अपनी सुंदरता से पर्यटकों को आकर्षित कर रहा शाही पुल
शिराज-ए-हिद की सरजमी के नाम से मशहूर जौनपुर में ऐतिहासिक धरोहरों की कमी नहीं है। यहां पर एक से बढ़कर एक नायाब नमूने देखने को मिलेंगे। यहां पर्यटन की ²ष्टिकोण से अपार संभावनाएं हैं। इन पर्यटन स्थलों पर प्रतिवर्ष काफी संख्या में भारतीय व विदेशी पर्यटक भी आते हैं मगर जरूरी सुविधाओं के अभाव में अभी सैलानियों की तादात बढ़ नहीं पा रही है। शासन-प्रशासन व जनप्रतिनिधि इसको गंभीरता से ले तो न सिर्फ सैलानियों की संख्या बढ़ेगी बल्कि रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे पर्यटन स्थलों का संरक्षण व संवर्धन भी हो सकेगा। इन्हीं स्थलों में से एक शाही पुल भी है जो 450 वर्षो से ऐतिहासिकता की गवाही दे रहा है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर : जिले का ऐतिहासिक शाही पुल स्थापत्य कला का नायाब नमूना है। जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में झेलम तो जौनपुर शहर में गोमती नदी पर एक ही जैसा पुल है। दोनों की डिजाइन व गुमटियों की आकर्षक छवि सुंदरता में चार चांद लगाती है। जिले में शहर के अलावा जलालपुर, सिकरारा में भी शाही पुल का निर्माण हुआ था। इन सभी पुलों का निर्माण अकबर के शासनकाल में कराया गया था। इनकी सुंदरता ऐसी है कि पर्यटक आकर्षित हो जाते हैं, इसको देखने के बाद लोगों की मुंह से निकल पड़ता है क्या खूब बना है। अगर सरकार इसको पर्यटन की ²ष्टि से विकसित करे तो काफी संभावनाएं हैं यहां पर।
विख्यात शाही पुल को मुगल पुल, अकबरी पुल और मुनीम खान पुल के नाम से भी जाना जाता है। इसे जौनपुर प्रांत के गवर्नर मुनीम खान ने मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल में बनवाया था। इसके निर्माण के समय को लेकर हालांकि इतिहासकारों में मतभेद है। सरकारी आकड़ों में इसका निर्माण वर्ष 1564 तो कुछ इतिहासकार 1567 बताते हैं। वहीं कुछ बताते हैं कि 1568 से 1569 के बीच गोमती नदी पर बनाए गए इस पुल की डिजाइन अफगानी वास्तुकार अफजल अली ने तैयार की थी। यह पुल मुगल वास्तुशिल्प शैली में बने जौनपुर के उन कुछ महत्वपूर्ण स्थलों में से है, जिनका अस्तित्व आज भी बचा हुआ है। कैसा है निर्माण
इस पुल का निर्माण नदी में विशाल खंभों पर किया गया है। पानी के बहने के लिए दस द्वार बनाए गए हैं। पुल से इतर इस पर खंभों पर टिकी अष्टभुजीय आकार की गुंबददार छतरी भी बनी हुई है। इस छतरी में लोग खुद को पुल पर दौड़ते वाहनों से सुरक्षित रखकर नदी की बहती धाराओं का विहंगम नजारा देखते हैं। यह शाही पुल जौनपुर शहर से 1.7 किमी उत्तर की ओर है और आज भी इसका इस्तेमाल यातायात के लिए किया जा रहा है। भारत का है अनोखा पुल
जौनपुर का शाही पुल भारत में अपने ढंग का अनूठा पुल है और इसकी मुख्य सड़क पृथ्वी तल से निर्मित है। पुल की चौड़ाई 26 फीट है, जिसके दोनों तरफ दो फीट तीन इंच चौड़ी मुंडेर है। दो ताखों के संधि स्थल पर गुमटियां निर्मित हैं। पहले इन गुमटियों में दुकानें लगा करती थीं। पुल के मध्य में चतुर्भाकार चबूतरे पर एक विशाल सिंह की मूर्ति है जो अपने अगले दोनों पंजों से हाथी के पीठ पर सवार है। यह पहले किसी बौद्ध मंदिर के द्वार पर स्थापित था, जहां से लाकर इसे पुल पर स्थापित किया गया। इसके सामने मस्जिद है। पुल के उत्तर तरफ दस व दक्षिण तरफ पांच ताखे हैं, जो अष्टकोणात्मक स्तंभों पर थमा है। पुल की कुछ गुमटियां बाढ़ से टूट गई थीं, जिनकी मरम्मत कराई गई है। कैसे पहुंचें शाही पुल
-बाबतपुर वाराणसी एयरपोर्ट से 35 किमी।
-इलाहाबाद से सौ किमी, वाराणसी से 55 किमी, आजमगढ़ से 60 किमी।
-जौनपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन से एक किमी, सिटी स्टेशन से तीन किमी।
-रोडवेज बस अड्डे से दो किमी की दूरी है। पर्यटकों की स्थिति
-औसत रोजाना करीब 450 भारतीय सैलानी आते हैं।
-विदेशी सैलानी भी काफी संख्या में आते हैं।