कागज पर बैठक कर बन जा रही विकास की योजना
जिला प्रशासन की ढिलाई कहें या प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी की मनमानी। जनपद के अधिकांश ग्राम पंचायतों में डेढ़ साल से खुली बैठक नहीं हो रही है। शासन द्वारा रोस्टर जारी होने के बाद भी घर बैठे अपने ढंग से विकास की कार्य योजना बना ली जा रही है। इतना ही नहीं ग्राम पंचायत सदस्यों व विभिन्न समितियों की भी भागीदारी नहीं रहती। जबकि खुली बैठकों में नागरिकों द्वारा उठाई गई समस्याओं को देखते हुए ही कार्य योजना तैयार करनी होती है। जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते गांवों के विकास को चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना भ्रष्टाचार की जद में है।
जागरण संवाददाता जौनपुर : जिला प्रशासन की ढिलाई कहें या प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी की मनमानी। जनपद के अधिकांश ग्राम पंचायतों में डेढ़ साल से खुली बैठक नहीं हो रही है। शासन द्वारा रोस्टर जारी होने के बाद भी घर बैठे अपने ढंग से विकास की कार्य योजना बना ली जा रही है। इतना ही नहीं ग्राम पंचायत सदस्यों व विभिन्न समितियों की भी भागीदारी नहीं रहती। जबकि खुली बैठकों में नागरिकों द्वारा उठाई गई समस्याओं को देखते हुए ही कार्य योजना तैयार करनी होती है। जिम्मेदारों की उदासीनता के चलते गांवों के विकास को चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना भ्रष्टाचार की जद में है।
जिले में कुल 3384 ग्राम पंचायत है। शासन का निर्देश है कि हर ग्राम पंचायत में तीसरे महीने खुली बैठक होनी चाहिए। इसकी सूचना ब्लाक से ग्राम पंचायतों को दी जाती है। इसके लिए एडीओ पंचायत स्तर की मौजूदगी में बैठक होती है, इसमें गांव के सभी लोग उपस्थित होने चाहिए। इन बैठकों में पेंशन, आवास, शौचालय, खड़जा, नाली आदि कार्ययोजना पास की जाती है। प्रधान व सेक्रेटरी अपने से मिलीभगत करके बंदरबाट कर जाते है। पंचायत चुनाव जीतने के बाद पहली बार जिला से ब्लाक, ब्लाक से ग्राम पंचायतों को तिथि दी गई थी। जिसके हिसाब से कुछ जगहों पर बैठकें भी हुई। नियमत: हर बैठक की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कराई जानी चाहिए। बावजूद ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है। क्या बोले जिम्मेदार
इस बाबत बीडीओ केराकत रामदरश चौधरी रोस्टर के अनुसार प्रत्येक गांव में दो बैठक होती है। अक्टूबर से दिसंबर तक की बैठक हो चुकी है। प्रारूप आठ के अनुसार कार्रवाई लिखी जाती है। इसमें ग्रामीणों व ग्राम पंचायत सदस्यों का हस्ताक्षर होता है। बैठकों का फोटोग्राफी व विडियोग्राफी कराई जाती है। बैठकों में ग्रामीणों की संख्या कम होती है, इसका कारण है कि लोगों में जागरूकता की कमी है। ऐसे ग्राम पंचायत जो बैठक नहीं कराते हैं उनके खिलाफ कड़ाई से कार्रवाई की जाती है।