मिट्टी की बिगड़ रही सेहत, कैसे हो दोगुनी आय
देश की मिट्टी अपने हाथ आओ कराएं इसकी जांच।बीमार मिट्टी की सेहत सुधारने के महत्वाकांक्षी अभियान खामियों की भेंट चढ़ गया है। अभियान चलाकर लक्ष्य के सापेक्ष नमूना तो एकत्र कर किसी तरह मृदा हेल्थ कार्ड तो बांट दिया जा रहा है लेकिन किसान मृदा की स्थिति बीमार मिट्टी के सुधारने के उपाय आदि से अनभिज्ञ हैं। ऐसे में उत्पादन बढ़ाकर अन्नदाताओं की आय कैसे दोगुनी होगी।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: 'देश की मिट्टी अपने हाथ, आओ कराएं इसकी जांच।' बीमार मिट्टी की सेहत सुधारने का महत्वाकांक्षी अभियान भी खामियों की भेंट चढ़ गया है। अभियान चलाकर कृषि विभाग लक्ष्य के सापेक्ष नमूना एकत्र कर मृदा स्वास्थ्य कार्ड तो बांट दिया है लेकिन किसान मृदा की स्थिति, बीमार मिट्टी की सेहत सुधारने के उपाय आदि से अनभिज्ञ हैं। ऐसे में उत्पादन बढ़ाकर अन्नदाताओं की आय कैसे दोगुनी होगी।
रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग व जैविक खादों के न डालने से खेतों की मिट्टी बीमार हो चली है। इसके चलते कृषि उत्पादन प्रभावित हुआ है। बढ़ती जनसंख्या और घटते उत्पादन से खाद्यान्न संकट उत्पन्न होने का खतरा बढ़ गया है। मिट्टी की दशा सुधारने के लिए सरकार वृहद अभियान चला रही है। किसानों को मिट्टी की जांच कराकर संस्तुति के अनुसार संतुलित उर्वरकों का उपयोग करने के लिए भी गोष्ठियों में बताया जा रहा है लेकिन जागरूकता की कमी के कारण अपेक्षित सुधार नहीं हो रहा है। सामान्य नमूनों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटैशियम की जांच की जाती है तो द्वितीय एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों में सल्फर, जिक, बोरान, आयरन, मैग्नीज और कापर की जांच होती है। अब तक हुए परीक्षण पर गौर करें तो जनपद में मृदा की स्थिति काफी दयनीय है। कहां किन पोषक तत्वों की जांच..
जनपदीय प्रयोगशाला: मुख्य व सूक्ष्म पोषक तत्वों का विश्लेषण जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, अम्ल, आर्गेनिक, कार्बन, जिक, मैग्नीज, कापर, आयरन, बोरान, विद्युत चालकता आदि की जांच। तहसील स्तरीय प्रयोगशाला: मुख्य पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश की जांच। जनपद की मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता..
तत्व- उर्वरता स्तर
सल्फर- निम्न
जिक- सीमांत
आयरन- सीमांत
कापर- पर्याप्त
मैग्नीज- सीमांत
नाइट्रोजन व आर्गेनिक कार्बन- निम्न
फास्फोरस- बहुत कम
पोटाश- मध्यम
विद्युत चालकता- सामान्य
अम्ल अनुपात- सामान्य जांच को हर ब्लाक में सिर्फ एक माडल गांव चयनित
मिट्टी की जांच के लिए सिचित क्षेत्र में ढाई हेक्टेयर व असिचित क्षेत्र में 10 हेक्टेयर में ग्रिड बनाकर नमूना लिए जाते थे। मुफ्त जांच हेतु प्रतिवर्ष जिले की एक तिहाई ग्राम पंचायतों को लिया जाता था। इसके अलावा स्वेच्छा से किसान निर्धारित शुल्क देकर जांच कराते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है। प्रत्येक विकास खंड में सिर्फ एक माडल गांव चयनित कर वहां से नमूना लेकर जांच की जा रही है। आलम यह है कि गत वर्ष जहां 42220 नमूनों के जांच का लक्ष्य था वहीं इस वर्ष सिर्फ 21 माडल गांवों से 3726 नमूना लेकर जांच की गई।
कर्मचारी हैं उदासीन
मिट्टी की जांच के लिए जिला मुख्यालय सहित तहसीलों में छह प्रयोगशालाएं स्थापित हैं। यहां औसतन 35 से 45 हजार नमूनों की जांच प्रतिवर्ष होती थी। काम अधिक होने के कारण दिन-रात कर्मचारी परीक्षण में लगे रहते थे। शासन द्वारा लक्ष्य काफी कम कर दिए जाने के कारण अधिकांश समय कर्मचारी इंतजार में गुजार रहे हैं।
बोले अधिकारी..
मिट्टी की जांच के बाद की गई संस्तुतियों के आधार पर उर्वरकों के प्रयोग से संबंधित फसल से हमें अपेक्षित उपज भी मिलेगी और मृदा उर्वरता भी कायम रहेगी। पौधों के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्वों का अलग-अलग कार्य एवं महत्व होता है। इसमें से किसी भी एक तत्व की कमी से सीधे उत्पादन प्रभावित होता है। इसलिए जैविक खेती ही विकल्प है। इसी से कृषि का सतत विकास कर सकते हैं।
-डा. रमेश चंद्र यादव
तकनीकी सहायक एवं विषय वस्तु विशेषज्ञ।
--------------
जनपद के 21 माडल गांवों से लक्ष्य के अनुसार 3726 नमूना लिया गया है। रबी की बोआई से पूर्व जांच पूरी कर कार्ड वितरित करना है। लिए गए नमूनों की जांच करके 2950 मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित कर दिया गया है। जल्द ही शेष कार्ड किसानों को दे दिया जाएगा।
-जय प्रकाश
उपनिदेशक कृषि।