बच्चों का दाखिला कराकर ठगा महसूस कर रहे अभिभावक
जनपद के उच्चीकृत राजकीय माध्यमिक विद्यालय 'नाम बड़े और दर्शन छोटे'कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। सुदूर ग्रामीणांचलों में गुणवत्तायुक्त शिक्षा के उद्देश्य से खुले इन विद्यालयों में संस्कृत के शिक्षक अंग्रेजी पढ़ाने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जौनपुर: जनपद के उच्चीकृत राजकीय माध्यमिक विद्यालय 'नाम बड़े और दर्शन छोटे'कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। सुदूर ग्रामीणांचलों में गुणवत्तायुक्त शिक्षा के उद्देश्य से खुले इन विद्यालयों में संस्कृत के शिक्षक अंग्रेजी पढ़ाने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। सूबे में सत्ता परिवर्तन हुए एक साल से अधिक समय बीत गए लेकिन स्थिति में तनिक भी सुधार नहीं हुआ। लाडलों को अच्छी तालीम देने का ख्वाब पाले अभिभावक दाखिला कराकर अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं।
शिक्षा से वंचित गांवों में अच्छी शिक्षा देने के लिए माध्यमिक शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है। इस महत्वाकांक्षी योजना में सुदूर गांवों में उच्चीकृत राजकीय विद्यालय खोलने के साथ ही पूर्व में खुले माध्यमिक व राजकीय विद्यालयों को संसाधनों से लैस करना है। जनपद में गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने के लिए चार राजकीय बालिका इंटर कालेज और 27 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय खोले गए हैं। जनमानस में उम्मीद थी कि कम खर्च में उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल जाएगी। व्यवस्था में खामी के चलते किसी भी विद्यालय में मानक के अनुसार शिक्षक नहीं हैं। गणित, अंग्रेजी, विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों को पढ़ाने की जिम्मेदारी संस्कृत, ¨हदी के शिक्षकों को दे दी गई है। बच्चों के भविष्य को लेकर अभिभावक ¨चतित थे। एकल राजकीय विद्यालय:
राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय डिहिया खुटहन, पोरईकला शाहगंज, नेवादा शाहगंज, तरहटी मुंगराबादशाहपुर, सरायमोहउद्दीनपुर सुईंथाकला बच्चों का नामांकन कराने से कतरा रहे अभिभावक
अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की तर्ज पर गुणवत्तायुक्त शिक्षा देने के लिए खुले 27 उच्चीकृत राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों का 187 पद स्वीकृत है और वर्तमान में सिर्फ 64 शिक्षक ही तैनात हैं। शिक्षकों के न रहने से पढ़ाई पूरी तरह से बाधित हो रही है। अब तो अभिभावक भी इन विद्यालयों में प्रवेश से करता रहे हैं। इसका उदाहरण है उच्चीकृत राजकीय विद्यालय पोरईकला जहां कक्षा नौ व दस में महज छह-छह छात्रों का प्रवेश है। इसी प्रकार राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तरहटी में कक्षा नौ में चार तथा दस में 17 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। यहीं स्थिति खुटहन राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय डिहिया की भी है। यहां कक्षा नौ व दस में सात-सात छात्रों ने नामांकन कराया है। उच्चीकृत राजकीय विद्यालय नरहन में कक्षा नौ में तीन और दस में 22, उच्चीकृत राजकीय विद्यालय आरा में कक्षा नौ में 24 और दस में 13 छात्र, राजकीय उमा विद्यालय कसेरू के में कक्षा नौ में पांच और हाईस्कूल में महज 13 छात्रों ने प्रवेश लिया है। प्रतिनियुक्ति व मानदेय पर नहीं हुई शिक्षकों की तैनाती
सूबे के राजकीय इंटर कालेज व राजकीय हाईस्कूल में सहायक अध्यापक के लगभग 9737 और प्रवक्ता के लगभग 2600 पद रिक्त हैं। शिक्षक की कमी से जूझ रहे इन विद्यालयों में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नियुक्ति का फरमान जारी किया गया था। शासन द्वारा जारी पत्र के अनुसार तीन चरण में नियुक्ति करनी है। प्रथम चरण में जनपद स्तर पर नियुक्ति के लिए चयन समिति में जिलाधिकारी अथवा उनके द्वारा नामित अधिकारी अध्यक्ष, डायट प्राचार्य व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सदस्य और जिला विद्यालय निरीक्षक सचिव होंगे। पद रिक्त होने पर दूसरे चरण में मंडल स्तर पर मंडलायुक्त अथवा उनके द्वारा नामित अधिकारी अध्यक्ष, मंडल मुख्यालय के डायट प्राचार्य व मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक बेसिक सदस्य और मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक सचिव होंगे। इसके बाद भी सीट रिक्त होती है तो राज्य स्तर पर चयन हेतु गठित कमेटी में अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक अध्यक्ष, अपर शिक्षा निदेशक बेसिक व सचिव बेसिक शिक्षा परिषद सदस्य तथा संयुक्त शिक्षा निदेशक अर्थ सचिव होंगे। शासनादेश के अनुसार सभी जिला विद्यालय निरीक्षक रिक्त पदों का विद्यालयवार व विषयवार विज्ञापन प्रकाशित करना है। बेसिक शिक्षा परिषद के प्रतिनियुक्ति पर आने हेतु इच्छुक अर्ह अध्यापक आवेदन के लिए पात्र होंगे। उनका आवेदन बीएसए द्वारा अग्रसारित किया जाना है। प्रतिनियुक्ति पर चयन हेतु साक्षात्कार तो राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों से सेवानिवृत्त सहायक अध्यापक, प्रवक्ता भी विषय के अनुसार आवेदन कर सकते हैं। कई माह बीत गए लेकिन अभी तक प्रक्रिया आरंभ नहीं हुई।
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शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति हेतु कई बार पत्र प्रेषित किया गया है। शासन द्वारा मानदेय पर राजकीय, अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के अवकाश प्राप्त शिक्षकों की नियुक्ति का आदेश दिया गया है। नियुक्ति होने के बाद समस्या का समाधान हो जाएगा।
रमाशंकर निषाद
वित्त एवं लेखाधिकारी, माध्यमिक शिक्षा अभियान