गरीबों को हटा दो, खुद हट जाएगी गरीबी!
जागरण संवाददाता, जौनपुर: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी 'प्रधानमंत्री आवास योजना' को जिम्मेदार
जागरण संवाददाता, जौनपुर: केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी 'प्रधानमंत्री आवास योजना' को जिम्मेदार अधिकारी पलीता लगा रहे हैं। वह इस तर्ज पर काम करा रहे हैं कि गरीबों को हटा दो, गरीबी खुद ब खुद हट जाएगी। यदि ऐसे ही चला तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सन 2022 तक सभी को अपना घर देने का सपना परवान चढ़ने के पहले ही दम तोड़ देगा। जिस तरह के तुगलकी फरमान हुक्मरान जारी कर रहे हैं उससे साफ है कि आधे से ज्यादा बेघर परिवारों के पक्का छत पाने के अरमानों पर पानी फिर जाएगा। दरअसल बड़े अधिकारी गरीबों की सूची को छोटी करने की हर जुगत भिड़ा रहे हैं।
केंद्र सरकार ने वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार आर्थिक आधार पर वर्ष 2022 तक ऐसे सभी परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का घर मुहैया कराने का लक्ष्य रखा है जो बेघर हैं या कच्चे घर व मड़हे में ¨जदगी गुजार रहे हैं। सूबे में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा के सत्ता में आने के बाद ऐसी शिकायतों की भरमार हो गई कि आर्थिक गणना की इस सूची में अनगिनत पात्र वंचित रह गए हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए योगी सरकार ने पूरे प्रदेश में ऐसे परिवारों का नए सिरे से सर्वे करने का फरमान जारी किया जो बेघर हैं या मड़हों और कच्चे घरों में रहते हैं। सरकार ने यह हिदायत भी दी कि पात्र इस सूची में छूटने न पाएं। इस कार्य में लगाए ग्राम विकास अधिकारियों व ग्राम पंचायत अधिकरियों ने दिन-रात एक कर दिया। डोर टू डोर जाकर शासन की मंशा के अनुरुप पात्रों की सूची तैयार की। ऐसे गांव जो कभी आंबेडकर या लोहिया गांव चयनित हो चुके हैं वहां दो दर्जन या इससे भी कम पात्र मिले। वहीं इससे वंचित पिछड़े गांवों, बड़ी ग्राम पंचायतों व अनुसूचित जाति, जनजातियों की बहुतायत आबादी वाले गांवों में ऐसे परिवारों की फेहरिस्त 150 से 200 तक पहुंच गई। सूची टेबल तक पहुंचने के बाद जमीनी सच्चाई से रूबरू होते ही जिम्मेदार अधिकारियों को दिन में ही तारे नजर आने लगे। आलम यह है कि अब हुक्मरान अपनी गर्दन बचाने में जुट गए हैं। वे खंड विकास अधिकारियों और ग्राम स्तरीय कर्मचारियों पर हर गांव में ऐसे 15 से 20 परिवारों की ही सूची देने के लिए मौखिक दबाव बना रहे हैं। साहब की भृकुटि टेढ़ी होने पर गाज गिरने की डर से वे उनकी मर्जी के मुताबिक सूची बना कर देने को मजबूर हैं। नतीजतन योजना अपने मूल उद्देश्य से भटकती नजर आ रही है। पात्र खुद के साथ अन्याय होने का रोना रो रहे हैं तो अति निर्धन परिवारों का हक मारे जाने से प्रधानों में भी आक्रोश पनप रहा है। उनका गुस्सा किसी भी दिन सड़क पर उतर सकता है।
सांसत में वीडीओ की जान
जिम्मेदार अधिकारियों के फरमान से सबसे ज्यादा मुसीबत में फंस गए हैं ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत विकास अधिकारी। कोई लिखित आदेश न मिलने से वे सांसत में पड़ गए हैं। उनकी समस्या यह है कि कल को परियोजना निदेशक का तबादला हो गया और पात्र परिवार प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित रह गए तो कार्रवाई की जद में वही आएंगे। ऐसे में उनकी हालत सांप-छछुंदर वाली हो गई है।
परियोजना निदेशक के खिलाफ जांच के आदेश
जौनपुर: प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों के चयन में अनियमितता, प्रथम व द्वितीय किश्त जारी करने में लेटलतीफी को शासन ने गंभीरता से लिया है। प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास अनुभाग-एक अनुराग श्रीवास्तव ने परियोजना निदेशक पीके राय के विरुद्ध जांच के आदेश दिए हैं। जांच के लिए संयुक्त विकास आयुक्त वाराणसी मंडल को नामित किया गया है। जांच अधिकारी से अपेक्षा की गई है कि वे जांच पूरी कर आख्या देंगे न कि दंड के बारे में संस्तुति।
क्या बोले परियोजना निदेशक
जौनपुर: परियोजना निदेशक पीके राय ने इस बारे में पूछने पर कहा कि सूची सीमित करने की बात मेरे संज्ञान में नहीं आई है। जो भी पात्र लाभार्थी होंगे, उनका नाम सूची में रहेगा। एक भी अपात्र का नाम सूची में नहीं आने दिया जाएगा। सूची में ऐसे परिवारों पर बारीकी से नजर रखी जा रही है जो पूर्व में लाभ पा चुके और फिर फायदा उठाने के लिए परिवार के विभाजन का सहारा ले रहे हैं। सूची में गड़बड़ी मिली तो सर्वे कर शामिल करने वाले कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।