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ग्रामीण खुद ही संवार रहे हैं तालाबों की सूरत

जागरण संवाददाता, जौनपुर: सूखे तालाबों को संवारने में ग्रामीणों की भागीदारी बढ़ रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 May 2018 06:31 PM (IST)Updated: Fri, 25 May 2018 10:43 PM (IST)
ग्रामीण खुद ही संवार रहे हैं तालाबों की सूरत

जागरण संवाददाता, जौनपुर: सूखे तालाबों को संवारने में ग्रामीणों की भागीदारी बढ़ रही है। जलस्तर बढ़ाने के लिए तमाम लोग खुद के प्रयास से तालाब में न सिर्फ पानी भरवा रहे हैं, बल्कि अन्य लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। प्रशासन की ओर से खोदवाए गए तालाबों में पानी नहीं भरपाने की एक बड़ी वजह ट्यूबवेल ऑपरेटरों की लापरवाही है।

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केराकत के देवकली गांव में बने पक्के तालाब में हर समय पानी भरा रहता है। स्थानीय लोग इसे एक धरोहर के रूप में संभालते हैं। यह तालाब तकरीबन 100 फीट गहरा है। तालाब के आस-पास किसी भी वृक्ष के सूखने पर उसके स्थान पर दूसरा वृक्ष लगा दिया जाता है। हालांकि यहां के कुछ तालाबों पर दबंगों का कब्जा भी है। प्रधान विमला ¨सह ने बताया कि तीन अतिक्रमण की चपेट में हैं। उन्होंने कहा कि समाधान दिवस पर कई बार शिकायत के बाद भी कब्जा खाली नहीं कराया जा सका है। क्षेत्र के धरौरा गांव में तीन तालाब ट्यूबवेल ऑपरेटर की लापरवाही की वजह से नहीं भर पा रहा है। सुजानगंज में जागरण द्वारा गोद लिया गया सबेली का तालाब आज लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है। बरसात के पानी को संचित कर तालाब को भरा जाता है। प्रधान पुष्पा मिश्रा ने बताया कि झलियान स्थित तालाब को नहर की अल्पिका से जोड़ा गया है लेकिन नहर सूखी होने की वजह से तालाब में पानी नहीं पहुंच पा रहा है। सतहरिया औद्योगिक क्षेत्र में गंदे पानी को संरक्षित कर पार्कों में लगे पेड़ पौधों की ¨सचाई की जाती है। आवासीय क्षेत्र के निकट पांच एकड़ में फैले पार्क में सैकड़ों पेड़ वेस्ट वाटर से सींचकर तैयार किए गए हैं, जो क्षेत्र में पर्यावरण शुद्ध बनाए रखने में सहायक बने हुए हैं। इतना ही नहीं बगल से गुजर रही नालियों को पार्क से जोड़ दिया गया है, जिससे गर्मी के दिनों में पानी पौधों को सींचने के काम आ सके। तेजीबाजार स्थित रसिकापुर गांव के सराय विभार प्रधान मंजू पांडे, लालचंद कनौजिया, सालिक आपसी सहयोग से नहर द्वारा पानी लाकर तालाब में जल संचय करते हैं। हालांकि इस बार सूखी नहर की वजह से यह प्रयास पूरा नहीं हो सका है। मंजू पांडे ने बताया कि रसिकापुर गांव में ढाई एकड़ तालाब की खुदाई हो रही है। उन्होंने कहा कि 52 बीघा तालाब की खुदाई का प्रस्ताव ग्राम पंचायत द्वारा जिलाधिकारी के आदेश पर लघु सिचाई विभाग को वर्ष पहले भेजा गया था, जिसका आज तक कोई जवाब नहीं मिला है। बदलापुर क्षेत्र में मनरेगा के तहत खोदवाए गए तालाब अभी तक भर नहीं पाए हैं, जिसमें सबसे बड़ी लापरवाही तहसील प्रशासन की है। हंकारपुर निवासी सुनील ¨सह अपने घर के बगल निजी तालाब को भरकर जलस्तर बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। उक्त तालाब से मछली पालन भी करते हैं। मुफ्तीगंज ब्लाक में तकरीबन 12 तालाबों को मनरेगा की तरफ से खोदवाया गया है। इनमे से कुछ तालाबों को नहरों से भरे भी गए हैं। मुरारा गांव की ग्राम प्रधान सुनीता सरोज का कहना है कि गांव के पांच तालाबों को पानी से भरवाया गया है। खंड विकास अधिकारी रवि कुमार ने बताया कि डार्कजोन ब्लाक होने की वजह से नहर के किनारे के तालाबों को प्रमुखता से भरवाया जा रहा है। बरईपार इलाके में भी ग्रामीण तालाबों की खोदाई को लेकर दिलचस्पी ले रहे हैं। गांव के कुछ लोग निजी खर्चे पर तालाब की भराई कराते हैं। सिकरारा क्षेत्र के तीन गांव में वर्षों से सूखे पड़े तालाबों को पानी से भरने के लिए खंड विकास अधिकारी प्रीति तिवारी ने नहर से जोड़ने के लिए चांदपुर, नेवढि़या, गोनापार गांव को चयनित कर लिया है। उन्होंने बताया कि सर्वे कराया जा रहा है। जल्द ही इन तीनों गांव में काम भी शुरू हो जाएगा।


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