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तीन तलाक महिलाओं के लिए अभिशाप : शबाना आजमी

पूर्व सांसद, फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने कहा कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के लिए अभिशाप है, यह शोषण करने के लिए बनाया गया था। ये हमारे संविधान के खिलाफ है। आज पूरे विश्व में 50 से ज्यादा इस्लामिक देशों में से 24 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक को अपने संविधान से निकालकर बाहर फेंक दिया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Aug 2018 07:40 PM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 11:34 PM (IST)
तीन तलाक महिलाओं के लिए अभिशाप : शबाना आजमी
तीन तलाक महिलाओं के लिए अभिशाप : शबाना आजमी

जागरण संवाददाता, जौनपुर : पूर्व सांसद, फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी ने कहा कि तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के लिए अभिशाप है, यह शोषण करने के लिए बनाया गया था। ये हमारे संविधान के खिलाफ है। आज पूरे विश्व में 50 से ज्यादा इस्लामिक देशों में से 24 इस्लामिक देशों ने तीन तलाक को खुद के संविधान से निकालकर बाहर फेंक दिया है। भारत में जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं, वो गलत है। सोमवार को मोहम्मद हसन डिग्री कालेज में पत्रकारों से बातचीत के दौरान शबाना आजमी ने कहा कि भारत सेकुलर देश है, संविधान ने यहां सबको अपना हक पाने का अधिकार दिया है। तलाक बीते कई दशकों से मुस्लिम महिलाओं का शोषण करता चला आ रहा है, जो कानून महिलाओं का शोषण करें उसे हम लोग हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकते।

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आजमी ने कहा कि निर्भया कांड के बाद जस्टिस वर्मा ने जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी उसमें सख्त कानून के साथ-साथ समाज को जागरूक करने की बात कही गयी थी। इसके बाद देश की संसद ने कानून में बदलाव कर सख्त कानून दुष्कर्म को लेकर बनाया था, बावजूद इसके आज जिस तरह से देश में दुष्कर्म की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं वो ¨चता का विषय है। ऐसे में हम सबको मिलकर लोगों को जागरूक करने की जरुरत है और सरकार को भी चाहिए कि जो भी ऐसे घृणित कार्य में दोषी पाया जाता है उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाए जिससे कि समाज को संदेश मिल सके। अक्सर यह देखने में आता है कि लोग घटना के बाद कानून के लचीलेपन की वजह से छूट जाते हैं। इसलिए ऐसे लोगों के लिए फास्टट्रैक कोर्ट में सुनवाई की जाए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जा सके। उन्होंने महिला सशक्तीकरण पर कहा कि सरकार आज महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं लागू कर रही हैं। जरूरत है उसको जमीन पर लागू करने की जिससे कि महिलाएं अपने हक और अधिकार को जान सकें।


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