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पांच साल के बाद भी बस्तियों में जाने का संपर्क मार्ग बेहाल

जौनपुर विकास खंड के सरायदेवा मीरगंज गांव में पांच वर्ष में तम

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Mar 2021 04:36 PM (IST)Updated: Thu, 18 Mar 2021 04:36 PM (IST)
पांच साल के बाद भी बस्तियों में जाने का संपर्क मार्ग बेहाल
पांच साल के बाद भी बस्तियों में जाने का संपर्क मार्ग बेहाल

जागरण संवाददाता, मछलीशहर (जौनपुर): विकास खंड के सरायदेवा मीरगंज गांव में पांच वर्ष में तमाम काम होने के बाद भी ग्रामीण तमाम मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। आजादी के बाद से अब तक विभिन्न योजनाओं से गांव में काम तो हुए, लेकिन अभी तक आंगनबाड़ी केंद्र व पंचायत भवन का निर्माण नहीं हो पाया है। गांव के तमाम पात्र विधवा, दिव्यांग व वृद्धावस्था पेंशन के लाभ से वंचित हैं। ओपेन जिम, खेल के मैदान की भी व्यवस्था नहीं हो पाई है।

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परिषदीय विद्यालयों को कायाकल्प योजना के तहत टाइल्स, बाउंड्रीवाल व अन्य सुविधाओं से पूर्ण कर दिया गया। पूरे गांव में दो सौ शौचालय, करीब 25 लोगों को वृद्धा पेंशन सहित अन्य सरकारी सुविधाएं मुहैया तो कराई गई, लेकिन तमाम कार्यों के बावजूद आज भी गांव में विकास की राह सुगम नहीं हो सकी। ग्रामीणों को पगडंडी से आवागमन करना मजबूरी है। गांव में पांच वर्षो में मात्र आठ लोगों का ही आवास सूची में नाम शामिल हो सका। इसमें तीन लोगों का ही आवास बन रहा है। अन्य धनराशि न मिल पाने से निर्माण कार्य ठप पड़ा है। काफी प्रयास के बाद प्राथमिक विद्यालय के सामने सामुदायिक शौचालय बनवाया गया। गांव में एक आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहा है। ग्रामदेवी चौरामाता मंदिर पर आने-जाने के लिए दशकों बीत जाने के बाद भी संपर्क मार्ग नहीं बन सका है। बोले ग्रामीण..

गांव के होरीलाल, लालती देवी, प्रमिला देवी सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास के पहली किस्त आई थी जिसके पैसे से नींव का निर्माण कार्य करा लिया व दीवार जोड़वा लिया। अब दूसरी किस्त के आने का इंतजार कर रहा हूं। गांव की चौहद्दी..

पूरब में मीरपुर उमरी, पश्चिम मे अगहुआ, उत्तर में रामपुर खुर्द तो दक्षिण में भटहर। मत्था के लिए

4500- गांव की कुल जनसंख्या

1342-गांव में कुल मतदता

-654 महिला मतदाता

-688 पुरुष मतदाता। पांच साल में मैंने गांव में जितना विकास कार्य कराया उतना शायद किसी भी कार्यकाल में हुआ होगा। हालांकि अभी भी मेरे मन में यह कसक जरूर रह गई है कि जितना सोचा था उतना काम नहीं हो सका।

-जितेंद्र प्रताप सिंह, निवर्तमान ग्राम प्रधान।


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