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रेल हादसे रोकने के लिए ड्राइवरों को विशेष ट्रे¨नग

जागरण संवाददाता, जौनपुर: रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ड्राइवरों को विशेष ट्रे¨नग के

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 May 2018 06:46 PM (IST)Updated: Fri, 04 May 2018 06:46 PM (IST)
रेल हादसे रोकने के लिए ड्राइवरों को विशेष ट्रे¨नग

जागरण संवाददाता, जौनपुर: रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ड्राइवरों को विशेष ट्रे¨नग के साथ की बेहतर काउंसि¨लग भी कराई जाएगी। रेल दुर्घटनाओं में चालक व अन्य स्टाफ की लापरवाही भी एक बड़ी वजह बनी है। रेल हादसों को लेकर मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में साफ हुआ है कि वर्ष 2014-15 व 15-16 में हुए 274 दुर्घटनाओं में 98 हादसे रेलवे स्टाफ की चूक की वजह से हुई है। रिपोर्ट में ड्राइवरों व स्टाफ के प्रशिक्षण पर अतिरिक्त जोर देने की बात कही गई है। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ड्राइवरों को ट्रे¨नग के साथ काउंसि¨लग को भी पुख्ता करने की तैयारी की है।

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आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 104 ट्रेन दुर्घटनाओं के मुकाबले 30 मार्च तक 73 ट्रेन दुर्घटनाएं हुईं। 2016-17 में ट्रेन दुर्घटनाओं में 607 लोग घायल हुए या मारे गए, जबकि 2017-18 में यह संख्या 254 रही। 2016-17 में पटरी से उतरने के 78 मामले हुए। मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त की 2016 की रिपोर्ट में जर्जर हो चुकी रेलवे पटरियों को युद्धस्तर पर दुरुस्त करने को कहा गया है। साथ ही मानव रहित क्रा¨सग को भी बढ़ रही दुर्घटनाओं में एक बड़ी वजह के रूप में शामिल किया गया है।

पटरी से उतरने के मामले

2014-15: 62

2015-16: 55

29 अवथपन रेल ट्रैक की खराबी से हुई

7 अवथपन चल स्टाफ की लापरवाही से हुए

2 अवथपन गाड़ी चलाने में लापरवाही की वजह से हुए

एक अवथपन तोड़-फोड़ की वजह से

एक सिग्नल में गड़बड़ी की वजह से

दो स्टेशन स्टाफ के चूक से 13 आपसी सामंजस्य के अभाव में

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गाड़ियों में आग

2015- 13

2016- 5

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दुर्घटनाओं की संख्या

वर्ष

2011-12: 145, गंभीर दुर्घटना: 35, मौत: 127

12- 13: 241, गंभीर दुर्घटना: 21, मौत: 65

13-14- 203, गंभीर दुर्घटना 20 मौत: 52

14-15: 164 गंभीर दुर्घटना: 13 मौत: 123

15-16 110 दुर्घटना 14 मौत 82

वर्जन

रेलवे की तकनीक में व्यापक रूप से बदलाव हुआ है। कोहरे के दौरान ट्रेनों को दुर्घटना से बचाने के लिए फॉग सेफ्टी डिवाइस से लैस किया गया है। इसके अलावा जर्जर पटरियों को बदलने के साथ ही सिग्नल प्रणाली को हाईटेक किया जा रहा है। परिणामस्वरूप पहले की अपेक्षा दुर्घटनाएं काफी कम हुई है, जो भविष्य में नहीं के बराबर रह जाएंगी। आधुनिक तकनीक को सीखने के लिहाज से ड्राइवरों को विशेष ट्रे¨नग के साथ ही बेहतर काउंस¨लग की व्यवस्था की जाएगी।

सतीश कुमार, डीआरएम लखनऊ


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