परमात्मा को लक्ष्य बनाएं: स्वामी परमहंस
परमहंस योगाश्रम फत्तूपुर में प्रवचन समाधि परमात्मा से मिलन का है अंतिम द्वार जागरण संवाददाता, जौनपुर: महराजगंज के परमहंस योगाश्रम फत्तूपुर में मंगलवार को प्रवचन करते हुए स्वामी परमहंस महराज ने कहा कि परमात्मा का जो स्वरूप सबसे प्रिय हो, उसी स्वरूप को ईष्टदेव मानकर उसका ध्यान करने से मन पवित्र हो जाता है। परमात्मा की प्राप्ति मानव जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।जब चेतना किसी विषय-विकार में न हो, शांत स्थिर हो, मन स्थिर हो, यह ध्यान की श्रेष्ठ अवस्था है। ध्यान जीवात्मा की आंतरिक-आध्यात्मिक विराट यात्रा है। ध्यान की यात्रा से मन जागकर (जीव) सजगता से समाधि में प्रवेश करता है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: महराजगंज के परमहंस योगाश्रम फत्तूपुर में मंगलवार को प्रवचन करते हुए स्वामी परमहंस महराज ने कहा कि परमात्मा का जो स्वरूप सबसे प्रिय हो, उसी स्वरूप को ईष्टदेव मानकर उसका ध्यान करने से मन पवित्र हो जाता है। परमात्मा की प्राप्ति मानव जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।जब चेतना किसी विषय-विकार में न हो, शांत स्थिर हो, मन स्थिर हो, यह ध्यान की श्रेष्ठ अवस्था है। ध्यान जीवात्मा की आंतरिक-आध्यात्मिक विराट यात्रा है। ध्यान की यात्रा से मन जागकर (जीव) सजगता से समाधि में प्रवेश करता है।
समाधि परमात्मा से मिलन का अंतिम द्वार है। जो संपूर्ण कर्म भगवान को समर्पित करके करता है, यही भाव (भक्ति) ध्यान बन जाता है। ध्यान समर्पण, संपूर्ण विकारों को धीरे-धीरे भष्म कर देता है। संपूर्ण विकारों के भष्म हो जाने पर आप आत्म बोध को प्राप्त कर लेंगे।
इस अवसर पर पूर्व कमिश्नर जयनाथ यादव, महातिम ¨सह, जय बाबा, सत्यवान ¨सह, राम आसरे, निशानाथ (बमबम) यादव आदि मौजूद रहे।