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मामूली सी बात पर बहनों के आत्मघाती कदम उठा लेने से पूरा गांव स्तब्ध

मां से कहासुनी व भाई की डांट की मामूली सी बात पर अति निर्धन अनुसूचित जाति परिवार की तीन सगी बहनों के ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर लेने से अहिरौली गांव के लोग स्तब्ध हैं। घर में कोहराम मचा है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 07:21 PM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 07:21 PM (IST)
मामूली सी बात पर बहनों के आत्मघाती कदम उठा लेने से पूरा गांव स्तब्ध
मामूली सी बात पर बहनों के आत्मघाती कदम उठा लेने से पूरा गांव स्तब्ध

जागरण संवाददाता, तेजी बाजार (जौनपुर) : मां से कहासुनी व भाई की डांट की मामूली सी बात पर अति निर्धन अनुसूचित जाति परिवार की तीन सगी बहनों के ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर लेने से अहिरौली गांव के लोग स्तब्ध हैं। घर में कोहराम मचा है। हर चेहरे पर उदासी है। पूरे गांव का माहौल बोझिल हो गया है।

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अहिरौली गांव के राजेंद्र गौतम मुंबई में राजमिस्त्री का काम कर परिवार की आजीविका चलाते थे। वहीं टीबी पीड़ित होने पर राजेंद्र परिवार के साथ करीब दस साल पहले गांव में आ गए थे। गांव लौटने के एक वर्ष बाद ही राजेंद्र का देहांत हो गया। पति की मौत के बाद आशा देवी गांव में लोगों के घर झाड़ू-पोंछाकर बच्चों का किसी तरह भरण-पोषण करने लगी थीं। दो वर्ष पूर्व आंखों की रोशनी चली जाने के बाद आशा देवी बेबस हो गईं। किसी तरह इसी साल मई में सबसे बड़ी बेटी रेनू की शादी सुल्तानपुर जिले के चांदा क्षेत्र के दारापुर गांव निवासी सनी के साथ कर दी थीं। दूसरे नंबर की पुत्री ज्योति अपनी बुआ के घर ग्राम कुधुआं थाना सिगरामऊ रहती है।

घर पर आशा देवी के साथ तीन बेटियां 13 वर्षीय काजल, 16 वर्षीय प्रीति, 15 वर्षीय आरती व एकमात्र पुत्र 17 वर्षीय गणेश था। गणेश कभी-कभार मेहनत-मजदूरी करता था। किसी तरह परिवार जिदगी गुजार रहा था। मृत काजल, प्रीति व आरती के बड़े पिता राजाराम ने बताया कि तीनों बेटियां बड़ी स्वाभिमानी थीं। कम में ही गुजारा कर लेती थीं, किसी के घर कुछ मांगने नहीं जाती थीं। गुरुवार की शाम तीनों ने बिझवट गांव स्थित राम अवध सिंह इंटर कालेज के पास खेत से ईंधन के लिए लकड़ियों का ढेर लेकर आई थीं।

तीनों बुआ के घर जाने की जिद कर रही थीं। मां व भाई मना कर रहे थे। इसी पर कहासुनी हुई तो मां व भाई ने डांट लगा दी। बस इसी से क्षुब्ध होकर तीनों ने मौत को गले लगा लिया। पालीथिन डाले गए छप्पर में रहता है परिवार

गरीबी के कारण आशा देवी का परिवार छप्पर पर पालीथिन डालकर रहता है। इस वर्ष आशा देवी को पीएम आवास स्वीकृत हुआ। जिसकी दीवार का निर्माण हो चुका है लेकिन अभी छत नहीं बन सकी है। ग्राम प्रधान राकेश वर्मा ने बताया कि आशा देवी को प्रथम किस्त के 1.30 लाख रुपये जारी किए जा चुके थे। परिवार को शौचालय का लाभ नहीं मिल सका था। अंत्योदय कार्ड से भी परिवार वंचित था। पात्र गृहस्थी कार्ड में भी कुनबे के छह सदस्यों में से तीन का ही नाम दर्ज है। दो वर्ष पूर्व बिना बताए चली गई थीं बुआ के घर

करीब दो वर्ष पूर्व मां से कहासुनी के बाद प्रीति व आरती बिना बताए अपनी बुआ के घर कुधुआं चली गई थीं। भाई व पड़ोसी खोजते पहुंचे तो दोनों बुआ के घर मिली थीं। आरती ने कहा था, जा रही हूं मामा के घर

तीनों बहनें इन दिनों गांव की अन्य महिलाओं के साथ लोगों के खेतों में धान की कटाई करती थीं। साथ काम करने वाली महिलाओं ने धान काटने को चलने के लिए कहने को गुरुवार की शाम आरती को फोन किया तो उसने जवाब दिया कि बहनों के साथ मामा के घर जा रही हूं।


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