारिश को मानते ही बदल जाएगी तस्वीर

0 पारिवारिक सम्पत्ति के विलेख को रजिस्टर्ड कराने को देनी होगी अब निश्चित राशि

0 परिवार की सम्पत्ति को रजिस्टर्ड कराने की प्रक्रिया है खर्चीली, देना पड़ता है 8 फीसदी स्टैम्प व निबन्धन शुल्क

झाँसी : परिवार की सम्पत्ति के विभाजन के लिए की जा रही वसीयत में विवाद बढ़ रहे हैं और इनमें से कई न्यायालय तक भी पहुँच रहे हैं। ऐसे मुकदमों के बढ़ रहे बोझ को कम करने, सम्पत्ति के विवादों से छुटकारा पाने तथा परिवार के सदस्यों के बीच सम्पत्ति के कानूनी बँटवारा में हो रही दिक्कतों को दूर करने का समय आ गया है। परिवार के मुखिया अपनी ़जरूरतमन्द या विधवा पुत्री को सरल तरीके से सम्पत्ति का हिस्सा दे सकते हैं। इसके लिए राज्य विधि आयोग ने प्रदेश सरकार को परिवार के सदस्यों के बीच सम्पत्ति के विभाजन के लिए लगने वाले स्टैम्प शुल्क व निबन्धन शुल्क को कम करने तथा इसके लिए एक निश्चित राशि तय करने की सिफारिश की है। इससे विलेख को रजिस्टर्ड करने में मदद मिलेगी।

उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने सरकार को परिवार की सम्पत्ति का पारिवारिक सदस्यों के बीच बँटवारा को लेकर एक महत्वपूर्ण सिफारिश की है। परिवार के सदस्यों के बीच अचल सम्पत्ति के बँटवारे के लिए स्टैम्प शुल्क व रजिस्ट्रेशन शुल्क को कम करते हुए उस पर अधिकतम 5 ह़जार रुपए स्टैम्प शुल्क और 2 ह़जार रुपए निबन्धन शुल्क यानी, कुल 7 ह़जार रुपए तय करने की सिफारिश की है। अभी ऐसे मामलों में सम्पत्ति की रजिस्ट्री की तरह सम्पत्ति के मूल्य का 8 फीसदी तक स्टैम्प व निबन्धन शुल्क लिया जाता है। कहा गया कि इससे प्रदेश में सम्पत्ति बँटवारे, हस्तान्तरण, वसीयत से जुड़े मुकदमों में भारी कमी आएगी। परिवार का मुखिया अपने जीवनकाल में विधवा बेटी, बहन या पौत्री, आर्थिक व शारीरिक रूप से कमजोर सदस्य को पारिवारिक सम्पत्ति दान, विभाजित या परिवार के सदस्यों के बीच बाँट सकता है। विधि आयोग का मानना है कि इससे परिवार की सम्पत्ति का पारिवारिक सदस्यों के बीच आपस में ट्रांस्फर या विभाग की प्रक्रिया दूसरे कई राज्यों की तरह सरल, सहज और किफायती होनी चाहिए। अभी सामान्य तौर पर स्टैम्प शुल्क से बचने के लिए सम्पत्ति के मालिक परिवार के सदस्यों के पक्ष में वसीयत करत देते हैं। सम्पत्ति के स्वामी की मृत्यु पर वसीयत निष्पादित होने के मामलों में कई बार विवाद खड़े हो जाते हैं। इसके लिए परिवार के सदस्यों को न्यायालय का सहारा लेना पड़ता है।

राजस्व कम नहीं होगा, लेकिन मु़कदमे घटेंगे

विधि आयोग ने अपनी सिफारिश में प्रदेश के 37 ़िजलों के वसीयत व परिवार सम्पत्ति के मामलों का हवाला देते हुए कहा कि इस नयी व्यवस्था से मुकदमो में कमी आयेगी। इससे परिवार के सदस्यों के बीच अचल सम्पत्ति के ट्रांस्फर सम्बन्धी विलेख के शुल्क को तर्क संगत बनाया जा सकता है। इसमें दूसरे राज्यों के उदाहरण भी दिए हैं।

सम्पत्ति के पुनर्निर्माण में मिलेगी मदद

पैतृक सम्पत्ति में हिस्सा होने के बाद भी ट्रांस्फर डीड रजिस्टर्ड न होने के कारण सम्पत्ति के बदले में बैंक से ऋण नहीं मिल पाता है। यदि विलेख पर कम स्टैम्प शुल्क लगेगा, तो लोग ज्यादा से ज्यादा रजिस्टर करेंगे। इससे बैंक से ऋण मिल सकेगा तो राजस्व आय भी बढ़ेगी।

फाइल-रघुवीर शर्मा

समय-7.20

24 सितम्बर 21


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.