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दूध में मिलाया गया सेहत बिगाड़ने वाला पाउडर

सावधान 0 गोरखपुर की लैब से क्लीनचिट मिलने के बाद कोलकाता में कराई गई जाँच झाँसी : अगर आप सेहत के

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 01:25 AM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 01:25 AM (IST)
दूध में मिलाया गया सेहत बिगाड़ने वाला पाउडर
दूध में मिलाया गया सेहत बिगाड़ने वाला पाउडर

सावधान

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0 गोरखपुर की लैब से क्लीनचिट मिलने के बाद कोलकाता में कराई गई जाँच

झाँसी : अगर आप सेहत के लिए दूध का सेवन करते हैं, तो जरा सँभलिए। यह दूध आपको बीमार कर दे। फैक्ट्रि में सप्लाई होने वाले दूध में हानिकारक पाउडर की मिलावट होने की पुष्टि हो गई है। हैरानी की बात यह है कि गोरखपुर प्रयोगशाला ने इस दूध को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन कोलकाता में कराई गई जाँच ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया।

दूध का सेवन सर्वआहार के रूप में किया जाता है। माना जाता है कि दूध पीने से व्यक्ति को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं। काफी हद तक यह दावा सही भी है, लेकिन तब, जब दूध शुद्ध मिले। झाँसी में बिकने वाला अधिकांश दूध मानकों की कसौटी पर खरा नहीं है। अधिकांश दूधिए पानी मिलाकर दूध बेचते हैं, तो कुछ नटवरलाल सिन्थेटिक दूध भी खपाने की कोशिश करते हैं। अब जो मामला पकड़ा गया है, वह इससे कहीं आगे का है। दरअसल, खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम ने पिछले दिनों जाँच करते समय काफी मात्रा में सप्लाई किए जा रहे दूध का सेम्पल लिया। यह दूध एक निजी फैक्ट्रि में प्रोसेसिंग के लिए जा रहा था। विभाग ने सेम्पल को जाँच के लिए गोरखपुर प्रयोगशाला भेज दिया, जहाँ से दूध में मिलावट न होने की रिपोर्ट आ गई। विभाग इससे सन्तुष्ट नहीं हुआ और क्रॉस जाँच के लिए सेम्पल को कोलकाता लैब भेजा गया। यहाँ जाँच कराने के लिए विभाग ने 5900 रुपए फीस भी जमा की, जिसका लाभ हुआ। कोलकाता प्रयोगशाला से आई रिपोर्ट ने विभाग की आँखें खोल दी। दूध में माल्टोडेस्टिन नामक हानिकारक पाउडर मिलाने की पुष्टि हो गई, जिसके बाद विभाग ने सप्लायर के ख़्िाला़फ एफआइआर दर्ज कराने की संस्तुति करते हुए आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन को भेज दी है।

न तेल शुद्ध, न घी

अधिक मुनाफा कमाने के लालच में मिलावटखोरों ने मकड़जाल फैला दिया है। खाने-पीने की हर वस्तु में मिलावट की जा रही है। हाल ही में आई जाँच रिपोर्ट में स्पष्ट हुआ है कि बा़जार में न तेल शुद्ध मिल रहा है, न घी और मसाले। सरसों, रिफाइण्ड तेल में सिन्थेटिक कलर की मिलावट की जा रही है, तो पाम ऑयल में केमिकल मिलाकर देशी घी तैयार किया जा रहा है। ऐसे 24 मामलों को हानिकारक मिलावट की श्रेणी में रखते हुए मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने कर ली है।

340 नमूनों में से 204 फेल

बा़जार में मिलावटखोरों का शिकंजा कितना सख्त है, इसका अन्दा़जा इसी से लगाया जा सकता है कि इस वर्ष प्रयोगशाला में जाँच के बाद 340 नमूनों की रिपोर्ट विभाग को मिली, जिसमें से 204 नमूने फेल हो गए। इनमें मिलावट पाई गई। राहत की बात यह है कि इनमें से 180 खाद्य पदार्थो में मिलावट का स्तर सेहत बिगाड़ने की हद पार नहीं कर पाया था। इनमें साधारण मिलावट या कमियाँ पाई गई, जबकि 24 खाद्य पदार्थो में हानिकारक पदार्थ मिलने की पुष्टि हुई है।

शक है, तो कराएं मिलावट की जाँच

अगर आपको लगता है कि जो सामान आप बा़जार से ख़्ारीद रहे हैं, उसमें हानिकारक तत्व मिले हैं, तो आप स्वयं जाँच भी करा सकते हैं। मेडिकल कॉलिज में संचालित मण्डलीय खाद्य विश्लेषण प्रयोगशाला में आपको सेम्पल देना होगा, लेकिन इसके लिए 1 ह़जार रुपए फीस भी जमा करानी होगी।

मिलावटखारों की करें शिकायत

अगर आपको कहीं मिलावट होने की जानकारी है, तो आप कलेक्टरेट स्थित खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन कार्यालय को अवगत करा सकते हैं। इसके अलावा अभिहित अधिकारी राजेश द्विवेदी के मोबाइल नम्बर 7905484917 पर भी सूचना दे सकते हैं। पर, सूचना पुष्ट होनी चाहिए, फर्जी नहीं।

इन्होंने कहा

'खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन द्वारा मिलावटखोरों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। अब झाँसी मण्डल समेत प्रदेश में कई और प्रयोगशालाएं संचालित होने लगी हैं, जिससे नमूनों के विश्लेषण की गति में तेजी आई है। इस वर्ष 340 नमूनों की रिपोर्ट प्राप्त हुई, जिसमें से 24 में हानिकारक मिलावट पाई गई है। इनके विरुद्ध कार्यवाही की संस्तुति करते हुए आयुक्त खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन से अनुमति माँगी गई है।'

0 राजेश द्विवेदी

अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन

फाइल : राजेश शर्मा

समय : 5.30

16 मार्च 2019


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