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मुन्ना बजरंगी ने ठेकेदारी और दबंगई के कारण बढ़ाए अपने दुश्मन

प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी सरकारी ठेके तथा रंगदारी में अधिक दखल देने लगा। जिसके कारण उसके दुश्मन भी बढ़ते जा रहे थे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 10:19 AM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 02:44 PM (IST)
मुन्ना बजरंगी ने ठेकेदारी और दबंगई के कारण बढ़ाए अपने दुश्मन
मुन्ना बजरंगी ने ठेकेदारी और दबंगई के कारण बढ़ाए अपने दुश्मन

जौनपुर (जेएनएन)। कुख्यात बदमाश प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी ने मुख्तार अंसारी के साथ काम करने के बाद अपना अलग मुकाम बनाया था। इसके बाद वह सरकारी ठेके तथा रंगदारी में अधिक दखल देने लगा। जिसके कारण उसके दुश्मन भी बढ़ते जा रहे थे। लखनऊ में उसके साले की भी हत्या की गई थी।

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पूर्वांचल में अधिकांश सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था। इसी दौरान तेजी से उभरते भारतीय जनता पार्टी के विधायक कृष्णानंद राय भी मुख्तार अंसारी के लिए चुनौती बनने लगे। उन पर मुख्तार के दुश्मन ब्रिजेश सिंह का हाथ था। उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था। इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे। इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे। कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को रास नहीं आ रहा था।

उन्होंने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी। मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची। 29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया। उसने साथियों के साथ मिलकर लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाडिय़ों पर एके 47 से 400 गोलियां बरसाई थी। हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे छह अन्य लोग भी मारे गए थे। पोस्टमार्टम के दौरान हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी। इस हत्याकांड ने सूबे के सियासी हलकों में हलचल मचा दी। इसके बाद हर कोई मुन्ना बजरंगी के नाम से खौफ खाने लगा। इस हत्या को अंजाम देने के बाद वह मोस्ट वॉन्टेड बन गया था।

चर्चाओं का दौर तेज

कुख्यात अपराधी प्रेमप्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी की बागपत जेल में हत्या की खबर मिलते ही क्षेत्र में चर्चाओं का दौर तेज हो गया। मुहम्मदाबाद के विधायक कृष्णानंद राय सहित सात साथियों की 29 नवंबर 2005 को भांवरकोल थाना क्षेत्र के बसनियां के पास गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। विधायक हत्याकांड में मुन्ना बजरंगी मुख्य अभियुक्त था। इस मामले में इसके अलावा मऊ  विधायक मुख्तार अंसारी के बहनोई एजाजुलहक अंसारी, फिरदौस आदि शामिल थे। वहीं विधायक मुख्तार अंसारी व उनके मझले भाई पूर्व सांसद अफजाल अंसारी साजिशकर्ता के रूप में नामजद किए गये। एजाजुलहक अंसारी गाजीपुर जेल व मुखतार अंसारी बांदा जेल में बंद हैं वहीं अफजाल अंसारी जमानत पर बाहर हैं। फिरदौस को एसटीएफ ने मुंबई में मुठभेड़ में मार गिराया था।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने किया था जिलाबदर

उत्तर प्रदेश के 90 से अधिक 'बाहुबलियों' को उनके गृह जनपदों से दूर की जेलों में स्थानांतरित कर दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के स्थानीय अपराध नेटवर्क को ध्वस्त करने के प्रयास के तहत यह कदम उठाया। स्थानांतरित बाहुबलियों में मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी, अतीक अहमद, शेखर तिवारी, मौलाना अनवारूल हक, मुकीम उर्फ काला, उदयभान सिंह उर्फ डॉक्टर, टीटू उर्फ किरनपाल, राकी उर्फ काकी और आलम सिंह है। सरकार का मानना है कि डॉन सलाखों के पीछे हैं और उनके गिरोह के लोग हत्या, अपहरण, डकैती और रंगदारी आसानी से अंजाम देते हैं और आतंक फैलाते हैं।

इसी कारण 90 से अधिक माफिया को एक जेल से दूसरी जेल स्थानांतरित किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था की समीक्षा करते हुए पुलिस एवं कारागार अधिकारियों को कार्रवाई का निर्देश दिया था। मुख्तार अंसारी को लखनऊ से बांदा जेल भेजा गया। अतीक अहमद को नैनी से देवरिया भेजा गया। मुन्ना बजरंगी को झांसी से पीलीभीत और शेखर तिवारी को बाराबंकी से महाराजगंज जेल भेजा गया। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और आतंकवाद रोधी स्क्वायड (एटीएस) ने जेल में बंद माफिया डॉन की गतिविधियों की निगरानी करने के बाद इसकी सूचना जेल प्रशासन को दी।

मुन्ना बजरंगी पर बड़ी ईनामी राशि

भाजपा विधायक की हत्या के साथ कई मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी। उस पर सात लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया। उस पर हत्या, अपहरण और वसूली के कई मामलों में शामिल होने के आरोप है। कृष्णानंद राय लगातार अपनी लोकेशन बदलता रहा। पुलिस का दबाव भी बढ़ता जा रहा था।

यूपी पुलिस और एसटीएफ लगातार मुन्ना बजरंगी को तलाश कर रही थी। उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था। दिल्ली भी उसके लिए सुरक्षित नहीं था। मुन्ना भागकर मुंबई चला गया। उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा। उसका कई बार विदेश जाना हुआ। उसके अंडरवल्र्ड के लोगों से रिश्ते भी मजबूत होते जा रहे थे। वह मुंबई से ही फोन पर अपने लोगों को दिशा निर्देश दे रहा था। 


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