तीन तलाक : किसी ने सराहा तो कोई बोला सियासी मुद्दा
संसद में गुरुवार को तीन तलाक बिल पर अंतिम मुहर लग गई। इसको लेकर दैनिक जागरण ने विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के जिलाध्यक्षों, अधिवक्ता, मौलाना से उनकी प्रतिक्रिया जानी। इसको लेकर किसी ने इसे आजादी के बाद मुस्लिम महिलाओं के लिए सराहनीय कदम बताया तो विपक्षियों द्वारा इसे सियासी मुद्दा बताकर करारा प्रहार किया गया। पेश है उनके कुछ विचार :-
जागरण संवाददाता जौनपुर : लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक बिल पर अंतिम मुहर लग गई। इसको लेकर दैनिक जागरण ने विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के जिलाध्यक्षों, अधिवक्ता, मौलाना से उनकी प्रतिक्रिया जानी। इस पर किसी ने इसे आजादी के बाद पहली बार मुस्लिम महिलाओं के लिए सराहनीय कदम बताया तो विपक्षियों द्वारा इसे सियासी मुद्दा बताकर करारा प्रहार किया गया। पेश है उनके कुछ विचार :-
मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने कहा कि महिलाओं के हित की रक्षा दूसरी तरह से भी हो सकती है। तीन तलाक तो सियासी मुद्दा है। दीवानी बार अध्यक्ष ब्रजनाथ पाठक ने कहा कि जहां तक तीन तलाक कानून की बात है। यह पहले से उनके कानून में था। मुस्लिमों द्वारा इसका उपयोग गलत तरीके से किया गया। संसद में इसको न्याय प्रिय बनाने के लिए विधि संगत किया गया। यह दुरुह प्रक्रिया को सरल करने का प्रयास है। भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील कुमार उपाध्याय ने कहा कि आजादी के बाद मुस्लिम महिलाओं के लिए संवेदनशील सरकार ने जो बिल लाया, इससे उनकी उपेक्षा नहीं होगी। इससे गुणोत्तर सुधार होगा। इसके लिए सरकार व सांसदों को बधाई।
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष इंद्रभुवन ¨सह ने कहा कि यह पति-पत्नी के रिश्तों के बीच दरार पैदा की जा रही है। तलाक के मामले में सजा का प्रस्ताव नितांत अनुचित है। सरकार का यह प्रयास राजनीतिक रोटी सेंकने वाला है।
सपा के जिलाध्यक्ष राज बहादुर यादव का कहना था कि चुनाव नजदीक आने पर अपनी स्थिति खराब देखते हुए तरह-तरह के विवादों को तूल दिया जा रहा है लेकिन जनता उनके इरादों को समझ चुकी है।
बसपा जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश गौतम ने कहा कि यह देश स्तर का मुद्दा है। इस पर पार्टी सुप्रीमो प्रतिक्रिया देंगी। वह अभी इस पर कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।