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अब कमिश्नर कोर्ट से हार नहीं मानेंगे सरकारी विवाद

0 मण्डलायुक्त ने शासकीय अधिवक्ताओं को दी अपील की छूट 0 अब तक कमिश्नर न्यायालय के निर्णय को मान लेत

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 01:00 AM (IST)
अब कमिश्नर कोर्ट से हार नहीं मानेंगे सरकारी विवाद
अब कमिश्नर कोर्ट से हार नहीं मानेंगे सरकारी विवाद

0 मण्डलायुक्त ने शासकीय अधिवक्ताओं को दी अपील की छूट

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0 अब तक कमिश्नर न्यायालय के निर्णय को मान लेते थे अन्तिम

0 राजस्व परिषद व उच्च न्यायालय तक पहुँच सकेंगे विवाद

0 सरकारी मामलों को मिल सकेगा उचित न्याय

झाँसी : कमजोर पैरवी अथवा साक्ष्यों के अभाव में मण्डलायुक्त न्यायालय से हार कर फाइलों में दम तोड़ने वाले सरकारी वाद अब न्याय के लिए उच्च न्यायालय व राजस्व परिषद की चौखट पर दस्तक दे सकेंगे। सरकारी अधिवक्ताओं को अपने निर्णय के खिलाफ अपील करने की यह आ़जादी स्वयं मण्डलायुक्त ने ही प्रदान की है। इससे गलती से होने वाले गलत फैसलों से सरकारी सम्पत्ति का नु़कसान नहीं होगा तो राजस्व मामलों को भी न्याय मिल सकेगा।

सरकारी सम्पत्ति पर अवैध रूप से ़कब़्जा करने के साथ ही स्टैम्प चोरी व अन्य राजस्व के मामले तहसील न्यायालय से निर्णीत होते-होते कई बार मण्डलायुक्त न्यायालय में पहुँच जाते हैं। यहाँ प्रकृति के अनुरूप डीजीसी (क्रिमिनल) या डीजीसी (राजस्व) द्वारा मु़कदमों की पैरवी कर सरकार का पक्ष रखा जाता है। लम्बी न्यायिक प्रक्रिया के बाद कई बार सरकारी पक्ष कमजोर पड़ जाता है और निर्णय प्रतिवादी के पक्ष में चला जाता है। अनेक बार साक्ष्यों के अभाव में भी ऐसा होता है, जिससे अवैध होने के बावजूद सरकारी सम्पत्ति पर प्रतिवादी को आधिपत्य मिल जाता है। ऐसा ही राजस्व मामलों में भी होता है। चूँकि मामला आयुक्त न्यायालय से निर्णीत होता है, इसलिए शासकीय अधिवक्ता इसके खिलाफ उच्च न्यायालय अथवा राजस्व परिषद में अपील नहीं करते हैं। इससे कई बार सरकारी वादों को उचित न्याय नहीं मिल पाता है। अब ऐसा नहीं होगा। मण्डलायुक्त डॉ. अजय शंकर पाण्डेय ने इस दिशा में ऐतिहासिक पहल की है। उन्होंने शासकीय अधिवक्ताओं को अपनी न्यायालय के निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय व राजस्व परिषद में अपील करने की आ़जादी दी है। मण्डलायुक्त की न्यायालय से यदि किसी सरकारी सम्पत्ति या राजस्व के मामले में थोड़ी-सी भी गुंजाइश होगी तो इसकी अपील उच्च न्यायालय व राजस्व परिषद में की जा सकेगी।

पलटी जाएंगी 5 साल पुराने मामलों की फाइल

मण्डलायुक्त डॉ. अजय शंकर पाण्डेय ने स्वयं की अदालत से निर्णीत ऐसे मामलों की फाइल फिर से पलटने के निर्देाश दिए हैं, जिनमें सरकारी पक्ष कमजोर पड़ा हो और प्रतिवादी ने मु़कदमे जीते हैं। 5 साल तक की फाइलों को पलटते हुए सरकार द्वारा हार चुके मामलों की अपील अब हाइकोर्ट व राजस्व परिषद में की जाएगी।

़िजलाधिकारियों को भी दिए दिशा-निर्देश

मण्डलायुक्त ने स्वयं के निर्णयों की समीक्षा की शुरूआत अपनी न्यायालय से करने के साथ ही तीनों जनपद (झाँसी, ललितपुर व जालौन) के ़िजलाधिकारियों को भी दिशा-निर्देश दिए हैं। उन्होंने डीएम को पत्र लिखकर स्वयं के निर्णय की समीक्षा कर आगे अपील कराने को कहा है।

प्रतिवादी हारने पर करते हैं अपील

आयुक्त न्यायालय में सरकारी पक्ष हारने पर भले ही पत्रावली को बन्द कर दिया जाता है, लेकिन अवैध होने के बावजूद यदि प्रतिवादी के खिलाफ निर्णय आता है तो वह हाइकोर्ट या राजस्व परिषद में अपील अवश्य करता है। इससे अधिकांश बार प्रतिवादी की ही जीत होती है, लेकिन मण्डलायुक्त द्वारा दी गई आजादी के बाद अब सरकार का पक्ष भी मजबूती से रखा जा सकेगा।

यह बोले अधिवक्ता

़िजला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) प्रदीप कुमार सक्सेना व ़िजला शासकीय अधिवक्ता (क्रिमिनल) राहुल शर्मा ने कहा कि वह दो दशक से वकालत कर रहे हैं, लेकिन किसी मण्डलायुक्त द्वारा स्वयं के निर्णयों की समीक्षा करने के आदेश नहीं दिए हैं। उन्होंने इस निर्णय की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे न्याय प्रक्रिया को बल मिलेगा और शासकीय वादों को उचित न्याय मिल सकेगा।

आयुक्त न्यायालय में होती है इन वादों की सुनवाई

0 ज.उ. ऐक्ट (धारा 333/ 331/ 344)

0 एलआर ऐक्ट (219/ 210 व 191)

0 उप्र राजस्व संहिता 2006 (धारा 210/207/212(2))

0 13 सीलिंग अधिनियम

0 27 (4) सीलिंग अधिनियम

0 56 भारतीय स्टैम्प अधिनियम

0 33 यूपी कण्ट्रोल रेण्ट ऐक्ट

0 275 यूपी टेनेसी ऐक्ट

0 06 यूपी अर्बन एवं प्लैनिंग ऐक्ट

0 आवश्यक वस्तु वितरण अधिनियम

0 18 आ‌र्म्स ऐक्ट

0 06 यूपी गुण्डा ऐक्ट

0 77 उत्तर प्रदेश उप खनिज परिहार नियमावली

0 15 (2) आरबीओ ऐक्ट, 27 (2) उप्र नगर नियोजन अधिनियम

0 सोसायटि एवं रजि. ऐक्ट

0 127 विद्युत अधिनियम

0 257 पंचायती राज ऐक्ट

0 12(2) आमोद प्रमोद अधिनियम (मनोरंजन ऐक्ट)

0 155 पेट्रोलियम ऐक्ट

0 उप्र जनहित गैरण्टि अधिनियम 2011

फाइल : राजेश शर्मा


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