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तपिश भी नहीं रोक सकी कार्यकर्ताओं का उत्साह

भगवान भाष्कर की तपिश के चलते गुरुवार को आसमान से आग बरस रही थी। बावजूद इसके लोगों पर कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। तपती दोपहर में भी जनता कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को सुनने व एक झलक देखने के लिए अपने-अपने स्थान पर बैठकर झुलसते रहे। धीरे-धीरे पारा चढ़ने के साथ ही लोगों का इंतजार भी बढ़ता गया। लू के थपेड़े उनके उत्साह को नहीं डिगा सके।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 09:05 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 06:25 AM (IST)
तपिश भी नहीं रोक सकी कार्यकर्ताओं का उत्साह
तपिश भी नहीं रोक सकी कार्यकर्ताओं का उत्साह

शरद सिंह, सिकरारा (जौनपुर): भगवान भाष्कर की तपिश के चलते गुरुवार को आसमान से आग बरस रही थी। बावजूद इसके लोगों पर कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। तपती दोपहर में भी जनता कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा को सुनने व एक झलक देखने के लिए अपने-अपने स्थान पर बैठकर झुलसते रहे। धीरे-धीरे पारा चढ़ने के साथ ही लोगों का इंतजार भी बढ़ता गया। लू के थपेड़े उनके उत्साह को नहीं डिगा सके।

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कांग्रेस की यूपी में स्टार प्रचारक के रूप में कमान संभाल रहीं प्रियंका गांधी की चुनावी सभा 3.45 बजे निर्धारित थी। तय समय से पूर्व बड़ी संख्या में कार्यकर्ता व आम नागरिक उन्हें देखने के लिए एकत्र हो गए। लोग तपती दोपहरी में लू के थपेड़ों के बीच पसीने से तर-बतर हो रहे थे। पारा भी मानो सारे रिकार्ड तोड़ने को बेकरार था। बावजूद इसके धूप व गर्मी से बेपरवाह कांग्रेस कार्यकर्ता नारों के साथ नागरिकों का उत्साह बढ़ा रहे थे।

उनका इंतजार खत्म हुआ और निर्धारित समय से लगभग एक घंटे विलंब से शाम 4:45 बजे कार्यक्रम स्थल के ऊपर ज्यों ही प्रियंका गांधी का हेलीकॉप्टर पहुंचा तो लोग उत्साहित हो गए। कांग्रेस पार्टी की महासचिव ने ज्यों ही सिराज-ए-हिन्द की जमीं पर पांव रखा उपस्थित भीड़ ने प्रियंका गांधी जिदाबाद के नारों के साथ जोरदार स्वागत किया। मंच पर पहुंचते ही सबसे पहले चारों तरफ घूमकर हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया। माइक पकड़ते ही सबसे पहले पूछा आप लोग कितने घंटे से इंतजार कर रहे हैं। जवाब मिला चार घंटे। विलंब से आने का कारण बताते हुए उन्होंने क्षमा मांगी। इसके बाद वह प्रधानमंत्री मोदी पर प्रहार करना शुरू कर दिया। कहा कि मेरे संबोधन से पूर्व आपके प्रत्याशी ने जनपद की समस्या और विकास की बात की, जबकि चुनावी सभा में मोदी का संबोधन पाकिस्तान से शुरू होता है। भाजपा सरकार के पांच साल की विफलताओं को क्रमवार जनता के बीच रखा। कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक के सबसे कायर व डरपोक प्रशासक साबित हुए। संबोधन में बसपा को भी आड़े हाथ लिया। कहा चुनाव के दौरान मैं गांव-गांव जाकर गरीब लोगों से पूछती हूं कि मायावती ने आप लोगों के लिए क्या किया। वह जवाब देने की बजाय शांत रहती हैं। मैं उनको बताती हूं कि धनोपार्जन व पत्थर की मूर्ति बनवाना उनकी उपलब्धि है। मौका देख किसानों, गरीबों, मजलूमों की दुखती रग को कुरेदने से भी नहीं चूकीं।

राष्ट्रीय महासचिव ने अपने 28 मिनट के संबोधन में अपनी अदाओं से रिझाने का भरपूर प्रयास किया। कार्यकर्ता बीच-बीच में नारों के माध्यम से गुस्से का इजहार कर रहे थे। उन्होंने शांत कराते हुए कहा कि इस उत्साह को बरकरार रखते हुए 12 मई को कांग्रेस के पक्ष में अधिक से अधिक मतदान दिलवाकर मजबूती प्रदान करें।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नदीम जावेद ने कार्यकर्ताओं व जनता का उत्साहवर्धन करते हुए अंत तक बांधे रखा। प्रत्याशी देवव्रत मिश्र ने कहा कि डेढ़ दशक से जिले का विकास अवरुद्ध हो गया है। जनता समस्याओं से जूझ रही है। मैं विकास के मुद्दों पर चुनाव लड़ रहा हूं। मछलीशहर लोकसभा क्षेत्र के गठबंधन के प्रत्याशी डा. अमरनाथ पासवान ने अपनी बात रखी।

इससे पूर्व नदीम जावेद के नेतृत्व में युवक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सत्यवीर सिंह, शिखर द्विवेदी आदि ने कार्यकर्ताओं ने 51 किलो की माला पहनाकर अपने नेता का भव्य स्वागत किया। जिलाध्यक्ष इंद्रभुवन सिंह ने स्वागत और पूर्व जिलाध्यक्ष रामचंद्र मिश्रा ने आभार जताया।

श्रोताओं ने वक्ताओं को नकारा

जौनपुर: प्रियंका गांधी वाड्रा के आने से ठीक पहले मंच पर संचालन कर रहे पूर्व विधायक नदीम जावेद ने जब यह बताया कि उनका हेलीकॉप्टर प्रतापगढ़ से उड़ान ले लिया है। कुछ ही मिनटों में वो आपके बीच मे होंगी। उन्होंने पूछा कि क्या आप और वक्ताओं को सुनना पसंद करेंगे या सांस्कृतिक कार्यक्रम। पंडाल में बैठी जनता ने तुरंत ही वक्ताओं को सुनने से मना कर दिया। उसके बाद कलाकारों ने देशभक्ति गीत सुनाकर वाह-वाही लूटी। हद कर दी आपने..

रैली में जिले के एक वरिष्ठ नेता लोगों के लिए चर्चा बने रहे। जब भी कोई वक्ता मंच पर आकर संबोधन शुरू करते तो थोड़ी ही देर बाद उनके बगल में आकर वह भी खड़े हो जाते अभी उनकी बात समाप्त भी नहीं होती कि वो माइक पर खुद ही बोलना शुरू हो जाते। कुछ देर तक वक्ता सीनियर नेता समझकर उनका सम्मान करते रहे। उनके इस कृत्य से अंतत: एक युवा नेता नाराज हो गए। उन्होंने बीच में ही अपना संबोधन बंद कर दिया। भीड़ का गुस्सा देख अंत में उन्होंने माफी भी मांगी।


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