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जौ की बुआई में भी है फायदा

लोगो : खेत-खलिहान - राजेश शर्मा ::: 0 कम पानी में भी हो जाती है पैदावार 0 बा़जार में मिलता ह

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 06:10 AM (IST)
जौ की बुआई में भी है फायदा
जौ की बुआई में भी है फायदा

लोगो : खेत-खलिहान

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- राजेश शर्मा

:::

0 कम पानी में भी हो जाती है पैदावार

0 बा़जार में मिलता है उचित मूल्य

झाँसी : दलहन की ़फसलों की बुआई अब समाप्त हो गई है। गेहूँ का रकबा भी आधा बोया जा चुका है, लेकिन वे किसान असमंजस में हैं, जिनके पास सिंचाई के पुख्ता प्रबन्ध नहीं हैं। पानी की सीमित व्यवस्था होने के कारण वह गेहूँ की बुआई नहीं कर सकते। चना, मटर व मसूर में भी कम पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन ये ऐसी ़फसलें हैं, जिनमें रोग भी ते़जी से लगता है और फूल आने पर यदि बारिश हो गई, तो पूरी ़फसल तबाह हो जाती है। ऐसे में किसानों के सामने बहुत अधिक विकल्प नहीं रह जाता है। उप निदेशक कृषि कमल कटियार ने बताया कि पानी की उपलब्धता कम होने पर किसानों को खेत में जौ का बीज डालना चाहिए। दिसम्बर के दूसरे पखवाड़े तक इसकी बुआई की जा सकती है। गेहूँ में 4-5 पानी की आवश्यकता होती है, जबकि जौ की पैदावार महज 2 पानी में हो जाती है। खास बात यह कि बा़जार में इस ़फसल का उचित दाम भी मिल जाता है। जौ में पहली सिंचाई बुआई के 30-35 दिन बाद कल्ले बनते समय करनी चाहिए। सिंचाई के बाद नाइट्रोजन 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से टॉप ड्रेसिंग करें। खरपतवार नियन्त्रण गेहूँ की भाँति करें।

दिसम्बर माह में खेती कार्य

गेहूँ

0 गेहूँ की अवशेष बुआई शीघ्र पूरी कर लें। ध्यान रहे बुआई के समय मिट्टी में पूरी नमी हो।

0 इस समय बुआई के लिए पीवी डब्लू 373, नरेन्द्र गेहूँ 2036, यूपी 2425 तथा डीबी डब्लू-16 प्रजातियाँ उपयुक्त हैं।

0 देर से बोए गेहूँ की बढ़वार कम होती है और कल्ले भी कम निकलते हैं। इसलिए बीज की दर बढ़ाकर 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कर लें। यदि यूपी 2425 प्रजाति ले रहे हैं, तो प्रति हेक्टेयर 150 किलोग्राम बीज लगेगा।

0 प्रमाणित अथवा अपनी प्रजाति का सत्य और शोधित बीज ही बोएं। यदि बीज शोधित न हो, तो बीज को कार्याक्सिन 2.5 प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर बोएं।

0 प्रति हेक्टेयर 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलोग्राम फास्फेट व 40 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होगी। बुआई के समय बलुआ दोमट भूमि में फास्फेट और पोटाश की समूची मात्रा के साथ 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, जबकि भारी दोमट मिट्टी में 60 किलोग्राम नाइट्रोजन का प्रयोग करें।

0 बुआई कतारों में हल के पीछे कूड़ों में या फर्टिसीड ड्रिल से करें।

0 अगर खेत में जस्ते की कमी हो, तो बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट का प्रयोग करें।

0 गेहूँ की बुआई के 20-25 दिन पर 5-6 सेण्टीमीटर की पहली सिंचाई ताजमूल अवस्था और दूसरी सिंचाई 40-45 दिन में कल्ले निकलते समय करें।

0 समतल खेत में सिंचाई के पहले या सिंचाई के एक सप्ताह बाद नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग कर दें।

0 खरपतवार नियन्त्रण के लिए 4 डी सोडियम सॉल्ट 80 प्रतिशत डब्लूपी की 625 ग्राम मात्रा में 500-600 लिटर पानी में घोलकर बुआई के 25 दिन बाद छिड़काव करें।

चना

0 बुआई के 45 से 60 दिन के बीच पहली सिंचाई करें।

0 ओट आने पर गुड़ाई करना फायदेमन्द होगा।

0 झुलसा रोग की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टेयर 2 किलोग्राम जिंक मैगनीज कार्बामेण्ट को एक ह़जार लिटर पानी में घोलकर 10 दिन के अन्तर पर 2 बार छिड़काव करें।

मटर

0 फूल आने से पहले पहली सिंचाई तथा दूसरी दाना भरते समय करें।

0 खेत की गुड़ाई करना भी फायदेमन्द होगा।

मसूर

0 मसूर की बुआई अभी भी कर सकते हैं, लेकिन प्रति हेक्टेयर लगभग 40 किलोग्राम बीज आवश्यक होगा।

0 बुआई के 45 दिन बाद पहली हल्की सिंचाई करें, लेकिन खेत में पानी रुकना नहीं चाहिए।

राई-सरसों

0 बुआई के 55-60 दिन पर फूल आने के पहले ही दूसरी सिंचाई करें।

सब़्िजयों की खेती

0 सब़्िजयों में आवश्यकतानुसार सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई करें।

0 पौधे को पाले से बचाव के लिए छप्पर या धुएँ का प्रबन्ध करें।

0 देर से बोए गए आलू की सिंचाई कर दें और बुआई के 25 दिन बाद 87-108 किलोग्राम यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करके मिट्टी चढ़ा दें।

0 आलू में आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के अन्तराल में सिंचाई करते रहें तथा झुलसा व माहू रोग के नियन्त्रण हेतु मैंकोजेब 2 ग्राम तथा फॉस्फेमिडान .6 मिली लिटर प्रति लिटर पानी में मिलाकर 10-12 दिन के अन्तराल में 2-3 बार छिड़काव करें।

0 मटर में बुआई के 25-30 दिन बाद नाइट्रोजन 30 किलोग्राम नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग करना चाहिए।

0 मटर में फूल आने के पहले हल्की सिंचाई करें। आवश्यकतानुसार दूसरी सिंचाई फलियाँ बनते समय करनी चाहिए।

0 पिछेती फूलगोभी में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, गाँठगोभी में 34 किलोग्राम नाइट्रोजन की प्रथम टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 40 दिन बाद करनी चाहिए।

0 टमाटर की उन्नत किस्मों में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन व संकर या असीमित बढ़वार वाली किस्मों के लिए 55-60 किलोग्राम नाइट्रोजन की प्रथम टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 20-25 दिन बाद तथा इतनी ही मात्रा की दूसरी टॉप ड्रेसिंग रोपाई के 45-50 दिन बाद करनी चाहिए।

0 टमाटर की ग्रीष्मकालीन ़फसल के लिए पौधशाला में बीज की बुआई कर दें।

0 लहसुन की ़फसल में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई तथा सिंचाई करें एवं 74 किलोग्राम यूरिया की प्रथम टॉप ड्रेसिंग बुआई के 40 दिन बाद व दूसरी टॉप ड्रेसिंग 60 दिन बाद करें।

0 प्याज में खेत की तैयारी के समय रोपाई से 3-4 सप्ताह पहले प्रति हेक्टेयर 250-300 कुन्तल गोबर की सड़ी खाद या 70-80 कुन्तल नेडप कम्पोस्ट मिला दें फिर रोपाई के पहले 33-34 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फेट एवं 60 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें।

0 प्याज की रोपाई के लिए 7-8 सप्ताह पुरानी पौध का इस्तेमाल करें।

0 पालक व मेथी में पत्तियों की प्रत्येक कटाई के बाद प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग करें।

0 धनिया के पौधे 3-4 सेण्टीमीटर के हो जाने पर प्रति हेक्टेयर 15 किलोग्राम नाइट्रोजन की टॉप ड्रेसिंग कर दें। 15 किलोग्राम नाइट्रोजन की दूसरी टॉप 20-25 दिन बाद करें।

0 टमाटर एवं मिर्च में झुलसा रोग से बचाव के लिए मैंकोजेब .2 प्रतिशत प्रति लिटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

फाइल : राजेश शर्मा

4 दिसम्बर 2019

समय : 5 बजे


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