रासुका में 28 दिन जेल में रहे रवीन्द्र शुक्ल
फोटो : रवीन्द्र शुक्ला ::: राम मन्दिर आन्दोलन में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व मन्त्री रवीन्द्र
फोटो : रवीन्द्र शुक्ला
:::
राम मन्दिर आन्दोलन में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व मन्त्री रवीन्द्र शुक्ल ने कई मु़कदमे झेले। 1990 में वह विधायक थे। विहिप के आह्वान पर कारसेवा हुई। 30 अक्टूबर 1990 को पुलिस ने निहत्थे कारसेवकों पर गोली चलाई। खण्डेराव गेट पर हुई इस घटना का विधायक रवीन्द्र शुक्ल ने खुलकर विरोध किया, जिसके बाद मुलायम सरकार ने रासुका लगाकर उन्हें जेल भेज दिया। मुलायम सरकार की कैबिनेट मन्त्री सुखदा मिश्रा ने सरकार की ओर से मुलाकात कर एनएसए हटाने की बात कही, लेकिन रवीन्द्र शुक्ल ने सभी मु़कदमे वापस लेने की शर्त रख दी। 7 दिन में सरकार ने मु़कदमे वापस लिए और 28 दिन जेल में रहकर वह रिहा हो गए। माताटीला अस्थाई जेल में जब प्रमुख आन्दोलनकारी बन्द थे, तब रवीन्द्र शुक्ल के हाथ में ही व्यवस्था की बागडोर रही। 10 जनवरी 1993 को नेताओं की रिहाई के बाद पुलिस ने उनके घर पर दबिश दी, लेकिन वह भेष बदलकर निकल गए। कई दिन तक वह भेष बदलकर सुखीजा परिवार के घर रहे। पुलिस को कई बार चकमा देने के बाद संगठन ने गिरफ्तारी देने को कहा तो बड़ाबा़जार में 100 से अधिक कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तारी दी। रवीन्द्र शुक्ल बताते हैं कि गिरफ्तारी के बाद वह पैदल ही कोतवाली की ओर चल दिए। रास्ते में ह़जारों की भीड़ जुट गई और कोतवाली पर भगदड़ मच गई। महिलाओं ने पुलिस पर हमला भी किया, जिसके बाद 25 कार्यकर्ताओं के साथ गिरफ्तार होकर जेल गए।
फोटो : डॉ. विभुकान्त शाह
:::
0 डॉ. विभुकान्त शाह ने बताया कि वर्ष 1990 में झाँसी में ह़जारों कारसेवकों को ट्रेन से उतारा गया था। 30 अक्टूबर को अयोध्या में कारसेवा होनी थी। तत्कालीन मुलायम सरकार के रवैये से लगता था कि पुलिस कारसेवकों के साथ बहुत गलत व्यवहार करेगी। अस्थाई जेल में बन्दी महिलाओं के पास काफी आभूषण भी थे, जिससे चिन्ता बढ़ गई। इसके बाद ़कीमती सामान एकत्र कर पास में रहने वाले एड. जगदीश सहाय शर्मा के घर रखवा दिए, जो वापसी में सभी को सुरक्षित सौंप दिए। उन्होंने बताया कि बीकेडी में रुके कारसेवकों पर लाठी चार्ज कराने वाले मैजिस्ट्रेट से एक चिकित्सक इतने नारा़ज हो गए कि अकेले ही उनकी जीप का पीछा किया और जीप रुकवाकर उनकी पिटाई कर दी तथा रफूचक्कर हो गए।
फोटो : बाबूलाल तिवारी
:::
बीकेडी प्राचार्य डॉ. बाबूलाल तिवारी ने बताया कि 1990 में वह एमएड के विद्यार्थी थे और चमरयाऊ गली में मिलन बिल्डिंग में रहते थे। राम जन्म भूमि आन्दोलन चरम पर था। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष होने के नाते छात्रों की टीम साथ थी, जो राम मन्दिर आन्दोलन से जुड़ गई। आन्दोलन में सक्रिय होने के कारण पुलिस पीछे पड़ गई। वह स्कूटर से बाँदा निकल गए, लेकिन हरपालपुर-महोबकण्ठ के बीच पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ मौसेरे भाई राम मूरत भी थे।
फोटो : संजीव श्रंगीऋषि
:::
भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष संजीव श्रंगीऋषि ने बताया कि 1990 में वह कारसेवकों को खाना पहुँचाने वाली टीम में थे। पुलिस ने जब गोलियाँ चलाई तब वह किले के मैदान में थे। गलियों में कई कार्यकर्ता घुस गए और छतों से भागे, लेकिन पुलिस ने घेरकर लाठी चार्ज किया।
फोटो : चित्रा सिंह व भारती चौबे
:::
1990 व 1992 के बाद भी अयोध्या मन्दिर को लेकर आन्दोलन चलते रहे। 15 अक्टूबर 2003 को भी कारसेवा का आह्वान किया गया। उस समय बीकेडी में ह़जारों कारसेवक बन्द थे। प्रशासन ने बिजली काट दी व भोजन-पानी की व्यवस्था भी नहीं की। भाजपा नेता रवीन्द्र शुक्ल को जानकारी मिली तो वह धरने पर बैठ गए। महिला मोर्चा की तत्कालीन नगर अध्यक्ष चित्रा सिंह, गिरिजा तिवारी, भारती चौबे, प्रभा मिश्रा, मंजू सक्सेना आदि महिलाओं ने गेट खुलवाने की कोशिश की। पुलिस ने रवीन्द्र शुक्ल के साथ सभी को गिरफ्तार कर पहले सकरार भेजा, जहाँ से महोबा जेल भेज दिया।
फोटो : प्रफुल्ल
:::
प्रफुल्ल सक्सेना ने बताया कि मुकेश खण्डकर, संजीव गुप्ता, पंकज अग्रवाल के साथ वह 18 अक्टूबर को कारसेवा के लिए अयोध्या गए। लखनऊ के बाद किसी स्टेशन पर गाड़ी को रोक दिया गया और पैदल जाने को कह दिया गया। इसके बाद वह जत्थों के साथ अयोध्या पहुँचे और कारसेवा की।
फोटो : सूरज सक्सेना
:::
शारदा हिल्स निवासी सूरज सक्सेना ने बताया कि उस समय वह जनसंघ के सदस्य थे। आन्दोलन के दौरान वह घर-परिवार छोड़कर जेल चौराहा पर छिपकर रहने लगे। पुलिस उन्हें तलाशती रही।
फोटो : राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता
:::
पूर्व राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य राजेन्द्र प्रसाद गुप्त ने बताया कि राम मन्दिर आन्दोलन में उन्होंने हर बार सक्रिय भूमिका निभाई। संगठन के आदेश पर कारसेवकों की सेवा भी की। अब अयोध्या में राम मन्दिर का शिलान्यास होने जा रहा है, जो ़िजन्दगी का सबसे सुखद पल है।
फोटो : महेश कुमार
:::
गोलाकँुआ निवासी महेश कुमार शर्मा ने बताया कि 30 अक्टूबर 1990 को वह कारसेवकों की सेवा कर रहे थे। पुलिस की गोली पैर में लगी, जिससे वह जख्मी हो गए।
फाइल : राजेश शर्मा
4 अगस्त 2020
समय : 8.20 बजे