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पीएचडी कराने में नियम-कानून ताख पर

जागरण संवाददाता, जौनपुर : वीर बहादुर ¨सह पूर्वांचल विश्वविद्यालय पीएचडी कराने में सारे नियम क

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Apr 2018 10:52 PM (IST)Updated: Thu, 05 Apr 2018 10:52 PM (IST)
पीएचडी कराने में नियम-कानून ताख पर
पीएचडी कराने में नियम-कानून ताख पर

जागरण संवाददाता, जौनपुर : वीर बहादुर ¨सह पूर्वांचल विश्वविद्यालय पीएचडी कराने में सारे नियम कानून को ताख पर रख रहा है। आरडीसी के नाम पर सिर्फ विभागाध्यक्ष व डीन को बुलाकर खानापूर्ति की जा रही है। यूजीसी रेगुलेशन एक्ट का पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसे में यहां पंजीकृत होने वाले अभ्यर्थियों के साथ केवल छलावा हो रहा है।

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पूर्वांचल विश्वविद्यालय की तरफ से पहले वर्ष 2017 की पीएचडी की प्रवेश परीक्षा कराई गई। इसमें उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के विषय की काउंसि¨लग फिर आरडीसी कराने की तैयारी चल रही थी कि अचानक विश्वविद्यालय प्रशासन ने (डीआरसी) विभागीय शोध समिति कराने का निर्णय लिया। इसमें अभ्यर्थियों को गाइड से सहमति लेनी हुई, इसके बाद विभागीय शोध समिति के जरिए अभ्यर्थियों का विभाग के जरिए नाम विश्वविद्यालय को भेजा जाना था।

इसमें भी किसी ने डीआरसी के नियमों का पालन किया तो किसी ने सिर्फ खानापूर्ति की। फिर विश्वविद्यालय स्तर (आरडीसी) शोध उपाधि समिति की बैठक में निर्णय लिया जाता है कि किसका शोध शीर्षक लेने योग्य है या नहीं, इसमें आरडीसी कमेटी के सदस्य इस पर साक्षात्कार लेकर अपना सुझाव देते है। आरडीसी में दो बाह्य विशेषज्ञ के रूप में दूसरे विश्वविद्यालय के प्रोफेसर होते हैं। एक आंतरिक विशेषज्ञ एसोसिएट स्तर के, एक उस विषय का डीन होता है।

कुलपति उस कमेटी का संयोजक होता है। आरडीसी द्वारा शोध शीर्षक पर चर्चा करते है। कार्य की उपयोगिता पर मापदंड में खरा उतरने वाला शीर्षक ही अनुमोदित होता है। वर्तमान में जिन अभ्यर्थियों के नाम डीआरसी से आरडीसी के लिए पहुंच रहे है उस पर केवल हस्ताक्षर कर चिड़ियां बैठाने का काम किया जा रहा है। विभागाध्यक्ष हस्ताक्षर कर दे रहे हैं तो कभी डीन। फिर इसके उपरांत नामों के पत्र पर कुलपति अपनी मुहर लगा दे रहे हैं। वह भी अलग-अलग समय और अपनी सुविधानुसार।

जानकारों की माने तो यह देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है, जो पीएचडी व शोध निदेशक बनाने में यूजीसी के नियमों का पालन नहीं कर रहा है। अगर यह अध्यादेश राज्यपाल से अनुमोदित नहीं होगा तो यह भविष्य में पीएचडी करने वालों के लिए नासूर बन जाएगा। क्या यह विधिक रूप से मान्य है।

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क्या बोले जानकार :-

टीडी कालेज में रसायन विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर व डीएससी डा. रामआसरे ¨सह ने बताया कि पूर्वांचल विश्वविद्यालय में कराई जा रही पीएचडी विश्वविद्यालय अध्यादेश व यूजीसी रेगुलेशन का पूर्ण रूप से उल्लंघन है। यह शोधार्थी जब पीएचडी करके निकलेंगे तो यूजीसी रेगुलेशन एक्ट के तहत पूर्णरूप से आच्छादित नहीं होंगे। यह व्यवस्था नियमानुसार नहीं है। नेट की अर्हता से छूट उन्हीं को मिलेगी जिनकी पीएचडी यूजीसी एक्ट व विश्वविद्यालय अध्यादेश के तहत होगी।

........................ नियम कायदे से हो रही पीएचडी

पूर्वांचल विश्वविद्यालय में जो भी कार्य हो रहे है वह नियम-कायदे से हो रहे है। यूजीसी के गाइड-लाइन के अनुरूप पीएचडी हो रहा है।

-सुजीत कुमार जायसवाल, रजिस्ट्रार, पूर्वाचल विश्वविद्यालय।


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